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Friday 31 August 2012

बोलें मात्र 1 अक्षर के गणेश मंत्र..आएगा सफलताओं का सैलाब

भगवान गणेश आदिदेव माने जाते हैं। इसलिए श्री गणेश परब्रह्म के पांच अलग-अलग रूपों में एक व प्रथम पूज्य भी हैं। हर शास्त्र ईश्वर की इन शक्तियों के कण-कण में बसे होने का संदेश देकर देवत्व भाव को अपनाने की सीख देता है। किंतु सांसारिक बंधन से स्वार्थ या दोषों के वशीभूत होकर हर जीव भटककर कलह और संताप पाता है।

ऐसी ही परेशानियों या मुश्किलों को सामना हम हर रोज घर या बाहर उठते-बैठते करते हैं। जिनसे छुटकारें के लिए अनेक तरीके अपनाते हैं। इनमें शास्त्रों में परब्रह्म स्वरूप भगवान गणेश के विराट रूप व शक्ति द्वारा जीवन को सफल व कलहमुक्त बनाने के लिए गणेश के बीज मंत्रों के स्मरण का भी महत्व है, जो कार्य व मनोरथसिद्धि में शक्तिशाली और असरदार भी माने गए हैं।

खास बात यह है कि पूजा-उपासना के अलावा अचानक मुसीबतों के वक्त भी मन ही मन इनका स्मरण संकटमोचन व कामयाबी का अचूक उपाय है। जानते हैं कौन-से ये छोटे किंतु प्रभावी गणेश एकाक्षरी बीज मंत्र -

- गं

- ग्लौं और

- गौं

शास्त्रों के मुताबिक ये एकाक्षरी मंत्र अन्य गणेश नाम मंत्रों के साथ लेने पर बहुत ही मंगलकारी व मनोरथसिद्ध करने वाले हैं।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।





इन सातों को नींद से जगाना मतलब खतरे की घंटी...

जीवन को सुखी और शांत बनाए रखने के लिए शास्त्रों में कई अचूक नियम और उपाय बताए गए हैं। इन उपायों और नियमों का पालन करने वाले इंसान को कभी भी दुख का सामना नहीं करना पड़ता। वे लोग हर पल सुखी और चिंताओं से मुक्त रहते हैं।

जीवन में सफलताएं प्राप्त करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य द्वारा कई सटीक सूत्र बताए गए हैं। इन्हीं से एक सूत्र ये है सर्प, नृप अथवा राजा, शेर, डंक मारने वाले जीव, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्ते और मूर्ख, इन सातों को नींद से नहीं जगाना चाहिए, ये सो रहे हैं तो इन्हें इसी अवस्था में रहने देना ही लाभदायक है।

यदि किसी सोते हुए सांप को जगा दिया जाए तो वह हमें अवश्य डंसेगा। किसी राजा को जगाने पर राजा का क्रोध झेलना पड़ सकता है। यदि किसी शेर को जगा दिया तब तो निश्चित ही मृत्यु का सामना करना पड़ सकता है। किसी डंक मारने वाले जीव को जगाने पर भी मृत्यु का संकट खड़ा हो सकता है। यदि कोई छोटा बच्चा सो रहा है तो उसे जगाने पर संभालना मुश्किल होता है। दूसरों के कुत्तों को जगा दिया जाए तो वह भौंकना शुरू कर देगा, काट भी सकता है। यदि कोई मूर्ख इंसान सो रहा है तो उसे भी सोते रहने देना चाहिए क्योंकि मूर्ख व्यक्ति को समझा पाना बड़े-बड़े विद्वानों के लिए भी संभव नहीं हैं।


हर संकट से बचाएंगे श्रीगणेश के ये 21 नाम

क्या आप प्रत्येक कार्य में बाधा, व्यापार में घाटा, परिवार में क्लेश इत्यादि परेशानियों के कारण परेशान हैं तो घबराइए बिल्कुल मत क्योंकि भगवान श्रीगणेश आपकी हर परेशानी का समाधान कर सकते हैं। 10 सितंबर, शनिवार को गणेशोत्सव का अंतिम दिन है। इस दिन यदि विधि-विधान से भगवान श्रीगणेश की पूजा 21 नामों से की जाए तो सभी प्रकार की समस्याओं का निदान हो जाता है। यह नाम इस प्रकार हैं-

1- ऊँ सुमुखाय नम:

2- ऊँ गणाधीशाय नम:

3- ऊँ उमापुत्राय नम:

4- ऊँ गजमुखाय नम:

5- ऊँ लंबोदराय नम:

6- ऊँ हरसूनवे नम:

7- ऊँ शूर्पकर्णाय नम:

8- ऊँ वक्रतुण्डाय नम:

9- ऊँ  गुहाग्रजाय नम:

10- ऊँ एकदंताय नम:

11- ऊँ हेरम्बाय नम:

12- ऊँ चतुर्होत्रे नम:

13- ऊँ सर्वेश्वराय नम:

14- ऊँ विकटाय नम:

15- ऊँ हेमतुण्डाय नम:

16- ऊँ विनायकाय नम:

17- ऊँ कपिलाय नम:

18- ऊँ कटवे नम:

19- ऊँ भालचंद्राय नम:

20- ऊँ सुराग्रजाय नम:

21- ऊँ सिद्धिविनायकाय नम:




ये पौधा घर में होगा तो नहीं आएंगे यमराज या यमदूत

यमराज या यमदूत का नाम आते हैं मौत का डर सताने लगता है। हिंदू धर्म में यमराज को मृत्यु का देवता बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु का समय आ जाता है उसकी आत्मा को लेने के लिए यमराज या यमदूत आते हैं। यमराज आने का अर्थ है साक्षात मृत्यु का आना। मृत्यु के भय को समाप्त करने के लिए शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं। इन्हीं उपायों में से एक है घर में तुलसी का पौधा लगाना।

शास्त्रों में तुलसी की बड़ी महिमा बताई गई है-

तुलसीकाननं चैव गृहे यस्यावतिष्ठते।

तद्गृहं तीर्थभूतं हि नायांन्ति यमकिंकरा:।

तुलसीमंजरीभिर्य: कुर्याद्धरिहर्रानम्।

न स गर्भगृहं याति मुक्तिभागी भवेन्नर:।।

वेद-पुराण में दिए गए श्लोक का अर्थ है- जिसके व्यक्ति के घर में तुलसी का पौधा होता है वह घर तीर्थ के समान है। वहां मृत्यु के देवता यमराज नहीं आते हैं। जो मनुष्य तुलसीमंजरी से भगवान श्रीहरि की पूजा करता है उसे फिर गर्भ में नहीं आना पड़ता अर्थात उसे मोक्ष प्राप्त हो जाता है, पुन: धरती पर जन्म नहीं लेना पड़ता। इस श्लोक से स्पष्ट है कि तुलसी के पौधे को पवित्र और पूजनीय माना गया है।

यहां यमराज या यमदूत से यही तात्पर्य है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होगा वहां रहने वाले लोगों का जीवन स्वर्ग के समान होगा। तुलसी के प्रभाव से घर में सभी सुख-सुविधा के साधन होंगे। किसी को भी मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तुलसी का पौधा होने से वातावरण में मौजूद कई विषैले जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। वास्तु के अनुसार तुलसी के पौधे से कई वास्तु दोषों का निवारण हो जाता है।


सही समय पर सही विकल्प पहचानने वाले रच देते हैं इतिहास...

समस्याएं सभी के जीवन में होती हैं और इन समस्याओं को दूर करने के कई रास्ते भी होते हैं। कुछ लोग सही समय पर सही रास्ता चुन लेते हैं और वे सफलता के पथ पर आगे बढ़ जाते हैं। वहीं कुछ लोग सब कुछ भाग्य या नियति के भरोसे छोड़कर बैठ जाते हैं, जीवनभर दुखी होते रहते हैं।

एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को अखंड भारत का सम्राट बनाने वाले आचार्य चाणक्य ने इस संबंध में कई महत्वपूर्ण सूत्र दिए हैं। इन सूत्रों को अपनाकर कोई भी इंसान सफलता एक नया इतिहास रच सकता है। चाणक्य ने कहा है कि नियति तो अपना खेल रचती रहती है और इस खेल के प्रभाव से हमें कभी दुख मिलते हैं तो कभी सुख। दुख के समय में एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि नियति केवल कोई संयोग मात्र नहीं है, नियति व्यक्ति को हर समस्या से निकलने के लिए विकल्प अवश्य देती है।

बुद्धिमान इंसान वही है जो उन विकल्पों को पहचानकर, उनमें से सही विकल्प चुन लेता है। सबकुछ नियति के भरोसे छोड़कर बैठने वाले इंसान सदैव कष्ट और दुख के ही प्रतिभागी बन जाते हैं। ऐसे लोग जीवन में ना तो कुछ बन पाते हैं और ना ही कोई इतिहास बना पाते हैं। इसीलिए समझदारी इसी में है कि सही समय पर सही रास्तों को पहचाना जाए और उन रास्तों पर बिना समय गंवाए आगे बढ़ा जाए।

आचार्य चाणक्य की यह बात हर परिस्थिति में बहुत ही कारगर और समस्याओं से निजात दिलाने वाली है। जो भी इंसान नियति के इशारों को समझकर उन्हें जीवन में उतार लेता है वह नए इतिहास रच देता है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए यह अचूक उपाय है। 





हर सुबह बोलें यह तुलसी मंत्र..खुशहाल रहेगा घर-परिवार

 
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा देवीय स्वरूप में पूजनीय है। धर्मग्रंथों में तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय बताई गई है। जिससे यह पवित्र और पापनाशिनी मानी गई है। धार्मिक दृष्टि से घर में तुलसी का पौधा और उसकी उपासना दरिद्रता का नाश कर सुख-समृद्ध करने वाली होती है। वहीं व्यावहारिक रूप से भी तुलसी को खान-पान में शामिल करना रोगनाशक और ऊर्जा देने वाला माना गया है।

शास्त्रों में तुलसी को माता गायत्री का स्वरूप भी माना गया है। गायत्री स्वरूप का ध्यान कर तुलसी पूजा मन, घर-परिवार से कलह व दु:खों का अंत कर खुशहाली लाने वाली मानी गई है। इसके लिए तुलसी गायत्री मंत्र का पाठ मनोरथ व कार्य सिद्धि में चमत्कारिक भी माना जाता है। जानते हैं यह तुलसी गायत्री मंत्र व पूजा की आसान विधि -

- सुबह स्नान के बाद घर के आंगन या देवालय में लगे तुलसी के पौधे की गंध, फूल, लाल वस्त्र अर्पित कर पूजा करें। फल का भोग लगाएं। धूप व दीप जलाकर उसके नजदीक बैठकर तुलसी की ही माला से तुलसी गायत्री मंत्र का श्रद्धा से सुख की कामना से कम से कम 108 बार स्मरण अंत में तुलसी की पूजा करें -

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे।

विष्णु प्रियायै धीमहि।

तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।

- पूजा व मंत्र जप में हुई त्रुटि की प्रार्थना आरती के बाद कर फल का प्रसाद ग्रहण करें।

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पैसे की तंगी दूर करता है यह टोटका

क्या आपके घर में हमेशा पैसे की तंगी बनी रहती है। खूब मेहनत करने के बाद भी घर में बरकत नहीं होती और धन प्राप्ति में बाधाएं या रुकावटें आती हैं तो इसका कारण कुछ और भी हो सकता है। कुछ लोग जलनवश तंत्र क्रिया के माध्यम से किसी के घर की समृद्धि रोक देते हैं जिसके कारण उस घर में हमेशा पैसे की कमी बनी रहती है। इस समस्या से निपटने के लिए नीचे लिखा टोटका करें-

टोटका

एक तांबे की लुटिया लें ढक्कन सहित और उसमें चांदी का सर्प-सर्पिनी का जोड़ा, चांदी का एक छोटा सा पतरा, पूजा के उपयोग में आने वाली सात सुपारियां, हल्दी की सात  साबूत और साफ गांठ डाल लें। अब इस लोटे को पानी से भर लें और इसका ढक्कन अच्छी तरह से बंद कर दें। अब यह लुटिया मुख्य द्वार के पश्चिम की ओर दबा दें। इस टोटके से धन आगमन के द्वार खुल जाएंगे और आपके घर में फिर से सुख-समृद्धि का वास होगा।



क्या खास बात होती है ऐसे साइन करने वालों में

 
किसी इंसान के व्यवहार, सोच विचार, भूत और भविष्य के बारे में जानने के लिए कई तरह की विधियां और विज्ञान है। इनमें ग्रह नक्षत्र ज्योतिष, कुंडली, हस्त रेखा विज्ञान आदि है। ऐसे ही एक विधि है हस्ताक्षर से सोच-विचार, भूत और भविष्य जानने की।

लिखावट विज्ञान के अनुसार हर इंसान की लिखावट उसका आइना होती है। लिखावट में अक्षरों की बनावट और लिखने का तरिका आपकी सोच विचार, चरित्र और व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बताता है। हर व्यक्ति की लिखावट के अनुसार उसके हस्ताक्षर भी बहुत कुछ बताते है।



जानिए कैसे हस्ताक्षर वाले लोग कैसे होते है

जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर में सभी अक्षर एक ही आकार के बनाता है ऐसे साइन संतुलित हस्ताक्षर कहलाते हैं। जानिए कैसे होते हैं ऐसे लोग

-ऐसे व्यक्ति बहुत ही व्यवहारकुशल होते हैं।

- संतुलित हस्ताक्षर करने वाले लोग अपने कार्यों एवं इरादों पर दृढ़ रहते हैं।

- ऐसे व्यक्ति जो भी निर्णय लेते हैं, वह स्वतंत्र होता है।

- ज्यदातर ये देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति व्यवसाय से ज्यादा नौकरी में सफल होते हैं।

- इस तरह के लोग जल्द कामयाबी हासल करने की तीव्र इच्छा इनमें रहती है।

- ऐसे साइन करने वाले लोगों का व्यक्तित्व दूसरो आकर्षित करने मे प्रबल होता है।

- इनके विचारों से प्रभावित होने वालो की संख्या ज्यादा होती हैं।




शनिवार को इन आसान गणेश मंत्रों के ध्यान से होती है शनि कृपा

व्यावहारिक रूप से संस्कार, स्वभाव या संगत के प्रभाव से नियत कर्म, विचार, व्यवहार भी इंसान के लिए वक्त व हालात मुश्किल बनाते हैं। चाहे फिर वह शरीर, मन या धन की पीड़ाएं क्यों न हो? इसलिए अच्छाई ही सुख का आधार बताई गई है। जिसे अपनानें में व्यर्थ तर्क व विचारों में नहीं पडऩा चाहिए।

वहीं इसी बात का धार्मिक स्वरूप जानें तो शास्त्रों के मुताबिक सूर्य पुत्र शनि कर्मां के मुताबिक जगत के सभी जीवों को दण्ड देते हैं। हालांकि उनकी सजा प्रताडऩा के रूप में समझी जाती है, बल्कि असल में यह दोष निवृत्ति व आत्म चिंतन का काल होता है।

बहरहाल, धार्मिक दृष्टि से शनि पीड़ा कुण्डली में बुरे ग्रह योग या शनि दशा या दोष से क्यों न हो? उसके शमन के लिए विशेष देवताओं की उपासना और काल का भी महत्व बताया गया है। इनमें भगवान श्री गणेश भी एक हैं।

