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Wednesday, 26 September 2012

मूषक (चूहा) भगवान गणेश का वाहन है। गणेश का स्वरूप जितना विचित्र है उतना ही अजीब उनका वाहन है। शिवपुराण में प्रसंग आता है कि गणेश ने मूषक पर सवार होकर ही अपने माता-पिता की परिक्रमा की। कहां विशालकाय गणेश और कहां चूहे का छोटा-सा शरीर, कहीं कोई तालमेल ही नहीं। पुराण कहते हैं-

मूषकोत्तममारुह्यï देवासुरमहाहवे।

योद्धुकामं महाबाहुं वन्देऽहं गणनायकम्॥

पद्मपुराण, सृष्टिखंड 66/4

भावार्थ- उत्तम मूषक पर विराजमान देव-असुरों में श्रेष्ठ तथा युद्ध में महाबलशाली गणों के अधिपति श्रीगणेश को प्रणाम है।

भगवान गणेश के वाहन मूषक के बारे में कई प्राचीन कथाएं प्रचलित हैं। उसी के अनुसार गजमुखासुर नामक दैत्य ने अपने बाहुबल से देवताओं को बहुत परेशान कर दिया। सभी देवता एकत्रित होकर भगवान गणेश के पास पहुंचे। तब भगवान श्रीगणेश ने उन्हें गजमुखासुर से मुक्ति दिलाने का भरोसा दिलाया। तब श्रीगणेश का गजमुखासुर दैत्य से भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध में श्रीगणेश का एक दांत टूट गया। तब क्रोधित होकर श्रीगणेश ने टूटे दांत से गजमुखासुर पर ऐसा प्रहार किया कि वह घबराकर चूहा बनकर भागा लेकिन गणेशजी ने उसे पकड़ लिया। मृत्यु के भय से वह क्षमायाचना करने लगा। तब श्रीगणेश ने मूषक रूप में ही उसे अपना वाहन बना लिया।

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