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Friday 31 August 2012

कुंडली में पितृ दोष होगा तो ऐसे सपने आएंगे।

सपनों का जीवन में विशेष महत्व है। सपने भविष्य में होने वाली घटनाओं की पूर्व सूचना देते हैं। इनका अपना गोपनीय महत्व होता है। स्वप्न ज्योतिष के अनुसार रात में आने वाले सपनों पर कुंडली में बनने वाले दोषों का भी असर होता है। कुछ सपने ये इशारा कर देते हैं कि आपकी कुंडली में कौन सा दोष बन रहा है। इसी तरह कुछ सपने ऐसे होते है जो आपकी कुंडली में पितृ दोष होने का इशारा करते हैं।

पितृ दोष होने के कारण व्यक्ति को अजीब अजीब सपने आते है। अगर किसी को पितृ दोष हो तो उसे सपने में सांप दिखाई देंगे चाहे सांप जिंदा हो या मरा हुआ हो।

अगर आप सपने में सांप से बच रहे हो या फिर उसे मार देते है तो आपको पितृ दोष है ऐसा समझ लेना चाहिए।

पितृ दोष होने पर जंगली जानवर भी सपने में दिखाई देते हैं। सपने में जंगली जानवरों का काटना भी पितृ दोष होने का संकेत देता है। अगर सपने में अपने ही घर या परिवार का मरा हुआ कोई सदस्य दिखाई देता है तो भी पितृ दोष है ऐसा जानना चाहिए। शास्त्रों और पुराणों में पितृओं के लिए सफेद रंग बताया गया है। इसलिए अगर  सपने में सफेद कपड़े पहने कोई व्यक्ति दिखें तो भी समझ लेना चाहिए कि आपको पितृ दोष है।

पितृओं के लिए चावल और दूध को आहार बताया गया है अगर सपने में चावल या दूध दिखे तब भी आपको समझना चाहिए की आपको पितृ दोष है। ऐसे सपने आना पितृ ऋण का सूचक  होते हैं।




हर इच्छा जल्द पूरी करेगा दुर्गासप्तशती का यह चमत्कारी मंत्र

इच्छाएं मात्र विचारों से पूरी नहीं होती, बल्कि सोच को व्यवहार में उतार कोशिशों से ही संभव है। जिसके लिए तमाम मानसिक ऊर्जा व शारीरिक शक्ति को जोड़कर व वक्त के साथ तालमेल बैठाकर लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाना बेहतर उपाय है। यह व्यावहारिक रूप से शक्ति को साधकर इच्छा व सफलता को पाने का ही रास्ता है।

वहीं धार्मिक उपायों द्वारा शक्ति साधना से प्रयासों को सफल बनाने के लिए देवी उपासना का बहुत महत्व है। देवी भक्ति न केवल मनोवांछित बल्कि शीघ्र ही शुभ फल देने वाली मानी गई है। देवी साधना के लिए दुर्गासप्तशती या उसके चमत्कारी मंत्रों का स्मरण श्रेष्ठ के उपाय है।

शुक्रवार देवी उपासना का विशेष दिन होता है। इस दिन दुर्गासप्तशती के अद्भुत मंत्रों में ही एक मंत्र जीवन से जुड़ी हर कामनापूर्ति जैसे धन, धान्य या संतान आदि के साथ उनमें आने वाली बाधाओं का भी अंत करने वाला माना गया है। जानते हैं यह मंत्र और उसके स्मरण की आसान विधि -

- शुक्रवार को सुबह और शाम दोनों वक्त इस मंत्र का पाठ किया जा सकता है। स्नान के बाद देवी के किसी भी रूप की लाल वस्त्र पर विराजित मूर्ति या तस्वीर के सामने सुगंधित धूप व घी का दीप जलाकर माता को लाल चंदन लगाकर लाल फूल यथासंभव लाल गुड़हल या गुलाब के फूल अर्पित करें।

- मौसमी फल का भोग लगाएं और कामनापूर्ति की प्रार्थना के साथ नीचे लिखा दुर्गासप्तशती का मंत्र पूर्व या उत्तर दिशा में मुख कर लाल आसन पर बैठ बोलें या स्फटिक की माला से यथाशक्ति जप करें -