मान्यताओं में शनि, शिव भक्त व श्री गणेश भी शिव पुत्र हैं। वहीं पौराणिक कथा के मुताबिक शनि की क्रूर नजरों से गणेश के सिर छेदन के बाद शनि, मां पार्वती द्वारा शापग्रस्त हुए, तब शनि ने शापमुक्ति के लिये भगवान विष्णु द्वारा बताई  गणेश भक्ति की। यही कारण है कि गणेश पूजा शनि दोष का अंत करने वाली भी मानी गई है।

शनिवार शनि भक्ति का दिन है। यहां जाने श्री गणेश के कु छ छोटे-से मंत्र जिनका शनि मंदिर या गणेश मंदिर में बैठकर स्मरण करना परेशानियों और कष्ट-पीड़ा से मुक्त करता है -

- शनिवार को शनिदेव को सरसों तेल, काले तिल व सुगंधित फूल, काला वस्त्र तेल के पकवान का भोग चढ़ाएं। श्री गणेश को सिंदूर, चंदन, फूल व मोदक का भोग लगाकर धूप व तिल के तेल का दीप जलाएं व भगवान गणेश के इन मंत्रों का ध्यान करें या रुद्राक्ष माला से जप कर शनि व गणेश की आरती सुख की कामना से करें -

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं गणेश्वराय ब्रह्मस्वरूपाय चारवे।

सर्वसिद्धिप्रदेशाय विघ्रेशाय नमो नम:।।

या

ॐ क्लीं ह्रीं विघ्रनाशाय नम:। इस मंत्र का स्मरण करें।

- इस मंत्र स्मरण के बाद शनि व गणेश की आरती करें व दोनों देवताओं कृपा की कामना करें।

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अनन्त चतुर्दशी 11 को, इस व्रत से घर में आएंगी खुशियां

भाद्रमास मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी अनन्त चतुर्दशी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान अनन्त की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं सौभाग्य की रक्षा एवं सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। दस दिवसीय गणेशोत्सव की समापन भी इसी दिन होता है। इस बार अनन्त चतुर्दशी का पर्व 11 सितंबर, रविवार को है।

व्रत विधि

इस दिन व्रती महिला को सुबह व्रत के लिए संकल्प लेना चाहिए व भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। भगवान विष्णु के सामने 14 ग्रंथियुक्त अनन्त सूत्र(14 गांठ युक्त धागा, जो बाजार में धागे के रूप में मिलता है) को रखकर भगवान विष्णु के साथ ही उसकी भी पूजा करनी चाहिए। पूजा में रोली, मोली, चंदन, फूल, अगरबत्ती, धूप, दीप, नैवेद्य आदि का प्रयोग करना चाहिए और प्रत्येक को समर्पित करते समय ऊँ अनन्ताय नम: नम: का जप करना चाहिए। पूजा के बाद यह प्रार्थना करें-

नमस्ते देवदेवेशे नमस्ते धरणीधर।

नमस्ते सर्वनागेंद्र नमस्ते पुरुषोत्तम।।

न्यूनातिरिक्तानि परिस्फुटानि

यानीह कर्माणि मया कृतानि।

सर्वाणि चैतानि मम क्षमस्व

प्रयाहि तुष्ट: पुनरागमाय।।

दाता च विष्णुर्भगवाननन्त:

प्रतिग्रहीता च स एव विष्णु:।

तस्मात्तवया सर्वमिदं ततं च

प्रसीद देवेश वरान् ददस्व।।

प्रार्थना के पश्चात कथा सुनें तथा रक्षासूत्र पुरुष दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में बांध लें। रक्षासूत्र बांधते समय इस मंत्र का जप करें-

अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव।

अनन्तरूपे विनियोजितात्मामाह्यनन्तरूपाय नमोनमस्ते।।

इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर व दान देने के बाद स्वयं भोजन करें। इस दिन नमक रहित भोजन करना चाहिए।


कल 5 देव शक्तियों की पूजा का दुर्लभ योग..ये 5 इच्छाएं जल्द होंगी पूरी

हिन्दू धर्म में ईश्वर के पांच स्वरूप व शक्ति पूजनीय है। सारी सृष्टि इन शक्तियों के अधीन मानी गई है। ये पंचदेव के नाम से भी प्रसिद्ध है। ये पांच देवता हैं- सूर्य, शक्ति  या दुर्गा, शिव, गणेश व विष्णु। इन देवी-देवताओं की उपासना जीवन से जुड़ी अलग-अलग कामनासिद्धि के लिये भी श्रेष्ठ मानी गई है।

कल हिन्दू पंचांग भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी यानी अनंत चतुर्दशी (11 सितंबर), जो गणेश जन्मोत्सव का भी अंतिम दिन माना जाता है, पर इन पांच देव शक्तियों की उपासना व पूजा का ही अद्भुत व पुण्य योग बना है। कैसे बना यह संयोग जानते हैं? -

- इस बार अनंत चतुर्दशी तिथि का योग रविवार के साथ बना है। चतुर्दशी तिथि गणेश जन्मोत्सव के अंतिम दिन गणेश विसर्जन के साथ गणेश भक्ति की विशेष घड़ी है।

- इसी तिथि के स्वामी श्री गणेश के पिता भगवान शिव हैं। शिव व शक्ति को एक-दूसरे के बिन निस्तेज व अधूरा माना गया है। इसलिए इस दिन शक्ति आवाहन भी शुभ है।

- इस तिथि पर जगतपालक भगवान विष्णु के अनंतनारायण स्वरूप की पूजा का महत्व भी है।

- रविवार का दिन सूर्यदेव की उपासना का विशेष दिन है।

इस तरह अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश के साथ शिव, दुर्गा, सूर्य व विष्णु की पूजा से जीवन से जुड़ी नीचे लिखी पांच अहम इच्छाओं को पूरा करने वाली होगी। जानें कौन-से देवी-देवता करेंगे किस इच्छा को पूरा -

श्री गणेश - बुद्धि, ज्ञान देकर व विघ्रनाश द्वारा सफलता की कामना।

सूर्यदेव - स्वास्थ्य, ऊर्जा और सौंदर्य देकर निरोगी जीवन की कामना।

शिव - आत्म संयम व अनिष्ट नाश कर शांति व सुख की कामना।

शक्ति - हर दोष, दुगुर्णो का अंत कर शक्ति संपन्नता की कामना।

विष्णु - कलह का अंत व गुण व दक्षता बढ़ाकर पालन-पोषण में सबलता।

अगर आप भी ऐसी ही कामना को जल्द पूरा करना चाहें तो इस दुर्लभ योग पर यथाशक्ति इन देवताओं की प्रसन्नता के उपाय करना न चूकें।

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ऐसे सिद्ध करें काली हल्दी, बेशुमार दौलत मिलेगी

तंत्र शास्त्र में काली हल्दी का उपयोग अनेक क्रियाओं में किया जाता है लेकिन इसके पहले इसे सिद्ध करना पड़ता है। इसकी विधि इस प्रकार है-

- धन प्राप्ति के लिए काली हल्दी यानी हरिद्रा तंत्र की साधना शुक्ल या कृष्ण पक्ष की किसी भी अष्टमी से शुरु की जा सकती है। इसके लिए पूजा सूर्योदय के समय ही की जाती है।

- सुबह सूर्यादय से पहले उठकर स्नान कर पवित्र हो जाएं।

- स्वच्छ वस्त्र पहनकर सूर्योदय होते ही आसन पर बैठें। पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। ऐसा स्थान चुनें, जहां से सूर्यदर्शन में बाधा न आती हो।

- इसके बाद काली हल्दी की गाँठ का पूजन धूप-दीप से पूजा करें। उदय काल के समय सूर्यदेव को प्रणाम करें। आपके समक्ष रखी काली हल्दी की गाँठ को नमन कर भगवान सूर्यदेव के मंत्र 'ओम ह्रीं सूर्याय नम:' का 108 बार माला से जप करें।

- यह प्रयोग नियमित करें ।



- पूजा के साथ-साथ अष्टमी तिथि को यथासंभव उपवास रखें व ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

- हरिद्रा तंत्र की नियम-संयम से साधना व्रती को मनोवांछित और अनपेक्षित धन लाभ होता है। रुका धन प्राप्त हो जाता है। परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इस तरह एक हरिद्रा यानि हल्दी घर की दरिद्रता को दूर कर देती है। 




अद्भुत मंत्र, जो दिलाता है पितृ दोष से मुक्ति

धर्म शास्त्रों के अनुसार मंत्रों में इतनी शक्ति होती है कि वह सभी प्रकार की बाधाओं का नाश कर सकती है। यदि मंत्र जप पूरे विधि-विधान से किया जाए तो ऐसी कोई बाधा या दोष नहीं जिसका निवारण नहीं हो सकता। नीचे ऐसा ही एक मंत्र दिया गया है जिसका जप करने से पितृ दोष का प्रभाव अप्रत्याशित रूप से कम हो जाता है व पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष में इस मंत्र का जप करना श्रेष्ठ रहता है इसके अलावा प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि को भी इसका जप कर सकते हैं।



मंत्र

ऊँ सर्व पितृ प्रं प्रसन्नों भव ऊँ



जप विधि

- पितृ पक्ष में प्रत्येक दिन व प्रत्येक मास की अमावस्या तिति को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर भगवान सूर्य नारायण की ओर मुख करके उनका पूजन करें व अध्र्य दें।

- इसके बाद कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जप करें।

- कम से कम 5 माला जप अवश्य करें।

- एक ही समय, स्थान, माला व आसन होने से शीघ्र लाभ होता है।



लोन चुकाना है, पैसों की परेशानी है, बस ये करें...

लोन लेना बहुत जरूरी था लेकिन आज तक नहीं चुका पाएं और यही टेंशन है कि कैसे चुका पाएंगे तो ज्योतिष के अनुसार मंगल देव के उपाय कर के देखें। कुछ ही दिनों में आपका लोन पूरी तरह चुक जाएगा। ज्योतिष में लोन, उधार और ऋण का कारक ग्रह मंगल को ही माना गया है। ज्योतिष के नजरिये से देखें तो मंगल देव की कृपा से ही आपकी लोन की टेंशन खत्म हो जाएगी।



क्या उपाय करें मंगल देव के लिए-

- मंगल देव के अनुसार रोज लाल गाय की पूजा करें।

- लाल कपड़े में मसुर की दाल रखकर दान दें।

- हर मंगलवार हनुमान जी को तेल का दीपक लगाएं।

- बजरंग बाण के पाठ करें।

- बहती नदी में तांबे के पात्र में गुड़ रखकर दान दें।

- रात को सोते समय तांबे के बर्तन में पानी भर कर सोएं  और सुबह कांटेदार पेड़ पोधे में डाल दें।

- मंगलवार को हनुमान मंदिर में लाल कपड़े, गुड़ चने आदि का दान दें।

- 21 मंगलवार तक हनुमान जी को चमेली का तेल, केवड़े का इत्र और 5 गुलाब के फूल चढ़ाएं।



सम्मोहन का एक ऐसा मंत्र जो आपकी किस्मत चमका देगा

सम्मोहन क्या है? कोई जादू है या चमत्कार है जिससे इंसान अपने मनचाहे काम किसी दूसरे इंसान से करवा सकता है। सम्मोहन को समझना हर कोई चाहता है क्योंकि सभी समझते हैं कि सम्मोहन वह कला है जो अगर आपको आ जाए तो आप किसी को भी अपने बस में कर सकते हैं। दरअसल ये इसी कारण होता है क्योंकि हम सम्मोहन का वास्तविक अर्थ नहीं समझ पाते हैं। अधिकतर लोग समझते हैं कि सम्मोहन वह अवस्था है जिसमें मनुष्य अवचेतनअवस्था में रहता है। न तो वह जागता रहता है न ही वह सोता रहता है। उसकी इंद्रिया उसके वश में होती है। वह सब कुछ करता है लेकिन सम्मोहन करने वाले के इशारों पर। 

वह अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता में नहीं होता है।

हां यह बात सही भी है। लेकिन भगवान ने हम सभी को भीतर एक सम्मोहन दिया है जिसे हम समझ नहीं पाते हैं। लेकिन एक सच और है वह यह कि सम्मोहित वही होता है जो होना चाहता है। हम सब के भीतर अवचेतन मन में एक सम्मोहन क्षमता है। यही कारण है कि जब हम अपने अंतर मन की आवाज को वाकई सुनते हैं। ऐसा अक्सर लोगों के साथ तब होता है जब उन्हें तुरंत निर्णय लेना होता है और वह फैसला सही साबित होता है। यही कारण है कि जब हम कठिन परिस्थिति में कोई निर्णय लेते हैं तो हमें चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं क्योंकि वही समय होता है जब चेतन मन और अवचेतन मन का संधि काल होता है।

इसका कारण यही है कि उस अवस्था में हम अपने अवचेतन मन की आवाज सुन रहे होते हैं बस यही सम्मोहन कला है। उस समय मन का वश आपके ऊपर नहीं चलता बल्कि आप मन पर अपना वश चला रहे होते हैं। जैसे जब हमें गुस्सा आता है तो हम उस पर नियंत्रण नहीं कर पाते। लेकिन बाद में हमें अपने ही गुस्से पर गुस्सा आने लगता है। कारण यही है कि उस समय हमारा पूरा ध्यान गुस्से पर होता है न कि किसी और चीज पर। उस समय हम सम्मोहन में होते हैं अपने गुस्से के सम्मोहन में।

बस ऐसा ही जीवन में हर चीज को पाने के लिए सम्मोहन का सिद्धांत ही काम करता है। जब आप किसी चीज पूरी तरह ध्यान लगा रहे होते हैं तो वह आपकी तरफ अपने आप चली आती है। बस देर है तो मन को याद दिलाने की। आपकी जरूरत क्या है यह याद करने की। जब आप किसी चीज को बार-बार मन को दोहराते हैं और सोच को सकारात्मक रखते हैं तो ऐसी कोई चीज नहीं जिसे आप नहीं पा सकते हैं या कहें सम्मोहित कर सकते हैं। अगर आप ऐसा करने लगेंगे तो ये सारी सृष्टि आपके लिए काम करने लगेगी आपको सहयोग करने लगेगी।















कल शनिवार को पीपल के नीचे करें ये उपाय, खत्म होगा बुरा समय

अधिकांश लोगों को शनि दोष की वजह से जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार शनि को न्यायाधिश का पद प्राप्त है। अत: सभी लोगों के अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव प्रदान करते हैं। इसी वजह से इन्हें क्रूर देवता माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हो तो उसे जीवनभर संघर्ष देखना पड़ता है।

शनि के बुरे प्रभावों को दूर करने या कम करने के कई उपाय बताए गए हैं। शनिवार के दिन शनि दोषों से निवारण के लिए कुछ खास उपाय हैं, जिन्हें अपनाने से निश्चित ही व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है। यदि आप भी शनि की वजह से जीवन में अत्यधिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं तो यह उपाय प्रति शनिवार को करें।

प्रति शनिवार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं। नीले रंग के वस्त्र धारण करें। किसी पीपल के वृक्ष की ओर जाएं। अपने साथ दीपक, तेल, रुई की बत्ती आदि पूजन सामग्री भी साथ ले जाएं। इसके बाद पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर शनि देव का ध्यान करें और अशुभ प्रभावों को दूर करने की प्रार्थना करें।

इस प्रकार तैयार करें दीपक?

