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Friday 31 August 2012

कुंडली में पितृ दोष होगा तो ऐसे सपने आएंगे।

सपनों का जीवन में विशेष महत्व है। सपने भविष्य में होने वाली घटनाओं की पूर्व सूचना देते हैं। इनका अपना गोपनीय महत्व होता है। स्वप्न ज्योतिष के अनुसार रात में आने वाले सपनों पर कुंडली में बनने वाले दोषों का भी असर होता है। कुछ सपने ये इशारा कर देते हैं कि आपकी कुंडली में कौन सा दोष बन रहा है। इसी तरह कुछ सपने ऐसे होते है जो आपकी कुंडली में पितृ दोष होने का इशारा करते हैं।

पितृ दोष होने के कारण व्यक्ति को अजीब अजीब सपने आते है। अगर किसी को पितृ दोष हो तो उसे सपने में सांप दिखाई देंगे चाहे सांप जिंदा हो या मरा हुआ हो।

अगर आप सपने में सांप से बच रहे हो या फिर उसे मार देते है तो आपको पितृ दोष है ऐसा समझ लेना चाहिए।

पितृ दोष होने पर जंगली जानवर भी सपने में दिखाई देते हैं। सपने में जंगली जानवरों का काटना भी पितृ दोष होने का संकेत देता है। अगर सपने में अपने ही घर या परिवार का मरा हुआ कोई सदस्य दिखाई देता है तो भी पितृ दोष है ऐसा जानना चाहिए। शास्त्रों और पुराणों में पितृओं के लिए सफेद रंग बताया गया है। इसलिए अगर  सपने में सफेद कपड़े पहने कोई व्यक्ति दिखें तो भी समझ लेना चाहिए कि आपको पितृ दोष है।

पितृओं के लिए चावल और दूध को आहार बताया गया है अगर सपने में चावल या दूध दिखे तब भी आपको समझना चाहिए की आपको पितृ दोष है। ऐसे सपने आना पितृ ऋण का सूचक  होते हैं।




हर इच्छा जल्द पूरी करेगा दुर्गासप्तशती का यह चमत्कारी मंत्र

इच्छाएं मात्र विचारों से पूरी नहीं होती, बल्कि सोच को व्यवहार में उतार कोशिशों से ही संभव है। जिसके लिए तमाम मानसिक ऊर्जा व शारीरिक शक्ति को जोड़कर व वक्त के साथ तालमेल बैठाकर लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाना बेहतर उपाय है। यह व्यावहारिक रूप से शक्ति को साधकर इच्छा व सफलता को पाने का ही रास्ता है।

वहीं धार्मिक उपायों द्वारा शक्ति साधना से प्रयासों को सफल बनाने के लिए देवी उपासना का बहुत महत्व है। देवी भक्ति न केवल मनोवांछित बल्कि शीघ्र ही शुभ फल देने वाली मानी गई है। देवी साधना के लिए दुर्गासप्तशती या उसके चमत्कारी मंत्रों का स्मरण श्रेष्ठ के उपाय है।

शुक्रवार देवी उपासना का विशेष दिन होता है। इस दिन दुर्गासप्तशती के अद्भुत मंत्रों में ही एक मंत्र जीवन से जुड़ी हर कामनापूर्ति जैसे धन, धान्य या संतान आदि के साथ उनमें आने वाली बाधाओं का भी अंत करने वाला माना गया है। जानते हैं यह मंत्र और उसके स्मरण की आसान विधि -

- शुक्रवार को सुबह और शाम दोनों वक्त इस मंत्र का पाठ किया जा सकता है। स्नान के बाद देवी के किसी भी रूप की लाल वस्त्र पर विराजित मूर्ति या तस्वीर के सामने सुगंधित धूप व घी का दीप जलाकर माता को लाल चंदन लगाकर लाल फूल यथासंभव लाल गुड़हल या गुलाब के फूल अर्पित करें।

- मौसमी फल का भोग लगाएं और कामनापूर्ति की प्रार्थना के साथ नीचे लिखा दुर्गासप्तशती का मंत्र पूर्व या उत्तर दिशा में मुख कर लाल आसन पर बैठ बोलें या स्फटिक की माला से यथाशक्ति जप करें -

सर्वबाधा विर्निमुक्तो धनधान्यसुतान्वित:।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।

-  मंत्र स्मरण या जप के बाद देवी की दीप व कर्पूर आरती कर क्षमाप्रार्थना करें।



शनिवार को ऐसे नहाएं, शनि से मिलेगा धन लाभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि एक मात्र ऐसा ग्रह बताया गया है जो एक साथ पांच राशियों पर सीधा प्रभाव डालता है। एक समय में शनि की तीन राशियों पर साढ़ेसाती और दो राशियों पर ढैय्या चलती है। शनिदेव का स्वभाव क्रूर माना गया है। इसी वजह से अधिकांश लोगों को साढ़ेसाती और ढैय्या में कड़ी मेहनत करना होती है।

जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ फल देने वाला होता है उसे किसी भी कार्य में आसानी से सफलता प्राप्त नहीं होती है। इसके साथ राहु-केतु भी बुरा प्रभाव डालते हैं। पिता-पुत्र में अक्सर वाद-विवाद होता रहता है। परिवार में भी अशांति बनी रहती है और इसी वजह से व्यक्ति को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। साढ़ेसाती और ढैय्या के समय इस प्रकार की परेशानियां और अधिक बढ़ जाती हैं।

शनिदेव के बुरे प्रभावों से निजात पाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। ज्योतिष के अनुसार शनिवार शनिदेव की आराधना के लिए खास दिन माना गया है। इस दिन शनि के निमित्त पूजन-कर्म करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। शनिवार को स्नान के संबंध में खास नियम बताया गया है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद पूरे शरीर पर तेल लगाएं। तेल की मालिश करें। इसके बाद नहाने के पानी में काला तिल मिलाकर स्नान करें।

स्नान के बाद एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और फिर यह तेल शनिदेव को अर्पित कर दें या किसी ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को दान कर दें। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों में लाभ प्राप्त होने लगेगा। धन संबंधी परेशानियां दूर हो जाएंगी। इसके साथ ही घर-परिवार की समस्याओं से भी आजादी मिल जाएगी।




शिवजी के मंदिर जाएं तो पहले करें गणेशजी के दर्शन क्योंकि....

 
किसी भी मंदिर में भगवान के होने की अनुभूति प्राप्त की जा सकती है। भगवान की प्रतिमा या उनके चित्र को देखकर हमारा मन शांत हो जाता है। हर व्यक्ति भगवान के मंदिर अनेक तरह की प्रार्थनाएं और समस्याएं लेकर जाता है। भगवान के सामने सपष्ट रूप से अपने मन के भावों को प्रकट कर देने से भी मन को शांति मिलती है, बेचैनी खत्म होती है। 

शिव मंदिर में जाने से पूर्व ध्यान रखें कि सबसे पहले किसे प्रणाम करना चाहिए? सभी शिव मंदिरों के मुख्य द्वार पर श्रीगणेश की प्रतिमा या कोई प्रतीक चिन्ह अवश्य ही रहता है, सबसे पहले इन्हीं श्री गणेशजी को प्रणाम करना चाहिए। श्रीगणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। वेद-पुराण के अनुसार इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिवजी ने गणेशजी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया है।इसी वजह से कोई मांगलिक कर्म, पूजन आदि में सबसे पहले गणेशजी की आराधना ही की जाती है। किसी भी भगवान के मंदिर में जाए सबसे पहले भगवान गणपति का ही स्मरण करना चाहिए। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है और सभी देवी-देवताओं की कृपा आप पर बनी रहती है।


शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद लेना चाहिए या नहीं?

 
शिव को शंकर, भोले, महाकाल,  नीलकंठेश्वर और भी कितने ही नामों से पुकारा जाता है। शिव ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जिनका लिंग के रूप में पूजन किया जाता है।



माना जाता है कि शिवजी ने कभी कोई अवतार नहीं लिया। मान्यता है कि शिवजी का शिवलिंग के रूप में पूजन करने से जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। कई लोग नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा व आराधना कर व कुछ लोग नियमित रूप से मंदिर जाकर शिवलिंग को नैवेद्य अर्पित करते हैं। लेकिन बहुत कम लोग उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।



अधिकांश लोग शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण नहीं करते हैं क्योंकि उनके मन में यही भावना होती है कि शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद ग्रहण करना चाहिए या नहीं। शिवपुराण के अनुसार जो बाहर व भीतर से शुद्ध है, उत्तम व्रत का पालन करने वाले हर व्यक्ति को शिव का चढ़ाया गया प्रसाद जरूर ग्रहण करना चाहिए।



शिव के नैवेद्य को देख लेने मात्र से ही कई दोष दूर हो जाते हैं। उसको देख लेने से करोड़ो पुण्य भीतर आ जाते हैं। स्फटिक शिवलिंग, रत्नजडि़त शिवलिंग, केसर निर्मित शिवलिंग आदि किसी भी तरह के शिवलिंग पर नैवेद्य चढ़ाने से और उसे ग्रहण करने से ब्रह्म हत्या करने का पाप भी नष्ट हो जाता है। इसीलिए शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद जरूर ग्रहण करना चाहिए।

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