सर्वबाधा विर्निमुक्तो धनधान्यसुतान्वित:।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।

-  मंत्र स्मरण या जप के बाद देवी की दीप व कर्पूर आरती कर क्षमाप्रार्थना करें।



शनिवार को ऐसे नहाएं, शनि से मिलेगा धन लाभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि एक मात्र ऐसा ग्रह बताया गया है जो एक साथ पांच राशियों पर सीधा प्रभाव डालता है। एक समय में शनि की तीन राशियों पर साढ़ेसाती और दो राशियों पर ढैय्या चलती है। शनिदेव का स्वभाव क्रूर माना गया है। इसी वजह से अधिकांश लोगों को साढ़ेसाती और ढैय्या में कड़ी मेहनत करना होती है।

जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ फल देने वाला होता है उसे किसी भी कार्य में आसानी से सफलता प्राप्त नहीं होती है। इसके साथ राहु-केतु भी बुरा प्रभाव डालते हैं। पिता-पुत्र में अक्सर वाद-विवाद होता रहता है। परिवार में भी अशांति बनी रहती है और इसी वजह से व्यक्ति को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। साढ़ेसाती और ढैय्या के समय इस प्रकार की परेशानियां और अधिक बढ़ जाती हैं।

शनिदेव के बुरे प्रभावों से निजात पाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। ज्योतिष के अनुसार शनिवार शनिदेव की आराधना के लिए खास दिन माना गया है। इस दिन शनि के निमित्त पूजन-कर्म करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। शनिवार को स्नान के संबंध में खास नियम बताया गया है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद पूरे शरीर पर तेल लगाएं। तेल की मालिश करें। इसके बाद नहाने के पानी में काला तिल मिलाकर स्नान करें।

स्नान के बाद एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और फिर यह तेल शनिदेव को अर्पित कर दें या किसी ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को दान कर दें। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों में लाभ प्राप्त होने लगेगा। धन संबंधी परेशानियां दूर हो जाएंगी। इसके साथ ही घर-परिवार की समस्याओं से भी आजादी मिल जाएगी।




शिवजी के मंदिर जाएं तो पहले करें गणेशजी के दर्शन क्योंकि....

 
किसी भी मंदिर में भगवान के होने की अनुभूति प्राप्त की जा सकती है। भगवान की प्रतिमा या उनके चित्र को देखकर हमारा मन शांत हो जाता है। हर व्यक्ति भगवान के मंदिर अनेक तरह की प्रार्थनाएं और समस्याएं लेकर जाता है। भगवान के सामने सपष्ट रूप से अपने मन के भावों को प्रकट कर देने से भी मन को शांति मिलती है, बेचैनी खत्म होती है। 

शिव मंदिर में जाने से पूर्व ध्यान रखें कि सबसे पहले किसे प्रणाम करना चाहिए? सभी शिव मंदिरों के मुख्य द्वार पर श्रीगणेश की प्रतिमा या कोई प्रतीक चिन्ह अवश्य ही रहता है, सबसे पहले इन्हीं श्री गणेशजी को प्रणाम करना चाहिए। श्रीगणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। वेद-पुराण के अनुसार इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिवजी ने गणेशजी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया है।इसी वजह से कोई मांगलिक कर्म, पूजन आदि में सबसे पहले गणेशजी की आराधना ही की जाती है। किसी भी भगवान के मंदिर में जाए सबसे पहले भगवान गणपति का ही स्मरण करना चाहिए। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है और सभी देवी-देवताओं की कृपा आप पर बनी रहती है।


शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद लेना चाहिए या नहीं?