ध्यान रहे दीपक ऐसा हो जिसके चार मुख हो मतलब जिस दीपक को एक साथ चार जगह से जलाया जा सके। इस प्रकार दीपक में दो रुई की लंबी बत्तियां लगाएं और दोनों बत्तियों के चार मुंह दीपक से बाहर निकालें। अब चारों ओर से दीपक को जलाएं।

यह दीपक पीपल के वृक्ष के नीचे रखें और शनिदेव से प्रार्थना करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष की सात परिक्रमा लगाएं।

पुन: घर लौटकर एक कटोरी में तेल लें, उसमें अपना चेहरा देखें और इस तेल का दान करें। इस प्रकार यह उपाय अपनाने से शनि दोषों का प्रभाव अवश्य कम हो जाएगा। ध्यान शनि बुरे कर्मों का बुरा फल देते हैं अत: बुरे कर्मों से दूर रहें। अन्यथा और अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।


गुरु-शनि की राशि में बुध, किसी को पैसा मिलेगा तो किसी को परेशानियां...

पूर्व में बताया गया था कि मेष लग्न की कुंडली में सप्तम और अष्टम भाव में बुध हो तो क्या प्रभाव पड़ता है? अब जानिए यदि किसी व्यक्ति की मेष लग्न की कुंडली के नवम एवं दशम भाव में बुध हो तो क्या फल प्रदान करता है-

मेष लग्न की कुंडली में बुध नवम भाव में हो तो...

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मेष लग्न की है और उसके नवम भाव में बुध स्थित है तब उस व्यक्ति को भाग्य का साथ बहुत कम प्राप्त होगा। नवम भाव गुरु की धनु राशि है। इस भाव में बुध होने से व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बाद ही सफलता और पैसा प्राप्त कर पाता है।  शत्रुओं के संबंध में व्यक्ति को विजय मिलेगी। इन लोगों का भाग्य भाई-बहनों के संबंध में साथ देता है। इन्हें छोटी-छोटी सफलताओं के लिए कड़ी मेहनत करना पड़ती है।

मेष लग्न की कुंडली के दशम भाव में बुध हो तो...

कुंडली में दशम भाव मकर राशि का स्वामी शनि है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मेष लग्न की है और उसमें शनि की राशि में बुध स्थित है तो व्यक्ति को जीवनभर समाज और पैसों से जुड़ी बहुत सी उपलब्धियां प्राप्ति होती है। दसवां भाव पिता से संबंधित होता है। अत: व्यक्ति को पिता से भी सहयोग प्राप्त होता है। इन लोगों को मेहनत का उचित परिणाम प्राप्त होता है। समाज में इन्हें मान-सम्मान मिलता है। व्यक्ति को माता, भूमि आदि के संबंध में सुख की कमी रहती है।

आगे पढि़ए मेष लग्न की कुंडली में बुध यदि एकादश या द्वादश भाव में हो तो, क्या फल प्राप्त होते हैं...




लकी चार्म: निकल पड़ेगी प्यार पैसा और करियर की गाड़ी

किस्मत, प्यार और पैसों से जुड़ी हर परेशानी को दूर करना है तो राशि अनुसार लकी  चार्म का उपयोग करें। अगर लकी चार्म अपने साथ रखें तो प्यार और पैसों में भी किस्मत का हमेशा साथ मिलता है।

जी हां, ज्योतिष के अनुसार हर राशि का किसी न किसी वस्तु पर अपना विशेष प्रभाव होता है। ऐसी वस्तुए हमेशा साथ रखने से राशि और ग्रहों का शुभ प्रभाव पड़ता है। ये वस्तएं लकी चार्म कहलाती है। अगर आप चाहते हैं आपके हर काम बने तो लकी चार्म अपने पास रखें।



मेष- मेष राशि वाले लकी चार्म के रूप में लाल हकीक अपने साथ रखें।

वृष- वृष राशि वाले अगर सफेद कोड़ी को लकी चार्म के रूप में अपने पास रखें तो किस्मत हमेशा साथ देती है।

मिथुन- गणेश रूद्राक्ष मिथुन राशि वालों के लिए लकी रहेगा।

कर्क- आपकी राशि का स्वामी चंद्रमा है इसलिए चांदी का चंद्रमा कर्क राशि वालें हमेशा अपने साथ रखे तो हर काम बनते चले जाएंगे।

सिंह- सिंह राशि वालें सोने या तांबे का बना सूर्य का लॉकेट साथ में रखें या पहनें यही आपका लकी चार्म होगा।

कन्या- राशि के अनुसार गणेश जी का लॉकेट आपके लिए लकी चार्म साबित होगा।  इसे पहने या अपने साथ रखें।

तुला- इस राशि वालों के लिए लकी चार्म के रूप में गौमती चक्र सर्वश्रेष्ठ रहेंगे।

वृश्चिक- मंगल की इस राशि के लोग हाथी दांत से बनी किसी भी वस्तु का लॉकेट गले में पहनें या अपने साथ रखें।

धनु- इस राशि का स्वामी गुरु है इसलिए आप हल्दी की गांठ को अपना लकी चार्म बनाएं।

मकर- फिरोजा रत्न लॉकेट में बना कर पहने तो वो आपके लकी चार्म का काम करेगा।

कुंभ- शनि देव की राशि के लोग अष्ट धातु की अंगुठी को अपना लकी चार्म बना कर पहनें।

मीन- इस राशि के लोग लकी चार्म के लिए गोल्ड से बनी कोई भी वस्तु अपने साथ रख सकते हैं।



श्राद्ध पक्ष में क्या करें, क्या न करें?

पितरों को तृप्त करने वाला श्राद्ध पक्ष का आरंभ हो चुका है। हमारे धर्म शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष के दिनों में कई कार्यों पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस दौरान कुछ खास कार्य किए जाने चाहिए जिनसे हमारे पितर खुश होते हैं।

ऐसा माना जाता है कि यदि हमारे पितर हमसे संतुष्ट नहीं होंगे तो भगवान भी हमें कोई शुभ फल प्रदान नहीं करते हैं इसलिए पितरों को प्रसन्न रखने के लिए वर्जित कार्यों से दूर रहना चाहिए।

श्राद्ध में वर्जित कार्य

इन दिनों हमें पान नहीं खाना चाहिए। बॉडी मसाज या तेल की मालिश नहीं करना चाहिए। किसी और का खाना नहीं खाना चाहिए। इन दिनों के लिए विशेष रूप से संभोग को वर्जित किया गया है। इन नियमों का पालन न करने पर हमें कई दु:खों को भोगना पड़ता है। इन दिनों खाने में चना, मसूर, काला जीरा, काले उड़द, काला नमक, राई, सरसों आदि वर्जित मानी गई है अत: खाने में इनका प्रयोग ना करें।

श्राद्ध में यह कार्य करें

श्राद्ध के दिनों में तांबे के बर्तनों का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। पितरों का श्राद्ध कर्म या पिण्डदान आदि कार्य करते समय उन्हें कमल, मालती, जूही, चम्पा के पुष्प अर्पित करें। श्राद्धकाल में पितरों के मंत्र (ऊँ पितृभ्य स्वधायीभ्य स्वधा नम: पितामयभ्य: स्वधायीभ्य स्वधा नम: प्रपितामयभ्य स्वधायीभ्य स्वधा नम:) का जप करें। इस मंत्र से पितरों सहित सभी देवी-देवता आपसे प्रसन्न होंगे।




घर में इस दिशा में श्री गणेश बैठाकर करें पूजा..चलेगा दिमाग, मिलेगा पैसा

बुद्धि, ज्ञान और धन जीवन की ऐसी जरूरते हैं, जिनमें से एक के भी अभाव से पैदा रुकावटें जीवन में निराशा और असफलता ही लाती है। इन जरूरतों और विघ्रों से बचने के लिए ही हिन्दू धर्म में भगवान गणेश की पहली पूजा शुभ मानी गई है।

खासतौर पर घर में श्री गणेश की स्थापना सुख-समृद्ध बनाने वाली मानी गई है। वैसे तो किसी भी रूप में गणेश पूजा अशुभ नहीं, किंतु शास्त्रों में बताई दिशा को ध्यान रख भगवान गणेश की प्रतिमा देवालय में रखी जाए तो यह अपार बुद्धि, धन और ज्ञान की कामनाएं सिद्ध करती हैं। जानते हैं कौन-सी है यह दिशा?

शास्त्र लिखते हैं कि -

हेरम्बं तु यदा मध्ये ऐशान्यामच्युतं यजेत्।

आग्रेय्यां पञ्चवक्त्रं तु नैऋत्यां द्युमणि यजेत्।

वायव्यामम्बिकां चैव यजेन्नित्यमतन्द्रित:।।

इस मंत्र द्वारा बताया गया है कि घर की ईशान यानी उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित देवालय में भगवान गणेश की प्रतिमा पश्चिम दिशा की ओर मुख कर रखें। अगर पंचदेवता बैठाएं तो श्री गणेश को बीच में विराजित करें।

- श्री गणेश से ईशान दिशा यानी उत्तर-पूर्व में श्री विष्णु,

- आग्रेय यानी दक्षिण-पूर्व में शंकर, 

- नैऋत्य यानी दक्षिण-पश्चिम में सूर्य और

- वायव्य यानी उत्तर-पश्चिम दिशा में मां दुर्गा बैठाएं।

शास्त्रों में ईशान दिशा स्वर्ग की दिशा और इस दिशा में मुख कर मंत्र ध्यान या जप ज्ञान और ज्ञान से बुद्धि व धन की वृद्धि करने वाला माना गया है।



आने से पहले कुछ ऐसे इशारे करती है धन लक्ष्मी..

जी हां, अगर लक्ष्मी आप पर खुश है तो आपको उसका इशारा या संकेत जरूर मिलेगा। हमारे दैनिक जीवन में कई बातें, इशारें या संकेत ऐसे होते है जो होते तो सामान्य है लेकिन हम उन पर ध्यान नहीं देते या उन्हे सही समय पर समझ नहीं पाते। अगर उनको समझा जाए तो धन संबंधित कोई बड़ा लाभ हो सकता है।



जानें, वो कैसे संकेत हैं जो लक्ष्मी खुश होने पर आपको देती है।

अगर आपके शरीर के दाहिने भाग में या सिधे हाथ में खुजली हो रही है तो समझे लक्ष्मी आने वाली है।

- बैंक में पैसे जमा करने जाते वक्त अगर रास्ते में गाय आ जाए तो आपके धन संबंधित सभी काम पूरे होते हैं।

- अगर रास्ते मे सुंदर स्त्री या कन्या दिख जाए तो भी इसे शुभ मानना चाहिए।

- लेन-देन के समय भी पैसा हाथ से छूट जाए तो समझना चाहिए धन लाभ होगा।

- अगर आपके यहाँ सोकर उठते से ही सुबह सुबह कोई भिखारी मांगने आ जाए तो ये समझना चाहिए आपके द्वारा दिया गया पैसा (उधार) बिना माँगे वापस आ जाएगा। ऐसे व्यक्ति को कभी खाली हाथ न लौटाएं।

- अगर आप धन संबंधित काम के लिए कहीं जाने के लिए कपड़े पहन रहे हैं और जेब से पैसे गिरें तो यह आपके लिए धन प्राप्ति का संकेत हैं।

- कहीं जाते समय नेवले द्वारा रास्ता काटना या नेवले का दिखना शुभ संकेत होता है। नेवला दिखना धन लाभ का संकेत होता है।

- आप सोकर उठे हों और उसी समय नेवला आपको दिख जाए तो गुप्त धन मिलने की संभावना रहती है।

- दिन में नेवला दिखना ठीक नहीं माना जाता, फिर भी कई स्थानों पर यह काल से बचाने वाला, धन प्राप्ति कराने वाला होता है।



मनोकामना पूर्ति के अचूक गुप्त उपाय

हर मनुष्य की कुछ मनोकामनाएं होती है। कुछ लोग इन मनोकामनाओं को बता देते हैं तो कुछ नहीं बताते। चाहते सभी हैं कि किसी भी तरह उनकी मनोकामना पूरी हो जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। यदि आप चाहते हैं कि आपकी सोची हर मुराद पूरी हो जाए तो नीचे लिखे प्रयोग करें। इन टोटकों को करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।

उपाय

- तुलसी के पौधे को प्रतिदिन जल चढ़ाएं तथा गाय के घी का दीपक लगाएं।

- रविवार को पुष्य नक्षत्र में श्वेत आक की जड़ लाकर उससे श्रीगणेश की प्रतिमा बनाएं फिर उन्हें खीर का भोग लगाएं। लाल कनेर के फूल तथा चंदन आदि के उनकी पूजा करें। तत्पश्चात गणेशजी के बीज मंत्र (ऊँ गं) के अंत में नम: शब्द जोड़कर 108 बार जप करें।

- सुबह गौरी-शंकर रुद्राक्ष शिवजी के मंदिर में चढ़ाएं।

- सुबह बेल पत्र (बिल्ब) पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर मनोरथ बोलकर शिवलिंग पर अर्पित करें।

- बड़ के पत्ते पर मनोकामना लिखकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोरथ पूर्ति होती है। मनोकामना किसी भी भाषा में लिख सकते हैं।

- नए सूती लाल कपड़े में जटावाला नारियल बांधकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

इन प्रयोगों को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाएंगी।

धन वशीकरण का गुप्त उपाय

इस भौतिकता प्रधान युग में यदि इंसान के पास पर्याप्त धन, उत्तम स्वास्थ्य, समाज में प्रतिष्ठा और परिचितों में मान-सम्मान हो तो फिर स्वर्ग की कामना कोई क्यों करे। ये कुछ ऐसी इनायतें हैं जो किसी नसीब वाले को ही हांसिल होती हैं। लेकिन किसी का पुरुषार्थ तो तभी सार्थक है जब वह अपना नसीब खुद ही रचे। हर मंजिल तक पहुंचने का एक सार्टकट तरीका जरूर होता है। टोटका भी ऐसा ही लघुमार्ग है। आजमाएं इन टोटकों को जो, बेहद मददगार हैं-

धन और यश प्राप्ति हेतु:  पुष्य नक्षत्र अथवा अन्य किसी सुभ मुहूर्त में सफेद आक की जड़ किसी ताबीज में भरकर धारण करें। धारण करने से पूर्व पंचोपचार से उसका पूजन करें। साथ ही नीचे दिये गए मंत्र का १०८ बार जप करें। कार्य में वांक्षित सफलता मिलने तक नियमित रूप से सूर्योदय से पूर्व पीपल वृक्ष की जड़ों में जल चढ़ाएं।

लक्ष्य पाना है तो इस मंत्र का जप करें

हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई लक्ष्य अवश्य होता है। लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मेहनत भी करनी पड़ती है और बाधाएं भी आती हैं। ऐसे में कुछ लोग बाधाओं से घबराकर लक्ष्य प्राप्त किए बिना ही पीछे हट जाते हैं जबकि कुछ लोग हिम्मत से सभी बाधाओं को दूर करते हुए अपना लक्ष्य प्राप्त करते हैं। यदि आपके लक्ष्य की प्राप्ति में कोई बाधा आ रही है तो नीचे लिखे मंत्र का जप करें। इस मंत्र के जप से सभी प्रकार की बाधाएं शांत हो जाती हैं।

मंत्र

ऊँ नम: शान्ते प्रशान्ते ऊँ ह्रीं ह्रां सर्व क्रोध प्रशमनी स्वाहा।।



जप विधि

प्रतिदिन सुबह मुंह धोते समय इक्कीस बार इस मंत्र का पाठ करें और शाम को शक्कर मिलाकर पीपल की जड़ में पानी डालने सभी बाधाओं का नाश हो जाएगा।