 
शिव को शंकर, भोले, महाकाल,  नीलकंठेश्वर और भी कितने ही नामों से पुकारा जाता है। शिव ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जिनका लिंग के रूप में पूजन किया जाता है।



माना जाता है कि शिवजी ने कभी कोई अवतार नहीं लिया। मान्यता है कि शिवजी का शिवलिंग के रूप में पूजन करने से जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। कई लोग नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा व आराधना कर व कुछ लोग नियमित रूप से मंदिर जाकर शिवलिंग को नैवेद्य अर्पित करते हैं। लेकिन बहुत कम लोग उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।



अधिकांश लोग शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण नहीं करते हैं क्योंकि उनके मन में यही भावना होती है कि शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद ग्रहण करना चाहिए या नहीं। शिवपुराण के अनुसार जो बाहर व भीतर से शुद्ध है, उत्तम व्रत का पालन करने वाले हर व्यक्ति को शिव का चढ़ाया गया प्रसाद जरूर ग्रहण करना चाहिए।



शिव के नैवेद्य को देख लेने मात्र से ही कई दोष दूर हो जाते हैं। उसको देख लेने से करोड़ो पुण्य भीतर आ जाते हैं। स्फटिक शिवलिंग, रत्नजडि़त शिवलिंग, केसर निर्मित शिवलिंग आदि किसी भी तरह के शिवलिंग पर नैवेद्य चढ़ाने से और उसे ग्रहण करने से ब्रह्म हत्या करने का पाप भी नष्ट हो जाता है। इसीलिए शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद जरूर ग्रहण करना चाहिए।







आयुर्वेद से जुड़ी ये बाते हैं अजीब लेकिन सच!

आयुर्वेद एक संपूर्ण विज्ञान है, जिसके कई पहलूओं को जानना आज के विज्ञान के लिए चुनौती है। आयुर्वेद के ग्रन्थ चरक संहिता के इन्द्रिय स्थान में किसी रोगी के ठीक होने के लक्षणों तथा मृत्यु सूचक लक्षणों को देखकर पहचानने का वर्णन है,जो बड़ा रोचक है ऐसे ही कुछ रोचक पहलूओं को आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है:-

-यदि रोगी दही ,अक्षत,अग्नि,लड्डू ,बंधे हुए पशु, बछडे  के साथ गाय ,बच्चे के साथ स्त्री,सारस ,हंस,घी.सैंधा नमक ,पीली सरसों ,गोरोचन,मनुष्यों से भरी गाडी आदि देखता हो तो आरोग्य प्राप्त  करता है।

-रोगी द्वारा अच्छी सफ़ेद वस्तुओं को देखना,मधुर रस ,शंख ध्वनि सुनना आदि भी शीघ्र ठीक होने के लक्षण बताये गए हैं ।

 -ऐसे ही आयुर्वेद में स्वप्न से सम्बंधित अरिष्ट लक्षणों को भी बताया गया है-जैसे यदि व्यक्ति सपने में स्नान और चन्दन का लेप किया हुआ दिखे तहा मक्खियाँ उसके शरीर पर बैठी हों तो वह व्यक्ति मधुमेह से पीडि़त होकर मृत्यु को प्राप्त होगा ऐसा वर्णित है।

-ऐसे ही जो व्यक्ति स्वयं को सपने में नग्न देखता है,तथा संपूर्ण शरीर में घृत लगाया हुआ ,तथा जिस अग्नि में  ज्वाला नहीं है उसमें हवन करता हुआ देखता है वैसे व्यक्ति के असाध्य त्वचा रोगों से पीडि़त होकर मृत्यु क ी संभावना बतायी गयी है।

-जो व्यक्ति हमेशा ध्यान में रहे तथा श्रम न करने पर भी थकान महसूस करे ,बिना कारण बैचैन हो,जहां मोह नहीं करना चाहिए वहां मोह करे,पूर्व में क्रोधी न हो पर अचानक क्रोधी स्वभाव का हो जाय,मूर्छा एवं प्यास से पीडि़त हो तो समझें वह मानसिक रोग से पीडि़त हो जाएगा।

-यदि रोगी व्यक्ति स्वप्न में कुत्ते ,ऊंट क़ी  सवारी करता हुआ दक्षिण दिशा क़ी ओर जाता हो तथा विचित्र प्रकार की आकृतियों  के साथ मदिरा पान करता हुआ स्वयं को देखता हो तो वह रोगों के समूह यक्ष्मा से पीडि़त होगा ,ऐसा वर्णित है।

-यदि व्यक्ति किसी जल भरे तालाब या नदी में जहां जाल नहीं बिछाया गया है जाल देखता है तो उसकी मृत्यु निश्चित है, ऐसा जानें।

-यदि रोगी के उदर पर सांवली,ताम्बे के रंग क़ी ,लाल,नीली ,हल्दी के तरह क़ी रेखाएं उभर जाएँ तो रोगी का जीवन खतरे में है, ऐसा बताया गया है।

-यदि व्यक्ति अपने केश एवं रोम को पकड़कर खींचे और वे उखड जाएँ तथा उसे वेदना न हो तो रोगी क़ी आयु पूर्ण हो गयी है, ऐसा मानना चाहिए।

 - व्यक्ति  स्वप्न में अपने शरीर पर लताएं उत्पन्न देखे  और पछी  उसपर घोंसले बनाकर रहे हुए दिखें तो उसके जीवन में संदेह है इसी प्रकार यदि स्वप्न में व्यक्ति यदि अपना बाल उतरा हुआ देखे तो भी वह रोगी होगा  ऐसा उल्लेखित है।

-जिस व्यक्ति का श्वांस छोटा चल रहा हो तथा उसे कैसे भी शान्ति न मिल रही हो तो उसका बचना मुश्किल है।

-यदि रोगी व्यक्ति स्वप्न में पर्वत ,हाथी घोड़े पर स्वयं को या अपने हितैषियों को चढ़ते हुए देखता है,साथ ही समुद्र या नदी में तैरते हुए उसको पार करता हुआ देखता है ,चन्द्रमा,सूर्य एवं अग्नि  को प्रकाशित देखता है  तो वह आरोग्य को प्राप्त होगा।

-इसी प्रकार व्यक्ति का थूक या मल पानी में डूब जाय तो आयुर्वेद के ऋषियों केअनुसार उसकी मृत्यु निश्चित मानना चाहिए।

संभवत: आयुर्वेद के मनीषियों द्वारा व्यापक अनुभव के आधार पर एकत्रित यह ज्ञान, चिकित्सकों एवं रोगी के परिवारजनों की जानकारी के लिए रोगी के ठीक होने और न होने की संभावना को व्यक्त करने के उद्देश्य से बताये गए हों,जो आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। 


घर में लगाएं नाचते हुए श्रीगणेश का चित्र क्योंकि...

भगवान श्रीगणेश आदि व अनन्त हैं। पुरातन काल से ही भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले करने का विधान है। भगवान गणेश की पूजा कई रूपों में की जाती है जैसे- लंबोदर, शूपकर्ण, एकदंत आदि। भगवान गणेश के हर स्वरूप का अपना एक अलग महत्व है। वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन के दरवाजे के ऊपर भगवान गणेश की तस्वीर लगाना अति शुभ होता है। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं हो पाता।

वास्तु शास्त्रियों की मानें तो घर में नाचते हुए गणेश की तस्वीर लगाना अति शुभ होता है। इस स्वरूप में भगवान गणेश अति प्रसन्न नजर आते हैं। इस तस्वीर से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है तथा सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा स्वत: ही घर से बाहर चली जाती है। नाचते हुए गणेश की तस्वीर को देखने से मन प्रफुल्लित होता है तथा मन को शांति प्राप्त होती है जिससे घर में संपन्नता का वास होता है। यह तस्वीर घर में ऐसे स्थान पर लगाना चाहिए जहां बार-बार नजर आए जिससे कि इसका प्रभाव मनोमस्तिष्क पर बना रहे।


गणेश चतुर्थी: करें यह साधारण टोटका और बन जाएं धनवान

भगवान गणेश बुद्धि, ज्ञान और विवेक के साथ धन सुख देने वाले देवता के रूप में भी पूजे जाते हैं। जहां आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति अपनी दरिद्रता से मुक्त होना चाहता है। वहीं धनी भी यही कामना करता है कि उसे कभी गरीबी का मुंह न देखना पड़े। इसलिए यहां हम आपको बता रहे हैं एक ऐसा सरल टोटका जिससे न केवल धन लाभ होगा बल्कि आपको कभी धन का अभाव भी नहीं सताएगा।