आओ नजर उतारे-सत्यज्ञ


    यदि किसी बालक या व्यक्ति को नजर लग जाए तो यहां लिखे पांच प्रयोग में से कोई एक प्रयोग को करके नजर उतार सकते हैं- 
1. नजर लगे बच्चे या व्यक्ति पर से साबूत लालमिर्च ओसारकर जलती आग में डालें। ओसारने का काम बाएं हाथ से करें। यह प्रयोग तीन दिन तक करें और करते समय कोई टोके नहीं।
2. बालक के पालने में एक साबुत लाल मिर्च, सिन्दूर, एक लोहे की कील, साबूत उड़द के सात दाने सफेद पोटली में बांधकर लटकाने से नजर से बचाव होता है।
3. गाय का कच्चा दूज मिट्टी के सकोरे में रखकर नजर लगे बालक या व्यक्ति के सिर पर से सात बार बाएं हाथ से ओसारकर कुत्ते को पिला देने पर नजर उतर जाती है।
4. नजर लगे बच्चे पर बाएं हाथ से सात बार चप्पल ओसारकर जमीन पर पटकने से नजर उतरती है।
5. नजर लगे बच्चे या व्यक्ति पर बाएं हाथ से सात बार कोरा कपड़ा ओसारकर अपनी टांग के नीचे से निकालकर जलती आग पर डालने से नजर उतरती है। यह प्रयोग रविवार या बुधवार को करें।

विदेश यात्रा कराने वाला अनुभूत मन्त्र




    बहुत प्रयास के उपरान्त भी विदेश में नौकरी न लग रही हो या व्यापारिक लाभ नहीं हो पा रहा हो, विदेश यात्रा में बाधा आ रही हो तो आपको इस अनुभूत प्रयोग को अवश्य करना चाहिए।
    दिन या रात्रि किसी भी समय इस प्रयोग को कर सकते हैं। दिन शुभ व शुक्लपक्ष का शुक्रवार चुनें। आसन पर पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। दक्षिणवर्ती शंख व घी का दीपक सामने चौकी पर रख लें। केसर से स्वस्तिक चिह्‌न शंख पर बनाकर, पुष्प चढ़ाकर व धूपदीप आदि जलाकर स्फटिक की माला से पांच दिन में 11000 मन्त्र का जाप करना चाहिए। जाप पूर्ण हो जाने पर दक्षिणवर्ती शंख सफेद वस्त्र में लपेट करके सन्दूक या अपने ब्रीफकेस में रख देना चाहिए। मन्त्र इस प्रकार है-
ऊं अनंग वल्लभाये विदेश गमनार्थ कार्य सिद्धयर्थे नमः।
    इस प्रयोग में अंकित मन्त्रा को नियमित जपते रहना चाहिए इससे विदेश लाभ के अवसर जीवन में बार-बार आते हैं। आस्था व विश्वास के साथ किया गया यह प्रयोग निश्चय ही आपको विदेश यात्रा एवं वहां से लाभ कराएगा।
 

शरीर पर तिल और उसका प्रभाव


   
    कहा जाता है कि शरीर पंच तत्त्वों से निर्मित है। शरीर है और शरीर पर अलग-अलग जगह तिल भी दिखाई देते हैं। शायर के शब्‍दों में-अब मै समझा तेरे रूखसार पर तिल का मतलब, दौलते हुस्न पर दरबान बिठा रखा है। स्त्रियों के चेहरे पर तिल उनकी सुंदरता में सदैव चार चांद लगा देता है। इन तिलों ने कवियों, शायरों, लेखकों, गीतकारों और प्रेमियों को सदैव प्रभावित किया है, तभी तो उनकी रचनाओं में तिल की चर्चा होती रहती है।
    काले चेहरे पर तिल अधिक आकर्षक नहीं लगता है पर गोरे और सावंले चेहरे पर तिल से सौंदर्य बढ़ जाता है और देखने वाला सहसा कह उठता है क्‍या खूब सुन्‍दरता है। यदि बहुमुखी प्रतिभा के साथ ऐसा हो तो फिर क्या कहना! शरीर के विभिन्न अंगों पर तिल के चिह्न को लेकर अनेक प्रकार की धारणाएं देखने, सुनने और पढ़ने को मिलती है। शरीर पर तिल होने पर कहते हैं कि यहां पर पूर्व जन्म में चोट लगी थी। इस तरह की कई बातें तिल के विषय में लोक प्रचलित हैं।
    कभी-कभी मन में आता है कि शरीर पर तिल हो तो उसका क्‍या प्रभाव होगा। अलग-अलग स्‍थान पर तिल के होने का अलग प्रभाव होता है। तिल का अंगानुसार प्रभाव इस प्रकार समझना चाहिए-
    माथे पर तिल हो तो जातक बलवान होता है। जिस व्‍यक्ति के ललाट पर दायीं तरफ तिल हो, उसे प्रतिभा का धनी माना जाता है और बायीं तरफ होने पर उसे फिजूलखर्च करने वाला माना जाता है। जिसके ललाट के मध्य में तिल हो, उस व्‍यक्ति को अच्छा प्रेमी माना जाता है।
    ठुड्डी पर तिल हो तो स्त्री से प्रेम नहीं रहता है पर व्यक्ति सफल और संतुष्ट होता है।
    दोनों भौहों के बीच तिल हो तो यात्रा बहुत करनी पड़ती है। दायीं भौं पर तिल वाले व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सफल रहता है।
    दाहिनी आंख पर तिल हो तो स्त्री से प्रेम होता है और बायीं आंख पर तिल हो तो स्‍त्री से विवाद या कलह होती है। किन्‍तु आंख पर तिल कंजूस प्रवृत्ति बनाता है। जिसके आंख के अंदर तिल हो, वह व्यक्ति कोमल हृदय अर्थात भावुक होता है।
    पलकों पर तिल जातक को संवेदनशील और एकांतप्रिय बनाता है।
    दाएं गाल पर तिल हो तो जातक धनी होता है और वैवाहिक जीवन सफल रहता है। बाएं गाल पर तिल हो तो जातक का खर्च बहुत होता है और संघर्षपूर्ण जीवन का द्योतक है।
    होंठ पर तिल हो तो विषय-वासना में रत रहे या अधिक रुचि रहे। कहने का तात्‍पर्य यह है कि जातक विलासी प्रवृत्ति का माना जाता है। जिसके मुंह के पास तिल होता है, वह एक न एक दिन धन प्राप्त करता है।
     नाक पर तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा।
    कान पर तिल हो तो जातक अल्‍पायु होता है, परन्‍तु वह धीर, गंभीर और विचारशील होता  है।
    गर्दन पर तिल हो तो बहुत आराम मिलता है और व्यक्ति अच्छा मित्र होता है।
    जिनके दायें कंधे पर तिल होता है, वे दृढ संकल्पित होते हैं।
    दाहिनी भुजा पर तिल हो तो मान-सम्‍मान मिले और यदि बायीं भुजा पर तिल हो तो जातक झगड़ालू होता है। नाक पर तिल हो तो भी यात्रा बहुत करनी पड़े।
    जिसके बायें कंधे पर तिल होता है, वह व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का होता है।
    कंधे और कोहनी के मध्य तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति में उत्सुक प्रवृत्ति का है।
    कोहनी पर तिल होना विद्वान होने का संकेत है।
    दाहिनी छाती पर तिल हो तो स्‍त्री से बहुत प्रेम हो और यदि बायीं छाती पर तिल हो तो स्‍त्री से बहुत झगड़ा होता है।
    कमर पर तिल हो तो जीवन परेशानियो से व्‍यतीत होता है। कमर पर दायीं ओर तिल होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति अपनी बात पर अटल रहने वाला और सच्चाई पसंद करने वाला है।
    दोनों छाती के मध्‍य में तिल हो तो जीवन सुख से बीतता है। 
    पेट पर तिल हो तो जातक अच्‍छा भोजन खाने में रुचि रखता है। पीठ पर तिल हो तो जातक यात्रा बहुत करता है।
    नाभि पर तिल मनमौजी प्रवृत्ति का संकेत है।
    टखना पर तिल इस बात का सूचक है कि आदमी खुले विचारों वाला है।
    कूल्हे पर तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति शारिरिक व मानसिक दोनों स्तर पर परिश्रमी होता है।
    दायीं हथेली पर तिल हो तो जातक शक्तिशाली होता है और बायीं हथेली पर तिल हो तो जातक बहुत खर्चीला होता है।
    दायें हाथ के ऊपर तिल हो तो जातक धनी होता है और बाएं हाथ के ऊपर तिल हो तो बहुत कम खर्च करता है। 
    जिस व्‍यक्ति के कोहनी और पोंहचे के मध्य कहीं तिल होता है, वह रोमांटिक प्रवृत्ति का होता है।   
    जिसके घुटने पर तिल हो, वह व्यक्ति सफल वैवाहिक जीवन जीता है।
    दाएं पैर में तिल हो तो जातक बुद्धिमान होता है और बाएं पैर पर तिल हो तो जातक बहुत खर्चीला होता है। पांव पर तिल लापरवाही का द्योतक है।
    जोड़ों पर तिल होना शारिरिक दुर्बलता की निशानी माना जाता है।
    तिल यदि बड़ा हो, तो शुभ होने के साथ अच्‍छा शकुन बढ़ाता है। यदि तिल पर बाल हो, तो वो शुभ नहीं माना जाता और न ही अच्छा भी लगता है। तिल गहरे रंग का हो, तो माना जाता है कि बड़ी बाधाएं सामने आएंगी और जिस अंग पर जो फल होगा वह अधिक मिलेगा। हल्के रंग का तिल शुभ होता है।
    यह सांकेतिक फल है और प्राय: ठीक बैठता है। किन्‍तु कई बार फल हास्‍यास्‍पद् सा जान पड़ता है।  कहने का तात्‍पर्य यह है कि जन्म से हमारे शरीर पर जो निशान बन जाते हैं, उनको लेकर समाज में अनेक धारणाएं व मान्यताएं प्रचलित हैं। इनका सत्‍य से कितना संबंध है, यह कहा नहीं जा सकता। फिर भी बहुत सारे लोग इन पर अत्‍यधिक विश्‍वास करते हैं।

बच्चों को वश में करने का अनुभूत मन्त्र प्रयोग





आजकल बच्चे नशे या कुकर्मों में लिप्त होकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। काम नहीं करते हैं और यूं ही समय बर्बाद करते हैं। कहना भी नहीं मानते हैं। अपने माता-पिता की चिन्ता का कारण बने हुए हैं। 
दीपावली, ग्रहण या किसी शुभ मुहूर्त्त में इस मन्त्र को सिद्ध कर लें। अमुक के स्थान पर जिस बच्चे को वश में करना है या कन्ट्रोल में लाना है उसका नाम लें। 
मन्त्र की दस माला करने के बाद लौंग, इलायची या मिसरी को 21 बार मन्त्र पढ़कर अभिमन्त्रित कर लें। बाद मे जिसका नाम लें उसे चाय में या प्रसाद में देकर खिला दें। वह बच्चा वश में हो जाएगा और आज्ञा मानेगा। यह प्रयोग पहली बार में सफल न हो तो पुनः करें। मन्त्र इस प्रकार है-
ऊं क्लीम्‌ क्लीम्‌ अमुकं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा।

तिलक कितना लाभकारी





   
    पूजन में तिलक लगाना महत्‍वपूर्ण एवं लाभकारी है। तिलक ललाट पर या छोटी सी बिंदी के रूप में दोनों भौहों के मध्य लगाया जाता है। मस्तिष्क में सेराटोनिन व बीटाएंडोरफिन नामक रसायनों का संतुलन होता है। इनसे मेघाशक्ति बढ़ती है तथा मानसिक थकावट के विकार नहीं होते हैं।
    मस्तक पर चंदन का तिलक सुगंध के साथ-साथ शीतलता देता है। ईश्‍वर को चंदन अर्पण करने का भाव यह है कि हमारा जीवन आपकी कृपा रूपी सुगंध से भर जाए एवं हम व्यवहार से शीतल रहें अर्थात् ठंडे दिमाग से कार्य करें। अधिकतर उत्तेजना में कार्य बिगड़ता है और चंदन लगाने से उत्तेजना नियंत्रित होती है। चंदन का तिलक लगाने से दिमाग में शांति, तरावट एवं शीतलता बनी रहती है।
    स्त्रियों को माथे पर कस्तूरी की बिंदी लगानी चाहिए। गणेश जी, हनुमान जी, दुर्गा माता जी या अन्य मूर्तियों से सिंदूर लेकर ललाट पर नहीं लगाना चाहिए, कारण है कि सिंदूर उष्ण होता है।
    वस्त्र धारण करने के उपरान्‍त उत्तर की ओर मुंह करके ललाट पर तिलक लगाना चाहिए। श्वेत चन्दन, रक्त चंदन, कुंकुम, मृत्रिका विल्वपत्र भस्म आदि कई पदार्थों से साधक तिलक लगाते हैं। विप्र यदि बिना तिलक के संध्या तर्पण करता है तो वह सर्वथा निष्फल जाता है। एक ही साधक को उर्ध्‍व पुण्डर तथा भस्म से त्रिपुंड नहीं लगाना चाहिए। चन्दन से दोनों प्रकार के तिलक किए जा सकते हैं।
    ललाट के मध्यभाग में दोनों भौहों से कुछ ऊपर ललाट बिंदु कहलाता है। सदैव इसी स्थान पर तिलक लगाना चाहिए।
    अनामिका उंगली से तिलक करने से शान्ति मिलाती है, मध्यमा से आयु बढ़ाती है, अंगूठे से तिलक करना पुष्टिदायक कहा गया है, तथा तर्जनी से तिलक करने पर मोक्ष मिलता है।
    विष्णु संहिता के अनुसार देव कार्य में अनामिका, पितृ कार्य में मध्यमा, ऋषि कार्य में कनिष्ठिका तथा तांत्रिक कार्यों में प्रथमा अंगुली  का प्रयोग होता है। 
    सिर, ललाट, कंठ, हृदय, दोनों बाहुं, बाहुमूल, नाभि, पीठ, दोनों बगल में, इस प्रकार बारह स्थानों पर तिलक करने का विधान है!
    विष्णु आदि देवताओं की पूजा में पीत चंदन, गणपति-पूजन में हरिद्रा चन्दन, पितृ कार्यों में रक्त चन्दन, शिव पूजा में भस्म, ऋषि पूजा में श्वेत चन्दन, मानव पूजा में केशर व चन्दन, लक्ष्मी पूजा में केसर एवं तांत्रिक कार्यों में सिंदूर का प्रयोग तिलक के लिए करना चाहिए।