टोटका

आंकड़े के पौधे में भगवान गणेश का वास माना जाता है। इसलिए इसकी जड़ बहुत ही शुभ फल देने वाली मानी जाती है। खासतौर पर धन लाभ की दृष्टि से यह बहुत प्रभावी मानी गई है। अनेक तंत्र क्रियाओं में आंकड़े की जड़ का उपयोग होता है।

आंकड़े की जड़ को जलाएं। उसकी राख बना लें।  आंकड़े की इस भस्म से परिवार के हर सदस्य को टीका लगाएं। माना जाता है कि यह आंकड़े की भस्म का तिलक घर-परिवार में अपार धन लाभ देता है। जब भी आप आर्थिक तंगी से ज्यादा परेशान हो। इस भस्म का तिलक लगाएं।

इस तरह आंकड़े की जड़ बहुत ही शुभ और पवित्र मानी जाती है। यह श्री यानि सुख-समृद्धि देती है, जिससे जीवन में असुरक्षा का भाव मिटता है और ईश्वर में आस्था बढ़ती है।



पीपल का पेड़ दूर करेगा आपकी हर परेशानी

हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष को बहुत ही पवित्र माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जिसके घर में पीपल का वृक्ष होता है उसके घर कभी दरिद्रता नहीं आती और सुख-शांति बनी रहती है। विज्ञान ने भी पीपल के वृक्ष के महत्व को माना है। यहां हम आपको बता रहे हैं पीपल के वृक्ष से जुड़े कुछ तंत्र उपाय, जिससे आपकी कई समस्याओं का निदान हो जाएगा।

उपाय

धन प्राप्ति के लिए

पीपल के पेड़ के नीचे शिव प्रतिमा स्थापित करके उस पर प्रतिदिन जल चढ़ाएं और पूजन-अर्चन करें। कम से कम 5 या 11 माला मंत्र का जप(ऊँ नम: शिवाय) करें। कुछ दिन नियमित साधना के बाद परिणाम आप स्वयं अनुभव करेंगे। प्रतिमा को धूप-दीप से शाम को भी पूजना चाहिए।

हनुमानजी की कृपा पाने के लिए

हनुमानजी की कृपा पाने के लिए भी पीपल के वृक्ष की पूजा करना शुभ होता है। पीपल के वृक्ष के नीचे नियमित रूप से बैठकर हनुमानजी का पूजन, स्तवन करने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं और साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

शनि दोष से बचने के लिए

शनि दोष निवारण के लिए भी पीपल की पूजा करना श्रेष्ठ उपाय है। यदि रोज पीपल पर जल चढ़ाया जाए तो शनि दोष की शांति होती है। शनिवार की शाम  पीपल के नीचे दीपक लगाएं और पश्चिममुखी होकर शनिदेव की पूजा करें तो और भी लाभकारी होता है।


मनोकामना पूर्ति के अचूक गुप्त उपाय

हर मनुष्य की कुछ मनोकामनाएं होती है। कुछ लोग इन मनोकामनाओं को बता देते हैं तो कुछ नहीं बताते। चाहते सभी हैं कि किसी भी तरह उनकी मनोकामना पूरी हो जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। यदि आप चाहते हैं कि आपकी सोची हर मुराद पूरी हो जाए तो नीचे लिखे प्रयोग करें। इन टोटकों को करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।

उपाय

- तुलसी के पौधे को प्रतिदिन जल चढ़ाएं तथा गाय के घी का दीपक लगाएं।

- रविवार को पुष्य नक्षत्र में श्वेत आक की जड़ लाकर उससे श्रीगणेश की प्रतिमा बनाएं फिर उन्हें खीर का भोग लगाएं। लाल कनेर के फूल तथा चंदन आदि के उनकी पूजा करें। तत्पश्चात गणेशजी के बीज मंत्र (ऊँ गं) के अंत में नम: शब्द जोड़कर 108 बार जप करें।

- सुबह गौरी-शंकर रुद्राक्ष शिवजी के मंदिर में चढ़ाएं।

- सुबह बेल पत्र (बिल्ब) पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर मनोरथ बोलकर शिवलिंग पर अर्पित करें।

- बड़ के पत्ते पर मनोकामना लिखकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोरथ पूर्ति होती है। मनोकामना किसी भी भाषा में लिख सकते हैं।

- नए सूती लाल कपड़े में जटावाला नारियल बांधकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

इन प्रयोगों को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाएंगी।






नौकरी पाने का अचूक व आसान टोटका

वर्तमान में नौकरी पाना आसान नहीं रह गया है। जहां देखो वहां नौकरी पाने के लिए कतार लगी नजर आती है। योग्य होने के बाद भी नौकरी के लिए कई लोग भटकते रहते हैं। ऐसे में यदि कुछ साधारण टोटके किए जाएं तो नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

टोटका

शनिवार के दिन शनि महाराज की पहले विधिपूर्वक पूजा करें इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का 1008 बार जप करें। पूर्ण रूप से अपने मन को एकाग्र कर श्रद्धापूर्वक जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाएगा।

मंत्र

ओं नम: भगवती पद्मावती ऋद्धि-सिद्धि दायिनी

दु:ख-दारिद्रय हारिणी श्रीं श्रीं ऊँ नम:

कामाक्षय ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा।

अब जब भी आप नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाएं तो पहले 11 बार इस मंत्र का जप कर लें। यदि रास्ते में कोई गाय नजर आ जाए तो उसे आटा-गुड़ खिला कर जाएं।

नाक के पास छोटा सा तिल बना देता है मालामाल

तिल, छोटे-छोटे काले रंग के होते हैं जो कि सामान्यत: सभी लोगों के शरीर पर होते हैं। ज्योतिष के अनुसार यह तिल अलग-अलग अंगों पर हमारे भविष्य के संबंध में अलग-अलग इशारे करते हैं। कुछ अंगों पर तिल बहुत शुभ होते हैं तो कुछ अंगों पर तिल होना अशुभ माना जाता है।

इस संबंध में स्त्रियों और पुरुषों के लिए अलग-अलग मान्यताएं हैं। पुरुषों के लिए दाएं अंग पर तिल होना शुभ है जबकि स्त्रियों के लिए बाएं अंग पर तिल शुभ माना गया है।

यदि किसी व्यक्ति की नाक के दाहिने भाग पर तिल है तो इसे ज्योतिष के अनुसार बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे तिल वाला इंसान सुखी और मालामाल होता है। इसे जीवनभर धन की कमी नहीं होती है। जबकि नाक के बाएं हिस्से पर तिल हो तो व्यक्ति को जीवनभर कड़ी मेहनत करना पड़ती है। कई बार कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। कठिनाई से सफलता प्राप्त होती है।

जिन लोगों के नाक के मध्य तिल होता है वे अक्सर यात्राएं ही करते रहते हैं। ऐसा व्यक्ति स्थिर न रहकर इधर-उधर भटकता रहने वाला होता है।


बिल्वपत्र वृक्ष की इस मंत्र के साथ करें पूजा..खूब बरसेगी लक्ष्मी

हिन्दू धर्मशास्त्रों के मुताबिक बिल्वपत्र में शिव का वास माना गया है। बिल्वपत्र से शिव की पूजा भी पापनाशक मानी गई है। वहीं एक पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक बिल्वपत्र की पूजा लक्ष्मी कृपा से ऐश्वर्य और धनसंपन्न बनाने वाली भी है। क्योंकि माना जाता है कि जब समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई तो लक्ष्मी का स्वामी बनने को लेकर देव-दानवों में संघर्ष हुआ। उस दौरान देवी ने बिल्वपत्र वृक्ष में समय बिताया और बाद में श्रीहरि विष्णु को अपना स्वामी चुना। इसलिए बिल्वपत्र श्रीवृक्ष के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ।

यही कारण है कि देवी व शिव उपासना के विशेष दिनों नवमी व चतुर्दशी तिथि पर विशेष मंत्रों के साथ बिल्वपत्र पूजा पाप व दरिद्रता का अंत कर वैभवशाली बनाने वाली बताई गई है। यह पूजा लक्ष्मी कृपा की कामना से हर रोज भी शुभ है।