जिसने जानी समय की चाल उसका न हुआ कभी बुरा हाल



    जीवन से मृत्‍यु तक की जीवन यात्रा हमारी आयु है। कुल आयु के एक दिन में चौबीस घंटे ही होते हैं। इन चौबीस घंटों में आपको करने हैं बहुत से कार्य। जब तक आप इन चौबीस घंटों का सही रीति से प्रबन्‍धन नहीं करेंगे तो इससे समय का अपव्‍यय होगा और आपका ढेर सारी हानि भी हो सकती है। जब तक आपको समय की सही चाल भान नहीं होगा और उसका प्रबन्‍धन भी नहीं करेंगे तो प्रत्‍येक पल हानि का ही होगा। समय का प्रबन्‍धन कैसे हो इसकी चर्चा यहां करेंगे।
    हर एक को ढेर से कार्य करने हैं। यदि समय पर कार्य न किया जाए तो कार्य भी नहीं बनता है और कार्य लंबित होने के कारण ढेर बढ़ता जाता है। कार्यों के भारी-भरकम ढेर के बोझ के चलते बहुत से कार्य करने भूल जाते हैं। इस भूल से कई कठिनाईयां और परेशानियां बढ़ जाती हैं। जब कार्य अधिक हो तो हड़बड़ाहट या जल्‍दी होना स्वाभाविक है। इस जल्‍दबाजी या समय पर कार्य के न करने से ही अनेक प्रकार के तनाव घेर लेते हैं जिनका स्‍वास्‍थ्‍य पर कुप्रभाव पड़ता है। कामकाजी महिलाओं के साथ तो ये स्थिति आसानी से आ सकती है क्‍योंकि उन्‍हें घर और बाहर के कार्य करने पड़ते हैं। ऐसी स्थिति से बचने की सरल रीति है-समय का प्रबन्‍धन। कार्य अधिक होने का यह तात्‍पर्य कदापि नहीं है कि हम अपने लिए नई परेशानियां उत्‍पन्‍न कर लें। आप दिन भर के कार्यों का लेखा-जोखा दिनांक सहित डायरी में लिखें। जो कार्य हो जाएं उनको काट दें और जो रह जाएं उन्‍हें अगले दिन की कार्य सूची में लिख लें। यदि आप प्रतिदिन के कार्य बनायी गई कार्य-सूची के अनुसार करेंगे तो कार्य भूलेगा भी नहीं और आसानी एवं समय से हो जाएगा। रात्रि को सोने से पूर्व दस मिनट कार्य-सूची बनाने में लगाएं। यदि दिन भर के कार्यों के लिए व्यवस्थित ढंग से समय का प्रबन्‍धन किया तो समय की चाल का प्रबन्‍धन आपके हाथों में होगा और आप बेवजह की मुश्किलों से बच सकते हैं।
    आज भागमभाग के जीवन में आप अनेक जिम्मेदारियों से नहीं बच सकते हैं। समय का प्रबन्‍धन सभी के लिए उपयोगी है, अब चाहे आप पुरुष हों, विद्यार्थी हों,  कामकाजी महिला हों या घरेलू महिला। कई बार घरेलू  महिलाएं भी यह शिकायत करती हैं कि सारा दिन घ्‍ार और रसोई में लगे रहो, ऐसे में अपने लिए तो बिल्कुल समय नहीं होता है। महिलाओं में ये विशेषता होती है कि समय के अभाव का रोना रोते हुए सबसे अधिक उपेक्षा वे अपने स्‍वास्‍थ्‍य की करती हैं। जिम जाने या घर पर व्यायाम के नाम पर उनके पास सीधा सा जवाब यह होता है- समय कहां हैं इन बेकार के कार्यों के लिए। ऐसा सोचना नकारात्‍मक है क्‍योंकि सत्‍य यही है कि अच्‍छे जीवन के लिए घर-परिवार के साथ स्‍वयं का ध्‍यान रखना अत्‍यावश्‍यक है।
     सब कुछ भली-भांति से हो इसके लिए समय का प्रबंधन करना आवश्‍यक है। यदि आप सभी कार्यों की योजना बनाते हुए कार्य-सूची बनाएं तो उपलब्ध समय में आप सारे कार्य निबटा सकते हैं। यदि आपने कार्यों की सूची बनाकर प्रत्‍येक कार्य का समय विभाजित करके उसके अनुरूप कार्य किया तो आप सभी कार्यों के साथ मनोरंजन एवं व्‍यायाम के लिए भी समय निकाल पाएंगी। यह जान लें‍ कि प्रतिदिन के व्यायाम करने से आप चुस्त व ऊर्जावान रहेंगी। इसका सीधा प्रभाव आपके स्‍वास्‍थ्‍य और आपके कार्य पर स्‍पष्‍ट दिखाई देगा। प्रसन्‍नचित्त जीवन के लिए मनोरंजन और सामाजिक होना भी आवश्‍यक है। इसके लिए भी समय का अभाव है तो यह भी समय के प्रबन्‍धन से आप सरलता से निकाल पाएंगे। ऐसा करने से अन्य लोगों से आपके संबंध अच्छे होंगे और आपको अच्छा भी लगेगा और भविष्‍य में इन संबंधों का लाभ भी उठा सकते हैं। कार्य सूची एवं समस्‍त कार्यों की योजना बनाते समय परिवार के सदस्यों की सलाह भी अवश्‍य ले लेनी चाहिए। इससे कोई विरोध भी नहीं करेगा और किसी को किसी भी प्रकार की असुविधा भी नहीं होगी।
    आलस्‍य करने या फिर कार्य को टालने से कार्य का बोझ बढ़ेगा और बोझ समझकर कार्य करेंगे तो काम में अधिक समय लगेगा और कई परेशानियां भी भुगतनी पड़ेंगी। पड़ोसियों या मित्रों से अच्छे संबंध रखना आवश्‍यक है, लेकिन बेवजह की गपशप में समय का अपव्‍यय न करें। बेकार की फोन चैटिंग या फिर गॉसिप से बचना चाहिए।
    परिवार में मिलजुल कर एवं परस्‍पर कार्य बांटकर करेंगे तो कार्य बोझ भी नहीं लगेगा और कार्य सरलता से समय पर हो जाएगा। कार्य सूची में कार्य योजना बनाते समय उक्‍त बात का ध्‍यान रखेंगे तो सभी कार्य योजनाबद्ध होने से समय पर और आसानी से हो जाएंगे। जिम्‍मेदारी बांटकर कार्य करने से उसे करना आसान हो जाता है। दैनिक कार्य सूची प्रतिदिन बनाएं। दिन के आवश्‍यक कार्य सूची में सबसे पहले रखें। कार्यों को कार्य की आवश्‍यकता के अनुसार ही सूची में उसका क्रम निर्धारित करें। प्रत्‍येक कार्य की समय सीमा भी निर्धारित करें और उसे तय समय सीमा में पूरा करने का भरसक प्रयास करें। यह हो सकता है कि प्रारम्‍भ में आप ऐसा न कर पाएं पर धीरे-धीरे आपके प्रयास आपको सफलता देने लगेंगे। छुट्टी के दिन के सभी कार्यों की सूची पूर्व में ही बना लें ताकि आवश्‍यक कार्य न छूट जाए। आवश्‍यक कार्य के लिए मनोरंजन के समय में से कटौती कर सकते हैं। वैसे समय का प्रबन्‍धन करेंगे तो आपको मनोरंजन के समय भी कटौती नहीं करनी पड़ेगी। समय अल्‍प हो तो हड़बड़ाएं नहीं, जल्‍दबाजी एवं हड़बड़ाहट सदैव कार्य बिगाड़ते हैं। समय का बचाव व्‍यर्थ की गपशप और फोन पर लंबी बातचीत न करके कर सकते हैं। सदैव कार्य को टालने की अपेक्षा उसे तुरन्‍त निपटाएं।
    समय के प्रबन्‍धन से अनेक लाभ हैं। पहले तो समय का सही उपयोग आपको हड़बड़ी या जल्‍दबाजी से बचाता है। दूसरा सभी काम अच्छे ढंग से चुटकियों में हो जाते हैं। तीसरा बेवजह के मानसिक दबाव व तनाव नहीं झेलना पड़ता है। पूर्व तीन लाभों से चौथा लाभ स्‍वास्‍थ्‍य ठीक रहता है, आत्‍मविश्‍वास बढ़ जाता है औशर मन में और अच्‍छा करने की इच्‍छा उत्‍पन्‍न होने लगती है। अन्‍तत: आप स्‍वयं से ही नहीं मित्रों व मिलने-जुलने वालों से कहने लगेंगे कि जिसने जानी समय की चाल उसका न हुआ कभी बुरा हाल।

तब तक पूजा-पाठ व प्रार्थना का कोई असर नहीं होगा!

धर्म में आस्था रखने वाले यानि आस्तिक लोगों को भी भगवान से शिकायत करते हुए देखा जाता है। कई लोग हैं जो ईश्वर से कभी-कभी नाराज हो जाते हैं। ऐसे धार्मिक लोगों को लगता है कि वे हमेशा पूरे नियम-कायदे से पूजा-पाठ, प्रार्थना और व्रत-उपवास करते हैं, लेकिन फिर भी उनके जीवन से दु:ख नहीं जाते, यहां तक की मन में शांति तक नहीं है।

ऐसे में यह प्रश्र उठता है कि इंसान की पूजा-पाठ और प्रार्थना ईश्वर तक क्यों नहीं पहुंचती? या, क्या ईश्वर इतना निष्ठुर और कठोर है जो अपने भक्तों को दु:ख और अंशांति से छुटकारा नहीं दिलाना चाहता?

पूजा-पाठ, प्रार्थना और भक्ति के बावजूद व्यक्ति के जीवन में अंशाति क्यों बनी रहती है? ऐसे ही गहरे प्रश्रों के हल खोजने के लिये आइये चलते हैं एक बेहद सुन्दर सच्ची कथा की ओर...

प्रसिद्ध राजा प्रसून के जीवन की घटना है। अपने गुरु के विचारों से प्रभावित होकर राजा ने राज्य का त्याग कर दिया, साधु-संन्यासियों के जैसे गेरुए कपड़े पहनकर हाथ में कमंडलु और भिक्षा पात्र लेकर निकल पड़े। शाम होने पर नियत से भजन-कीर्तन, जप-तप और पूजा-पाठ करते। यही सब कुछ करते हुए एक लंबा समय गुजर गया, लेकिन राजा प्रसून के मन को वह शांति नहीं मिली जिसके लिये उसने अपना राज-पाट छोड़ा था। राजा दुखी होकर एक दिन अपने गुरु के पास पहुंचा और अपनी मन की तकलीफ सुनाने लगा। राजा की सारी बात सुनने के बाद गुरु हंसे और बोले - ''जब तुम राजा थे और अपने उद्यान का निरीक्षण करते थे, तब अपने माली से पौधे के किस हिस्से का विशेष ध्यान रखने को कहते थे?''  अपने गुरु की बात ध्यान से सुनकर राजा प्रसून बोला - ''गुरुदेव! वैसे तो पौधे का हर हिस्सा महत्वपूर्ण होता है, लेकिन फिर भी यदि जड़ों का ठीक से ध्यान न रखा जाए तो पूरा पौधा ही सूख जाएगा।''

राजा का जवाब सुनकर गुरु प्रशन्न हुए और बोले - ''वत्स! पूजा-पाठ, जप-तप, कर्मकांड और यह साधु-सन्यासियों का पहनावा भी सिर्फ फूल-पत्तियां ही हैं, असली जड़ तो आत्मा है। यदि इस आत्मा का ही आत्मा का ही परिष् कार यानी कि शुद्धिकरण नहीं हुआ तो बाहर की सारी क्रियाएं सिर्फ  आडम्बर बन कर ही रह जाते हैं। आत्मा की पवित्रता का ध्यान न रखने के कारण ही बाहरी कर्मकांड बेकार चला जाता है।''

इस सच्ची व बेहद कीमती सुन्दर कथा का सार यही है कि यदि मनुष्य का प्रयास अपनी आत्मा के निखार और जागरण में लगे तो ही उसके जीवन में सच्चा सुख-शांति और स्थाई समृद्धि आ सकती है। अन्यथा बाहरी पूजा-पाठ यानी कर्मकांड सिर्फ  मनोरंजन का साधन मात्र ही बन जाते हैं।

ऊपरी बाधा दूर करने का अचूक टोटका

भूत- प्रेत, ऊपरी बाधा या हवा। यह शब्द अक्सर हमारे सुनने में आते हैं। ऐसा माना जाता है जिन लोगों पर इनका असर होता है उनमें कुछ शारीरिक व मानसिक परिवर्तन हो जाता है। उत्तेजना में आकर ऐसे लोग किसी पर भी वार कर सकते हैं। भूत बाधा से पीडि़त व्यक्ति को नीचे लिखे टोटके से इस परेशानी से मुक्ति मिल सकती है।

सामग्री

लौंग का जोड़ा, फूल का जोड़ा, इलाइची, पान और पेड़ा।

टोटका

एक हरा दोना लेकर उसमें सबसे पहले पान रखें। उसके ऊपर फूल व अन्य वस्तुएं रखकर भूतबाधा से पीडि़त व्यक्ति के नाम राशि के ग्रह का मंत्र 108 बार पढ़ें। यह कार्य पवित्र होकर व दोना सामने रखकर करें। इसके पश्चात सात बार मंत्र पढ़ते हुए उस दोने को रोगी के सिर से पांव तक उतार कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से प्रेत बाधा शांत हो जाती है ( यह टोटका अनटोका किया जाना चाहिए।)

ऐसे लोगों के पास कभी पैसा जमा नहीं होता है, जिनकी कुंडली में...

पूर्व में बताया गया था कि मेष लग्न की पत्रिका में सूर्य के लग्न भाव में होने पर व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ते हैं। अब जानिए सूर्य यदि द्वितीय भाव में स्थिति हो तो व्यक्ति का जीवन कैसा रहेगा?

भृगु संहिता के अनुसार द्वितीय भाव को धन का स्थान माना जाता है। द्वितीय भाव यानि वृषभ राशि का स्वामी शुक्र ग्रह सूर्य का शत्रु माना गया है। अत: इस भाव में सूर्य होने पर व्यक्ति को धन संबंधी परेशानियां उठाना पड़ती है। इसके अलावा द्वितीय भाव परिवार, रत्न आदि का भी है अत: व्यक्ति को परिवार से जुड़ी हुई कई समस्याएं जीवनभर सताएंगी। विद्या अध्ययन में भी कमी रहेगी।

द्वितीय भाव वृष राशि का सूर्य अपनी पूर्ण दृष्टि से आयु, मृत्यु तथा पुरातत्व के अष्टम भाव को अपने मित्र मंगल की वृश्चिक राशि में देख रहा है अत: व्यक्ति दीर्घायु होगा। उसे कभी-कभी अचानक धन की प्राप्ति होगी लेकिन वह कभी पैसा जमा नहीं कर सकेगा।

बहुत संपत्ति वाले होते हैं ऐसे लोग..

पूर्व में आपने पढ़ा कि मेष लग्न की कुंडली में सूर्य प्रथम, द्वितीय और तृतीय भाव में क्या फल प्रदान करता है? अब जानिए कि सूर्य चतुर्थ भाव में हो तो व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव डालता है...

यदि किसी व्यक्ति कुंडली की मेष लग्न की है और उसमें सूर्य चतुर्थ भाव में स्थित है तो वह व्यक्ति बहुत तेजी दिमाग वाला होता है। चतुर्थ भाव यानि कर्क राशि का स्वामी चंद्र है अत: व्यक्ति का दिमाग तेज रहता है लेकिन चंद्र के कारण वह शांत भी रहता है। इस चतुर्थ भाव से सूर्य अपनी सातवीं दृष्टि से शत्रु ग्रह शनि की राशि मकर राशि दसवे भाव पर प्रभाव डालता है। इस वजह से उस व्यक्ति के अपने पिता के साथ मधुर संबंध नहीं रहेंगे। इसके अलावा वह राज्य या शासकीय कार्यों में उदासीन रहेगा। इस भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति का समाज में अच्छा प्रभाव बना रहेगा और वह एक उच्च मुकाम भी हासिल करेगा। चतुर्थ भाव में सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति को माता का काफी अधिक स्नेह मिलेगा। साथ ही वह संपत्ति और घर के संबंध में संपन्न रहेगा।

आपको अचानक मिलने वाला है पैसा अगर

हर दूसरे दिन बदलने वाला चंद्रमा आपको मालामाल बना सकता है। ज्योतिष में चंद्रमा को सौम्य और स्त्री ग्रह माना गया है। अगर सौम्य ग्रह कुंडली के धन भाव या लाभ से संबंधित घर को देखता है या उन भाव में स्थित होता है तो ऐसे व्यक्ति को अचानक धन लाभ होता है। अगर आपकी कुंडली में भी ऐसे योग बन रहें है तो आपको भी अचानक धन लाभ हो सकता है। 



- कुण्डली के धन भाव यानी दूसरे घर में शुक्र की राशि यानी वृषभ (2 नंबर) के साथ स्थित चंद्रमा स्थित होता है तो अचानक  धन लाभ देता है।

- धन, ऐश्वर्य और सुख देने वाले शुक्र ग्रह की राशि के साथ चंद्रमा कुंडली के सातवें भाव में बैठ कर पहले घर को देखता है तो अचानक  पैसा मिलता है।

- कुंडली का नवां भाव किस्मत का घर होता है। अगर चंद्रमा भाग्य के इस भाव में अपनी ही राशि यानी 4 नंबर के साथ होता है तो अचानक किस्मत बदलती है और पैसा मिलता है।

- अपनी ही राशि के साथ यानी 4 नंबर के साथ चंद्रमा कुंडली पांचवे घर में बैठा हो और लाभ भाव यानी ग्यारहवें भाव को देखता है तो अचानक धन लाभ होता है।

अनोखा उपाय- चमक उठेगी आपकी किस्मत, पानी में डालें काले तिल और...

क्या आपके व्यवसाय में धन हानि अधिक हो रही है? क्या आपके घर-परिवार में परेशानियों की वजह से रिश्तों में दरार पड़ गई है? क्या आपके बच्चों को बीमारियां सताती रहती हैं? क्या भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है? यदि इस प्रकार के प्रश्नों से आप परेशान हैं तो यहां एक सटीक ज्योतिषीय उपाय बताया जा रहा है, जिससे आपकी सभी परेशानियां गायब हो जाएंगी।

जीवन से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या को दूर करने के लिए शिव आराधना श्रेष्ठ उपाय है। प्रतिदिन शिवजी का विधि-विधान से पूजन करें। यदि विधिवत पूजन करने में असमर्थ हैं तो प्रतिदिन एक लौटे में शुद्ध जल भरें और उसमें थोड़े काले तिल डाल दें। अब इस जल को शिवलिंग पर ऊँ नम: शिवाय मंत्र जप के साथ चढ़ाएं। ध्यान रहे जल पतली धार से चढ़ाएं और मंत्र का जप करते रहें। इसके साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जप बेहद फायदेमंद रहता है।

ऐसा प्रतिदिन करें। ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं फिर किसी भी सिद्ध शिव मंदिर में जाएं। जल चढ़ाने के साथ पुष्प और बिल्व पत्र भी अवश्य चढ़ाएं। इस उपाय को अपनाने से कुछ ही दिनों में चमत्कारिक फल की प्राप्ति होने लगेगी। ध्यान रहे इस उपाय के साथ ही अधार्मिक कर्मों से खुद को दूर रखें। किसी का दिल न दुखाएं और वृद्धजनों का सम्मान करें।

गुड़ से मिल जाएगा बहुत पैसा और शोहरत, जानिए उपाय...

आज खाने की चीजों को मीठा करने के लिए शकर का उपयोग किया जाता है लेकिन पुराने समय में गुड़ से खाने को मीठा किया जाता था। इसी वजह से भगवान को गुड़ से निर्मित चीजों का मीठा प्रसाद चढ़ाया जाता था। शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं को मीठा प्रसाद या भोग प्रिय बताया गया है।

ऐसा माना जाता है कि देवी-देवताओं को गुड़ चढ़ाने से वे जल्द ही प्रसन्न होते हैं और श्रद्धालु को सभी इच्छित वस्तुएं प्रदान करते हैं। हनुमानजी कलयुग में सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं। बजरंगबली अपने भक्तों बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करते हैं जिससे वे सुख-समृद्धि की वस्तुएं अर्जित कर सकते हैं। हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें प्रतिदिन सुबह-सुबह गुड़ का भोग लगाना चाहिए। इसके साथ ही हनुमान चालिसा का पाठ करने के बाद ही कार्य प्रारंभ करना चाहिए। ऐसा करने पर बहुत ही कम दिनों में आपकी सभी परेशानियां स्वत: ही दूर हो जाती हैं और धन प्राप्ति के नए मार्ग खुल जाते हैं। इस उपाय के साथ ही यह भी ध्यान रखें कि किसी भी अधार्मिक से सदैव दूर रहें और घर के वृद्धजनों का सम्मान करें। अन्यथा यह उपाय अपना पूरा प्रभाव नहीं दे पाएगा

अगर चाहिए आसानी से प्रमोशन तो..

 
आज हर कोई अपने कार्यक्षेत्र में आगे बढऩा चाहता है लेकिन कुछ लोग दिन रात मेहनत करते है उसके बाद भी आगे नही बढ़ पाते। अगर आप अपने कार्यक्षेत्र में प्रमोशन चाहते हैं तो राशि अनुसार उपाय करें। इन उपायों से कार्यक्षेत्र में आपको उन्नति मिलेगी। 

   

मेष- मेष राशि वालों को अपनी राशि के अनुसार प्रमोशन के लिए भैरव मन्दिर में जलते दीपक में तेल डालना चाहिए।

वृष- कार्यक्षेत्र में पदोन्नति के लिए इस राशि के लोग हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।

मिथुन- मिथुन राशि वालों को पदोन्नति के लिए केले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए।

कर्क- कर्क राशि वाले कुत्ते को मिठी रोटी खिलाना चाहिए। इससे इस राशि वालों को कार्यक्षेत्र में पदोन्नती प्राप्त होती है।

सिंह- कार्यक्षेत्र में पदोन्नति के लिए सिंह राशि के लोग लक्ष्मी जी के मंदिर में सौभाग्य सामग्री यानी सौलह श्रंृगार दान दें।

कन्या- अगर कन्या राशि वाले हरे मूंग गाय को खिलाएं तो कार्यक्षेत्र में प्रमोशन होने के योग बनते हैं।

तुला- दुर्गा जी के मंदिर में चादी का दान दें।

वृश्चिक- अगर आपको प्रमोशन चाहिए तो आप रोज सूर्य को जल चढा़एं।

धनु- इस राशि वालों के कर्म का स्वामी बुध होता है इसलिए इस राशि वालों को किन्नरों को सुपारी का दान देना चाहिए।

मकर- मकर राशि के लोग शुक्रवार को कन्या भोजन करवाएं और सौभाग्य सामग्री लक्ष्मी जी के मन्दिर में दान दें।

कुंभ- प्रमोशन के लिए इस राशि वालों को दुर्गा जी की पूजा करनी चाहिए।

मीन- पीली गाय की सेवा करने से मीन राशि वालों को अपने कार्यक्षेत्र में जल्दी ही उन्नति होती है।

बड़ी सफलताओं के द्वार खोल देता है यह छोटा-सा गणेश मंत्र

जीवन में दु:ख और निराशा से बचना है तो हमेशा आगे बढऩे का जज्बा बनाए रखना बहुत जरूरी है। बस, यही एक सूत्र थाम लें, तो किसी भी बुरी से बुरी हालात से दो-चार होकर उसे मात देना आसान हो जाता है। इस तरह जीवन के हर दिन, हर कदम पर किसी न किसी रूप में जीत व सफलता मायने रखती है। किंतु इसके लिए ज्ञान और गुण संपन्नता भी बहुत जरूरी है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों में इन दो खूबियों के दाता भगवान श्री गणेश को ही माना गया है। भगवान गणेश बुद्धिदाता, गुणदाता, ज्ञानप्रदाता हैं। बुधवार को शास्त्रों में बताए एक छोटे-से गणेश मंत्र विशेष का स्मरण बड़े-बड़े लक्ष्य को आसानी से भेद सफलतम बनाने वाला माना गया है। जानें इसी मंत्र विशेष व पूजा, जप की आसान विधि -

- बुधवार के दिन किसी भी वक्त किंतु स्नान के बाद भगवान गणेश की पूजा करें।

- पूजा में श्री गणेश को लाल चन्दन, कनेर के फूल, दूर्वा चढ़ाएं व मोदक का भोग लगाएं।

- धूप बत्ती और घी का दीप लगाकर पूर्व दिशा में लाल आसन पर बैठ मूंगे या चन्दन की माला से नीचे लिखा गणेश मंत्र कम से कम 108 बार बोलें। विधान अनुसार सवा लाख जप शीघ्र फलदायी होता है। सुविधानुसार यह जपसंख्या लगातार 10 दिन या बुधवार व चतुर्थी के दिनों में पूरा कर सकते हैं -

ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नम:।

- मंत्र जप के बाद क्षमाप्रार्थना कर श्री गणेश की आरती के साथ मनचाही सफलता की कामना करें। यथाशक्ति कन्याभोज कराएं।

पूर्णिमा की शाम बोलें यह दत्तात्रेय मंत्र..मिलेगी भारी सफलता

हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु व महेश का स्वरूप माना गया है। भगवान दत्तात्रेय महायोगी व महागुरु के रूप में भी पूजनीय है। क्योंकि शास्त्रों के मुताबिक भगवान दत्तात्रेय द्वारा 24 गुरुओं से शिक्षा ली गई। जिनमें मनुष्य, प्राणी, वनस्पति सभी शामिल थे। इसलिए दत्तात्रेय की उपासना में अहं को छोडऩे और ज्ञान द्वारा जीवन को सफल बनाने का संदेश है। वही धार्मिक दृष्टि से उनकी उपासना मोक्षदायी मानी गई है।

भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल यानी शाम के वक्त ही माना गया है। यही कारण है हर पूर्णिमा तिथि पर भी दत्तात्रेय की उपासना ज्ञान, बुद्धि, बल प्रदान करने के साथ शत्रु बाधा दूर कर कार्य में सफलता और मनचाहे परिणामों को देने वाली मानी गई है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय भक्त की पुकार पर शीघ्र प्रसन्न होकर किसी भी रूप में उसकी कामनापूर्ति या संकटनाश करते हैं।

यही कारण है कि गुरुवार और हर पूर्णिमा की शाम भगवान दत्त की उपासना में विशेष मंत्र का स्मरण बहुत ही शुभ माना गया है। जानते हैं वह मंत्र व पूजा की सरल विधि -

- गुरुवार या पूर्णिमा की शाम दत्त मंदिर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या दत्तात्रेय की तस्वीर पर सफेद चंदन और सुगंधित सफेद फूल चढ़ाकर फल या मिठाई का भोग लगाएं। गुग्गल धूप लगाएं और नीचे लिखे मंत्र से भगवान दत्तात्रेय का स्मरण करें या यथाशक्ति मंत्र जप करें- जगदुत्पत्तिकत्र्रेचस्थिति-संहारहेतवे।

भवपाश-विमुक्तायदत्तात्रेयनमोऽस्तुते॥

दत्तविद्याठ्य लक्ष्मीशं दत्तस्वात्म स्वरूपिणे।

गुणनिर्गुण रूपाय दत्तात्रेय नमोस्तुते।।

आदौ ब्रह्मा मध्येविष्णुरन्तेदेव: सदाशिव:।

मूर्तित्रय-स्वरूपायदत्तात्रेयनमोऽस्तुते॥

या इस मंत्र का जप करें -

ऊँ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा

- पूजा व मंत्र जप के बाद आरती कर सफलता और कामनापूर्ति की प्रार्थना करें।

शनि को मनाने का सबसे आसान है यह छोटा और सस्ता उपाय

ज्योतिष शास्त्र में सबसे क्रूर माने जाने वाले ग्रह शनि का डर सामान्यत: सभी लोगों को रहता है। यदि शनि अशुभ फल देने वाला हो तो व्यक्ति को कभी भी सफलता नहीं मिलती या बहुत मेहनत और परेशानियों के बाद कोई कार्य पूर्ण हो पाता है। शनिदेव को न्यायाधिश का पद दिया गया है, इसी कारण वे सख्त स्वभाव के माने गए हैं।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सभी कई प्रकार के प्रयास करते हैं। सामान्यत: शनि से डरने  वाले सभी लोग शनिवार के दिन शनि के निमित्त पूजन कर्म अवश्य ही करते हैं। शनि के लिए सबसे सरल उपाय है तेल का दान करना। हर शनिवार को एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरे देखें। इसके बाद यह तेल शनिदेव को चढ़ाएं या किसी गरीब व्यक्ति को दान कर दें।

यह उपाय सटीक माना जाता है। इसके प्रभाव से निश्चित ही लाभ प्राप्त होता है। यदि कोई बड़ी पूजा-आराधना करने में असमर्थ है तो उसे यह उपाय अपनाना चाहिए।
 
 शनिवार को बोलें ये हनुमान मंत्र..शनि नहीं दिखाएंगे तीखे तेवरश्री हनुमान न केवल सेवा व भक्ति के बेजोड़ आदर्श हैं, बल्कि बुद्धि, बल, पुरुषार्थ, पराक्रम और धर्मपालन के प्रेरक देवता है। व्यावहारिक जीवन में भी इन गुण, शक्तियों या सूत्रों से किसी भी संकट से पार पाना संभव है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक अच्छाईयों से परे होकर बुराईयों से जुडऩे पर ही शनिदेव की वक्रदृष्टि संकट का कारण बन सकती है। जिसके चलते शारीरिक, मानसिक व आर्थिक पीड़ाओं का सामना करना पड़ सकता है। भाग्यबाधा भी आती है। इंसान दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हो सकता है।

श्री हनुमान की उपासना ऐसे ही ग्रह दोषों से बचने का भी अचूक उपाय माना गया है। खासतौर पर शनि का कोप से रुद्र अवतार श्री हनुमान की भक्ति के आसान उपाय भी रक्षा करते हैं। जिनमें शनिवार के दिन श्री हनुमान के कुछ आसान मंत्रों का जप विशेष प्रभावी माना गया है। जानते हैं ये मंत्र -

- शनिवार को स्नान के बाद श्री हनुमान की पूजा सिंदूर, गंध, अक्षत, कलेवा, जनेऊ, फूल चढ़ाकर करें। यथाशक्ति नैवेद्य लगाकर गुग्गल धूप व दीप प्रज्जवलित करें और यथाशक्ति नीचे लिखे श्री हनुमान मंत्रों का रुद्राक्ष की माला से 108 बार लाल आसन पर बैठकर श्री हनुमान की प्रतिमा की ओर मुख कर स्मरण करें -

श्रृंखलाबन्धमोचकाय नम:।

सागरोत्तारकाय नम:।

दीप्तिमते नम:।



प्रतापवते नम:।

- मंत्र जप व स्मरण के बाद श्री हनुमान की आरती कर क्षमा प्रार्थना में शनि पीड़ा और संकटों से रक्षा की कामना करें व प्रसाद ग्रहण करें।


एक पत्ता रोज, पैसों के साथ मिलेगा अच्छा जीवन...

धन या पैसा आज के समय सभी के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है। पैसों का महत्व इस बात से साफ प्रतीत होता है कि  पैसा सबकुछ नहीं है लेकिन बहुत कुछ है।





कोई भी व्यक्ति हो, अमीर या गरीब, सभी को धन की आवश्यकता है। पैसों का काम केवल पैसा ही कर सकता है। इसी वजह से हम अपने स्तर पर अधिक से अधिक धन प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के प्रयास करते हैं। ताकि हमारे घर-परिवार के सदस्यों को अभाव का जीवन न जीना पड़े।




ज्योतिष और धर्म शास्त्रों में धन प्राप्ति के अचूक उपाय बताए गए हैं। धन के लिए देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होना सबसे जरूरी है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह बाधाओं के चलते धन प्राप्ति के योग नहीं हैं तो उन ग्रह दोषों का उचित उपचार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के प्रयास करने चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा रहता है वहां दरिद्रता नहीं रहती।




तुलसी को पवित्र और पूजनीय माना गया है। इसकी प्रतिदिन पूजा से सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। जिससे घर के सदस्यों की आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही वास्तु के अनुसार भी तुलसी का पौधा घर में होने से कई प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं।




आयुर्वेद के अनुसार एक तुलसी का पत्ता प्रतिदिन खाने से व्यक्ति हमेशा स्वस्थ बना रहता है। इसके अलावा व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। तुलसी पूजन के बाद एक पत्ता प्रसाद स्वरूप प्रतिदिन खाने से हमारी सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। आय के सभी स्रोतों से फायदा प्राप्त होता है।

जब आपको हो ऐसी परेशानियां तब केवल नीले फूल बहा दे नदी में...

सामान्यत: परेशानियां सभी के जीवन में हैं, जिन्हें दूर करने के लिए कई प्रकार के प्रयास किए जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार अलग-अलग प्रकार की परेशानियों के लिए अलग-अलग ग्रह जिम्मेदार होते हैं। कुंडली में ग्रहों की स्थिति ही हमें सुख और दुख प्रदान करती है।

ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रह बताए गए हैं जिनमें शनिदेव को न्यायाधिश माना गया है। इसी वजह से शनि को क्रूर ग्रह बताया गया है। यह हमारे कर्मों के अनुसार ही हमें अच्छा या बुरा फल प्रदान करता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ हो तो उसे घर-परिवार से सुख-शांति नहीं मिलती है। पिता-पुत्र में वाद-विवाद चलता रहता है। व्यवसाय में हानि होती है। इसके साथ उस व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा तथा झूठ बोलने वाला होता है। पैसा कमाने में कड़ी मेहनत करनी होती है फिर भी पर्याप्त धन प्राप्त नहीं होता। यदि आपके साथ भी ऐसी ही शनि ग्रह से जुड़ी परेशानियां चल रही हों तो किसी बहती नदी में नीले रंग के फूल बहाएं। यह उपाय प्रति शनिवार किया जाना चाहिए। फूल बहाते समय शनिदेव से सुख और शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

शनि का संबंध में नीले रंग से बताया गया है अत: नीले फूल इन्हें अत्यंत प्रिय माने गए हैं। इसी वजह से नीले फूल शनि देव के निमित्त बहाने से वे अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों के दुख या परेशानियों को दूर कर देते हैं।




पहले ये चमत्कारी शब्द लिखें, फिर शुरू करें खास काम

आमतौर विशेष पूजा के बाद घरों के बाहर मुख्य द्वार के दोनों ओर शुभ और लाभ लिखा जाता है। हर मांगलिक कार्य में स्वस्तिक बनाया जाता है, इसी के साथ शुभ-लाभ भी लिखा जाता है। सिंदूर या कुमकुम से शुभ और लाभ लिखने के पीछे ऐसी मान्यता है कि इससे महालक्ष्मी सहित श्री गणेश भी प्रसन्न होते हैं। इसी वजह से यदि आप को पेपर वर्क प्रारंभ कर रहे हैं तो सबसे पहले श्री गणेशाय नम: लिखें या शुभ-लाभ लिखें या स्वस्तिक बनाएं।

शास्त्रों अनुसार गणेशजी के दो पुत्र माने गए हैं, एक क्षेम अर्थात शुभ और दूसरे पुत्र का नाम है लाभ। घर के बाहर शुभ-लाभ लिखने का मतलब यही है कि हमारे घर में सुख और समृद्धि सदैव बनी रहे। ऐसी प्रार्थना ईश्वर से की जाती है। शुभ (क्षेम) लिखने का का अर्थ है कि हम प्रार्थना करते हैं कि जिन साधनों, कला या ज्ञान से धन और यश प्राप्त हो रहा है वह सदैव बना रहे।

लाभ लिखने का अर्थ है कि भगवान से हम प्रार्थना करते हैं कि हमारे घर की आय अथवा धन हमेशा बढ़ता रहे। श्री गणेश की कृपा से हमारा व्यवसाय या आय प्राप्ति स्रोत सदैव बढ़ते रहे। 



पीली कौड़ी जेब में रखों, हो जाओगे मालामाल...

आज सभी चाहते हैं उनकी जेब हमेशा ही पैसों से भरी रहे और धन से जुड़ी समस्याएं उनसे दूर रहे। पैसा कमाने के लिए सभी अपने-अपने स्तर में खूब मेहनत करते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं उन्हें ज्यादा धन प्राप्त हो पाता है। ज्योतिष के अनुसार कुछ विशेष योग होते हैं जिनसे व्यक्ति को जीवन में कभी पैसों की कमी नहीं रहती।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह अशुभ प्रभाव देने वाला है तो उसकी आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुंडली में अशुभ ग्रह को ठीक करने के लिए सही उपचार करना चाहिए। इसके अतिरिक्त धन की देवी महालक्ष्मी की आराधना भी श्रेष्ठ फल प्रदान करती है। महालक्ष्मी की कृपा के बाद भक्त को कभी भी पैसों की कमी नहीं रहती है।

नियमित रूप से देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही एक अन्य उपाय अपनाएं। जिससे निश्चित ही कुछ दिनों में पैसों से जुड़ी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।

किसी भी शुभ मुहूर्त में बाजार से दो पीली कौड़ी लेकर आएं। यह किसी भी पूजन सामग्री की दुकान पर आसानी से मिल जाती है। घर आकर किसी विशेष दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म आदि करने के बाद महालक्ष्मी के पूजन की तैयारी करें। पूजन में देवी लक्ष्मी का चित्र या मूर्ति रखें। मूर्ति के साथ ही दोनों पीली कौडिय़ों को रखें। अब विधि-विधान से देवी लक्ष्मी की पूजा करें। पूजन के बाद दोनों पीली कौडिय़ों को अलग-अलग लाल कपड़े में बांधे। अब एक कौड़ी घर में वहां रखें जहां पैसा रखते हैं। दूसरी कौड़ी अपने साथ अपनी जेब में हमेशा रखें। ध्यान रहे कौड़ी साथ रखने के बाद अधार्मिक कार्यों से खुद को बचाकर रखें। अन्यथा यह उपाय निष्फल हो जाएगा।



दिमाग चलता है लेकिन पैसा नहीं कमा पाते ऐसे लोग...

मेष लग्न की कुंडली में सूर्य की स्थिति के संबंध में अब तक आपने जाना कि सूर्य प्रथम से लेकर दशम भाव में क्या-क्या फल प्रदान करता है... अब जानिए सूर्य यदि ग्यारहवें भाव में स्थित हो तो व्यक्ति का जीवन कैसा रहता है...

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मेष लग्न की है और उसमें सूर्य ग्यारहवें भाव में स्थित है तो व्यक्ति को पैसा कमाने में कड़ी मेहनत करना पड़ती है। ग्यारहवां भाव यानि कुंभ राशि का स्वामी शनि है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य और शनि में शत्रुता है। अत: इसी वजह से कई बुरे फल भी प्राप्त होते हैं। इस भाव से सूर्य अपनी सातवी दृष्टि से खुद की राशि सिंह में देख रहा है। यह पंचम भाव विद्या तथा संतान से संबंधित होता है। अत: व्यक्ति को शिक्षा और संतान के संबंध में विशेष शक्ति प्राप्त होगी।

ऐसा व्यक्ति अपने स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए कटु वचनों का उपयोग करने वाला होता है। इन लोगों का दिमाग बहुत तेज चलता है और वे शारीरिक श्रम भी बहुत अच्छे से करते हैं लेकिन पैसा जुटाने में इन्हें हमेशा ही परेशानियां उठाना पड़ती है।

आगे पढि़ए मेष लग्न की कुंडली में सूर्य यदि बाहरवें भाव में हो तो व्यक्ति का जीवन कैसा रहता है...


जब हाथों मे ये रेखा टूटी या कटी हो तो सावधान रहें...

हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार हमारी हथेली में कई रेखाएं होती हैं जो हमारे जीवन की अलग-अलग बातों को प्रभावित करती हैं। ये रेखाएं जितनी स्पष्ट और दोष रहित होती हैं उतना ही अच्छा माना जाता है। मुख्य रूप से सभी की हथेली में ये तीन रेखाएं जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा स्पष्ट दिखाई देती हैं। इन तीनों में भी जीवन रेखा का काफी गहरा महत्व है।

हमारी हथेली में जैसी जीवन रेखा होती हैं हमारा जीवन ठीक वैसा ही चलता है। यदि ये रेखा अन्य छोटी-बड़ी रेखाओं से कटी हुई या टूटी हुई हो तो इसे अशुभ माना जाता है। जितनी लंबी जीवन रेखा होती है उतना ही लंबा हमारा जीवन होता है। यदि यह रेखा कहीं से टूटी हुई हो तो इसे अशुभ माना जाता है। ऐसे में जीवन रेखा के अनुसार आयु की गणना के बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जहां जीवन रेखा टूटी है उस आयु में व्यक्ति को किसी गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।

यदि जीवन रेखा अन्य छोटी-छोटी रेखाओं से कटी हुई है तो जहां से जीवन रेखा कटी हुई है उस आयु में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

यदि जीवन रेखा टूटी हुई हो और उसके साथ ही कोई अन्य रेखा समानांतर रूप से चल रही हो तो जीवन रेखा के टूटने का अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाता है।कहां होती है जीवन रेखा?

हथेली में सामान्यत: तीन रेखाएं मुख्य रूप से दिखाई देती हैं। इनमें से जो रेखा अंगूठे के ठीक नीचे शुक्र पर्वत को घेरे रहती है वहीं जीवन रेखा कहलाती है। यह रेखा इंडेक्स फिंगर के नीचे स्थित गुरु पर्वत के आसपास से प्रारंभ होकर हथेली के अंत मणिबंध की ओर जाती है।



बहुत कुछ बताता है चेहरे का काला तिल

चेहरे का तिल किसी भी खूबसूरत चेहरे की खूबसूरती को और भी बढ़ा देता है लेकिन तिल सिर्फ चेहरे को आकर्षक ही नहीं बनाते है बल्कि किसी व्यक्ति का स्वभाव और भविष्य भी बताते हैं। चेहरे के हर भाग पर तिल का अपना प्रभाव है। किसी के भी गालों या अधरों पर काला तिल उसकी सुन्दरता में चार चांद लगा देता है।



- यदि किसी के दोनों आई ब्रो के बीच तिल हो तो ऐसा व्यक्ति लोगों का भला करने वाला और दिल का सच्चा होता है।



- सिर के राइट साइड में पाया जाने वाल तिल समाज में मान-प्रतिष्ठा दिलाने वाला होगा।



- मस्तक पर बीच में पाया जाने वाला तिल उस जातक की फाइनेंशियल कंडीशन को मजबूत बनाता है।



- गले पर दिखाई पड़ने वाला तिल उस जातक को तेज दिमाग का, पैसा कमाने में सफल व तरक्की करने वाला होता है।



- ठोड़ी पर पाया जाने वाला तिल व्यक्ति को स्वार्थी व समाज से कटा हुआ बनाता है।



- राइट गाल पर तिल उन्नतिशील और मेघावी होने की सूचना देता है।



- लेफ्ट गाल पर तिल शुभ नहीं माना जाता है, ऐसा तिल गृहस्थ जीवन में धन का अभाव बताता है।



- नाक के सीधे भाग पर तिल सुखी, धन संपन्न और नाक के लेफ्ट हिस्से पर तिल मेहनती , कठिनाई से सफलता का सूचक होता है।



- नाक के मध्य तिल हो तो ऐसा जातक स्थिर न रहकर इधर-उधर भटकता रहने वाला होता है।



- दाएँ हाथ पर तिल शुभ व बाएँ हाथ की हथेली में तिल फिजूल खर्च का सूचक होता है।



इस प्रकार तिल भी शुभ-अशुभता के संकेत देते हैं। महिलाओं में लेफ्ट साइड पर तिल शुभ होता है जबकि पुरुषों में राइट साइड पर तिल शुभ होता है।

मुठ्ठी में बंद होने वाला हर तिल नहीं होता शुभ

शरीर पर तिलों का बहुत महत्व है। कई मान्यताएं हमारे यहां प्राचीन काल से चली आ रही हैं। ऐसी ही एक मान्यता तिल के बारे में भी है। साधारणत: यह माना जाता है कि हथेली में तिल शुभ होता है। जिसकी हथेली में तिल मुठ्ठी में बंद होता है वह बहुत भाग्यशाली होता है लेकिन यह सिर्फ एक भ्रांति है। हथेली में होने वाला हर तिल शुभ नहीं होता कुछ अशुभ फल देने वाले भी होते हैं।

- सूर्य पर्वत मतलब रिंग फिंगर के नीचे के क्षेत्र पर तिल हो तो व्यक्ति समाज में कलंकित होता है। किसी की गवाही की जमानत उल्टी अपने पर नुकसान देती है। नौकरी में पद से हटाया जाना और व्यापार में घाटा होता है। मान- सम्मान पर प्रभावित होता है और नेत्र संबंधित रोग तंग करते हैं।

- बुध पर्वत यानी लिटिल फिंगर के नीचे के क्षेत्र पर तिल हो तो व्यक्ति को व्यापार में हानि उठानी पड़ती है। ऐसा व्यक्ति हिसाब-किताब व गणित में धोखा खाता है और दिमागी रूप से कमजोर होता है।

- लिटिल फिंगर के नीचे वाला क्षेत्र जो हथेली के अंतिम छोर पर यानी मणिबंध से ऊपर का क्षेत्र जो चंद्र क्षेत्र कहलाता है, इस क्षेत्र पर यदि तिल हो तो ऐसे व्यक्ति के विवाह में देरी होती है। प्रेम में लगातार असफलता मिलती है। माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है।





हल्दी का पानी छिड़के घर में, दूर हो जाएगी पैसों की तंगी

इन दिनों जिस तेजी से महंगाई बढ़ रही है, इससे प्रतीत होता है कि आने वाले समय में चाहे जितना भी पैसा कमाओ कम ही लगेगा। ऐसे में कमाई बढ़ाने के लिए कई और रास्ते खोजने होंगे।

पैसों के संबंध में कहा जाता है कि जिन लोगों की किस्मत अच्छी होती है उन्हें ही अपार धन प्राप्त होता है। अन्यथा पैसों की तंगी कभी पीछा नहीं छोड़ती है।

वास्तु के अनुसार कुछ उपाय बताए गए हैं जिनसे आर्थिक तंगी को दूर किया जा सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम कर दिया जाए और सकारात्मक ऊर्जा को अधिक सक्रिय कर दे तो निश्चित ही हमारे घर-परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती जाएगी। परिवार के सभी सदस्यों को पैसों से जुड़ी कोई परेशानी नहीं रहेगी।

यदि किसी व्यक्ति के घर में कोई वास्तु दोष है तो उसे बहुत सी परेशानियां सहन करनी पड़ती हैं। इन बुरे प्रभावों से बचने के लिए संबंधित वास्तु दोषों का निवारण किया जाना आवश्यक है।

धन की देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के बाद ही पर्याप्त धन प्राप्त होता है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घर में हमेशा साफ-सफाई रखने के साथ ही यह उपाय अपनाएं। इस उपाय को अपनाने से कुछ ही समय में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। प्रत्येक गुरुवार को पानी में हल्दी घोलकर पूरे में छिड़काव करें।

ध्यान रहे घर का कोई भी भाग या कोना छुटना नहीं चाहिए। घर में किसी भी प्रकार की गंदगी न हो, ना ही कोई मकड़ी के जाले हो। हल्दी के छिड़काव से घर पवित्र होता है और पॉजीटिव एनर्जी की बढ़ोतरी होती है। इससे परिवार के सदस्यों का मनोबल ऊंचा होता है और सभी कार्यों को पूरी मेहनत के साथ करते हैं। जिससे सफलता अवश्य प्राप्त होती हैं।

मनोकामना पूर्ति के अचूक गुप्त उपाय

हर मनुष्य की कुछ मनोकामनाएं होती है। कुछ लोग इन मनोकामनाओं को बता देते हैं तो कुछ नहीं बताते। चाहते सभी हैं कि किसी भी तरह उनकी मनोकामना पूरी हो जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। यदि आप चाहते हैं कि आपकी सोची हर मुराद पूरी हो जाए तो नीचे लिखे प्रयोग करें। इन टोटकों को करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।

उपाय

- तुलसी के पौधे को प्रतिदिन जल चढ़ाएं तथा गाय के घी का दीपक लगाएं।

- रविवार को पुष्य नक्षत्र में श्वेत आक की जड़ लाकर उससे श्रीगणेश की प्रतिमा बनाएं फिर उन्हें खीर का भोग लगाएं। लाल कनेर के फूल तथा चंदन आदि के उनकी पूजा करें। तत्पश्चात गणेशजी के बीज मंत्र (ऊँ गं) के अंत में नम: शब्द जोड़कर 108 बार जप करें।

- सुबह गौरी-शंकर रुद्राक्ष शिवजी के मंदिर में चढ़ाएं।

- सुबह बेल पत्र (बिल्ब) पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर मनोरथ बोलकर शिवलिंग पर अर्पित करें।

- बड़ के पत्ते पर मनोकामना लिखकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोरथ पूर्ति होती है। मनोकामना किसी भी भाषा में लिख सकते हैं।

- नए सूती लाल कपड़े में जटावाला नारियल बांधकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

इन प्रयोगों को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाएंगी।





जब हो पैसों की कमी तब करें यह टोटके

तंत्र शास्त्र में कई विशेष प्रकार के पत्थरों का भी महत्व है। इन पत्थरों से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। हकीक एक ऐसा ही चमत्कारीक पत्थर है। हकीक का प्रयोग विभिन्न टोटकों एवं प्रयोगों में किया जाता है। यह भी कहा जाता है कि जिसके घर में हकीक होता है, वह कभी गरीब नहीं हो सकता। हकीक पत्थर का विभिन्न पूजा-पाठ, साधनाओं और उपासनाओं में प्रयोग किया जाता है। हकीक पत्थर के कुछ टोटके इस प्रकार हैं-

- जो व्यक्ति श्रेष्ठ धन की इच्छा रखते हैं वे रात्रि में सत्ताइस हकीक पत्थर लेकर उसके ऊपर लक्ष्मी का चित्र स्थापित करें, तो निश्चय ही उसके घर में अधिक उन्नति होती है।

- किसी शुक्रवार के दिन रात्रि में पूजा उपासना करने के पश्चात एक हकीक माला लें और एक सौ आठ बार ऊं ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नम: मंत्र का जप करें। इसके बाद माला को लक्ष्मीजी के मंदिर में अर्पित कर दें। धन से जुड़ी हर समस्या हल हो जाएगी।

- यदि ग्यारह हकीक पत्थर लेकर किसी मंदिर में चढ़ा दें। कहें कि अमुक कार्य में विजय होना चाहता हूं तो निश्चय ही उस कार्य में विजय प्राप्त होती है।

इस तरह यह पत्थर धन से जुड़ी आपकी हर समस्या का हल कर देता है।


मुश्किल समय में जप करें इस मंत्र का

कभी-कभी जिंदगी ऐसी मुश्किलों से घिर जाती है कि समझ नहीं आता कि इन परेशानियों से कैसा निपटा जाए? मुसीबतों से निपटने के लिए तो हर व्यक्ति संघर्ष करता है लेकिन कई बार इंसान ऐसी परिस्थितियों में अपने आप को शक्तिहीन महसूस करने लगता है।

यदि आपके साथ भी यही समस्या है। आप संघर्ष करते-करते थक चुके हैं। लगने लगा है कि आपकी किस्मत आपका साथ नहीं दे रही है, ऐसे में सिर्फ  मंत्र शक्ति ही ऐसी शक्ति है जो आपको स्थिति से लडऩे की ताकत दे सकती है। ऐसे समय में नीचे लिखे मंत्र का जप करने से आपको मुश्किलों से लडऩे की शक्ति मिलेगी।



मंत्र

सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।

गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोस्तुते।



जप विधि

- प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर मां दुर्गा का पूजन करें। उन्हें लाल फूल चढ़ाएं।

- मां दुर्गा के सामने कुश का आसन लगाकर लाल चंदन अथवा कमल गट्टे की माला से  इस मंत्र का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है।

- एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।







बड़े काम के हैं ये छोटे-छोटे टोटके

टोने-टोटके का नाम सुनते ही लोगों को डर लगने लगता है। उन्हें ऐसा लगता है कि हर टोने-टोटके में किसी पशु-पक्षी की बलि दी जाती है या उसमें कोई क्रूर कर्म किया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। छोटे-छोटे व सामान्य टोटके भी बहुत अच्छे परिणाम दे सकते हैं। धन प्राप्ति के कुछ सामान्य टोटके इस प्रकार हैं-

टोटके

1- घर की प्रमुख महिला जो सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाती है, वह यदि प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल भरकर मुख्य द्वार पर छिड़के तो लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं और उस घर में कभी दरिद्रता नहीं आती।

2- बुधवार लक्ष्मी के आगमन का दिन है। इस दिन धन का भुगतान अथवा माल या नगद राशि उधार में किसी को नहीं देना चाहिए। इससे धन आगमन में रुकावट होती है।

3- हर अमावस को लाभ की चौघडिय़ा के समय लक्ष्मी पूजन करें तो लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और धन लाभ होता है।

4- गुरुवार के दिन यदि आपको आपको अचानक अधिक धन की प्राप्ति हो जाए तो उसमें से 15, 30, 45 या 60 के अनुपात में धन राशि का एक लिफाफा बनाकर मंदिर में रख दें।

5- दुकान या घर से निकलते समय खाली जेब न चलें। कुछ रुपए साथ लेकर चलें।

6- यदि किसी का कर्ज चुकाना है तो मंगलवार के दिन से उसे पैसा देना शुरु करें। इससे कर्ज जल्दी उतरेगा।



इस टोटके में छिपा है धनवान बनने का रहस्य

दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है जो टोने-टोटकों के माध्यम से नहीं किया जा सकता है। ऐसा तंत्र शास्त्र में लिखा है। इस शास्त्र के स्वामी स्वयं भगवान शिव हैं। टोने-टोटकों से धन संबंधी समस्या भी आसानी से दूर की जा सकती है। इसके प्रभाव से गरीब भी धनवान सकता है। यदि आप भी धनवान बनना चाहते हैं तो यह टोटका करें।

टोटका

भादौ मास (14 अगस्त, रविवार से प्रारंभ) के कृष्ण पक्ष में भरणी नक्षत्र हो उस दिन जल से भरे हुए चार कलश लेकर वन में जाएं और वहां उन कलशों को एकांत में रखकर चुपचाप चले आएं। फिर दूसरे दिन जाकर जो कलश खाली मिले उसे घर में ले आएं। शेष को वहीं छोड़ दें। खाली कलश को घर के एकांत कोने में रखकर प्रतिदिन उठकर पूजा करें तो उस व्यक्ति पर लक्ष्मी प्रसन्न होकर उसी के घर में निवास करती हैं।



वशीकरण का सबसे आसान तरीका

यूं तो वशीकरण के कई तरीके प्रचलित हैं। जिनमें से कुछ तो सार्वजनिक हैं तथा कुछ अत्यंत गोपनीय किस्म के होते हैं। यंत्र, तंत्र और मंत्र के क्षेत्र में ही वशीकरण के कई अचूक और १०० प्रतिशत प्रमाणिक साधन या उपाय उपलब्ध हैं। किन्तु हर प्रयोग में किसी न किसी विशेष विधि एवं नियम-कायदों का पालन करना पड़ता ही है। इसीलिये, आज की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इंसान ऐसे तरीके या उपाय चाहता है जो कम से कम समय में सम्पन्न हो सकें। आजकल हर इंसान शार्टकट के जुगाड़ में लगा रहता है।


पारम्परिक और लम्बे रास्ते पर ना तो वह चलना चाहता है और ना ही उसके पास इतना समय होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही यहां वशीकरण यानि किसी को अपने प्रभाव में लाने या अनुकूल बनाने का सरल अनुभवी एवं अचूक तरीका या उपाय दिया जा रहा है। यह अचूक और शर्तिया कारगर उपाय इस प्रकार है-- जिस भी व्यक्ति को आप अपने वश में करना चाहते हैं, उसका एक चित्र जो कि लगभग पुस्तक के आकार का तथा स्पष्ट छवि वाला हो, उपलब्ध करें। उस चित्र को इतनी ऊंचाई पर रखें कि जब आप पद्मासन में बैठे, तो उस चित्र की छवि आपकी आंखों के सामने ही रहे। ५ मिनिट तक प्राणायाम करने के पश्चात उस चित्र पर ध्यान एकाग्र करें। पूर्ण गहरे ध्यान में पंहुचकर उस चित्र वाले व्यक्तित्व से बार-बार अपने मन की बात कहें। कुछ समय के बाद अपने मन में यह गहरा विश्वास जगाएं कि आपके इस प्रयास का प्रभाव होने लगा है। यह प्रयोग सूर्योदय से पूर्व होना होता है।



यह पूरा प्रयोग असंख्यों बार अजमाने पर हर बार सफल रहता है। किन्तु इसकी सफलता पूरी तरह से व्यक्ति की एकाग्रता और अटूट विश्वास पर निर्भर रहती है। मात्र तीन से सात दिनों में इस प्रयोग के स्पष्ट प्रभाव दिखने लगते हैं।


क्या आपको धन हानि होती रहती है तो यह करें

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें लगातार धन की हानि होती रहती है। हालांकि इसका कोई विशेष कारण नहीं होता लेकिन जन्म कुंडली के आधार पर इसका कारण जरुर जाना जा सकता है। इस समस्या से बचने के उपाय इस प्रकार हैं-

उपाय

- प्रतिदिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। दुर्वा आवश्यक रूप से चढ़ाएं।

- बहते जल में 9 गुरुवार तक लगातार 9 चमेली के फूल प्रवाहित करें।

- गुरुवार के दिन केतकी की जड़ का अंश सोने या तांबे के ताबीज में बंद करके पीले धागे में बाँधकर गले में धारण करें।

- किसी गुरुवार के दिन पीले वस्त्र मंदिर में दान करें।

- पीला कनेर का पुष्प रोज गुरु की प्रतिमा या चित्र पर चढ़ाकर धूपबत्ती जलाएं।

- प्रतिदिन केसर का तिलक लगाएं।

इस उपाय से होगा चट मंगनी-पट ब्याह

यदि किसी के विवाह में देरी हो जाए तो उसके माता-पिता को चिंता सताने लगती है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बेटी के विवाह में देरी से ही माता-पिता चिंतित होते हैं। यदि बेटे की शादी में भी देरी हो जाए तो माता-पिता का चिंतित होना स्वभाविक है। यहां हम आपको बता रहा हैं एक ऐसा उपाय जिससे आपकी इस चिंता का निदान हो जाएगा।

उपाय

गुरुवार शुक्लपक्ष का हो उस दिन सुबह सूर्य निकलने के बाद स्नान आदि करके व पूजा करने के बाद एक नया पीला कपड़ा लें और उसमें पीली धातु(पीतल या सोना), चने की दाल, पीली मिठाई अथवा पीला गुड़, पीला रंग में रंगा हुआ यज्ञोपवित, पीले फूल और हल्दी की साबूत गांठ लेकर बांध लें। इसके बाद अपने इष्ट भगवान का स्मरण करते हुए इस पोटली को घर के ऐसे हिस्से में रखें जहां इस पर किसी न नजर न पड़े और न ही इसे कोई छू सके। इसके बारे में किसी को बताएं भी नहीं। प्रतिदिन इस पोटली की पूजा करते रहें। जिस व्यक्ति के विवाह के लिए आप यह उपाय करें, उसके विवाह के बाद इस पोटली की पूजा करके इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस उपाय से विवाह संबंधी आपकी समस्या जल्दी ही दूर हो जाएगी।




इसे कहते हैं हर समस्या का रामबाण उपाय

 
जीवन में हमें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुछ परेशानियां स्वयं ही समाप्त हो जाती हैं जबकि कुछ समस्याओं के निदान के लिए विशेष प्रयास करने पड़ते हैं। तंत्र शास्त्र के माध्यम से जीवन की कई समस्याओं का निदान किया जा सकता है। गोमती चक्र एक ऐसा पत्थर है जिसका उपयोग तंत्र क्रियाओं में किया जाता है। यह बहुत ही साधारण सा दिखने वाला पत्थर है लेकिन इसका यह बहुत प्रभावशाली है। इसके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं-

1- यदि बार-बार गर्भ गिर रहा हो तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर कमर में बांध दें तो गर्भ गिरना बंद हो जाता है।

2- यदि कोई कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर दाहिना पांव रखकर जाए तो उस दिन कोर्ट-कचहरी में सफलता प्राप्त होती है।

3- यदि शत्रु बढ़ गए हों तो जितने अक्षर का शत्रु का नाम है उतने गोमती चक्र लेेकर उस पर शत्रु का नाम लिखकर उन्हें जमीन में गाड़ दें तो शत्रु परास्त हो जाएंगे।

4- यदि पति-पत्नी में मतभेद हो तो तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में हलूं बलजाद कहकर फेंद दें, मतभेद समाप्त हो जाएगा।

5- प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करें। निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जाएंगे।

6- व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बांधकर ऊपर चौखट पर लटका दें और ग्राहक उसके नीचे से निकले तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है।

7- यदि गोमती चक्र को लाल सिंदूर के डिब्बी में घर में रखें तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।



आज इस टोटके को करने से होगा धन लाभ

जीवन में कई तरह की मुश्किलें आती हैं। व्यक्ति हर तरह की मुसीबतों से जुझता हुआ आगे बढ़ता जाता है लेकिन धन का अभाव एक ऐसी समस्या है जिससे जुझते हुए जीवन बिताना सबसे मुश्किल काम है। धन की कमी से उबरने और अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए सावन में शिव की आराधना से सरल कोई और उपाय नहीं है। धन से जुड़ी समस्या से निजात पाने के लिए सावन मास के किसी शुक्रवार को यह साधारण टोटका करें-

टोटका

श्रावण मास के किसी शुक्रवार को यथाशक्ति (जितना संभव हो) चावल भगवान शिव मंदिर ले जाएं। अब अपने दोनों हाथों में जितने चावल आ जाएं उतने शिवजी को अर्पण कर दें और भगवान शिव से धन प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। जितने अक्षत के दानें शिवजी को अर्पण किए जाते हैं, उसका उतने ही हजार गुना फल मिलता है। अब बचा हुआ चावल गरीबों में बांट दें। यह धन प्राप्ति का अचूक उपाय है।