जानते हैं विशेष मंत्र के साथ बिल्वपत्र पूजा का आसान उपाय-

- सुबह स्नान के बाद लाल या सफेद वस्त्र पहन बिल्वपत्र के वृक्ष की पूजा में चंदन, फूल व फूल माला, फल, वस्त्र, तिल, अनाज अर्पित करें। धूप व दीप जलाकर नीचे लिखा मंत्र बोल बिल्वपत्र वृक्ष की पूजा करें - 

श्रीनिवास नमस्तेस्तु श्रीवृक्ष शिववल्लभ।

ममाभिलषितं कृत्वा सर्वविघ्रहरो भव।।

- मंत्र पूजा के बाद लक्ष्मी कृपा की कामना के साथ शिव आरती या लक्ष्मी आरती भी करें और बिल्वपत्र की परिक्रमा करें। यथासंभव इस दिन बिना नमक का भोजन कर मौन व्रत रखें।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।



बोलें शनि की बहन 'भद्रा' का 12 नाम मंत्र..शुभ काम में न आएगी अड़चनें

किसी शुभ या मंगल कार्य को शुरू करने से पहले पंचांग में भद्रा या विष्टि योग भी देखा जाता है। यह तिथि के आधे भाग करण का ही एक नाम है। वहीं पौराणिक मान्यताओं में भद्रा सूर्य पुत्री यानी शनि की बहन है। जिसके क्रूर स्वभाव पर काबू पाने के लिए ब्रह्मदेव की कृपा से उसे करण में विष्टि नाम से स्थान दिया गया। इसे अशुभ घड़ी भी माना जाता है।

भद्रा योग के दौरान कार्य विशेष शुभ नहीं माने जाते। जिनमें यात्रा, कारोबार, कृषि, मांगलिक कार्य आदि प्रमुख है। वहीं तंत्र, अदालती कार्य या राजनीति सफल होती है। धार्मिक व ज्योतिष मान्यताओं के मुताबिक भद्रा तीन लोकों में घूमने के दौरान जब पृथ्वी पर होती है तो इस स्थिति में अमंगल करती है। भू-लोक में होने की पहचान चंद्रमा के कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होने के द्वारा की जाती है। इसे विष्टिकरण योग भी कहा जाता है। रक्षाबंधन या होलिका दहन के वक्त इस पर विशेष रूप से गौर किया जाता है।

भद्रा के अशुभ प्रभाव से रक्षा वैसे तो व्रत आदि के विधान बताए गए हैं, किंतु आसान उपायों में सुबह भद्रा के 12 नाम मंत्र का स्मरण कार्यसिद्धि के साथ विघ्र, रोग, भय को दूर कर ग्रहदोषों को भी शांत करने वाला माना गया है। जानते हैं भद्रा योग के दौरान बोले जाने वाला मंत्र विशेष -

धन्या दधिमुखी भद्रा महामारी खरानना। कालरात्रिर्महारुद्रा विष्टिश्च कुलपुत्रिका।

भैरवी च महाकाली असुराणां क्षयंकरी। द्वादशैव तु नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।।

न च व्याधिर्भवेत् तस्य रोगी रोगात्प्रमुच्यते। ग्रह्य: सर्वेनुकूला: स्युर्न च विघ्रादि जायते।।



बोलें सिर्फ 2 हनुमान मंत्र, शुरू हो जाएगा सफलता का सफर

इंसान में बल हो, बुद्धि भी हो किं तु विवेक की कमी से निर्णय क्षमता कमजोर हो तो वक्त आने पर सही-गलत का फैसला न कर पाने और सक्रिय न होने से शक्ति और ज्ञान बेकार हो जाता है।

शास्त्रों में श्री हनुमान की उपासना बल, बुद्धि और विद्या देने वाली ही मानी गई है। श्री हनुमान इसी बात के आदर्श है कि जब-जब संकट आया उन्होनें तुरंत सक्रियता दिखाई और सही निर्णय लिये। चाहे वह सीता की खोज हो, लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा करने की बात हो या राम-लक्ष्मण को अहिरावण से छुड़ाना।

जोश, उत्साह और ऊर्जा बनाये रख सफलता की सीढिय़ां चढ़ते जाना है तो श्री हनुमान की उपासना बहुत ही शुभ मानी गई है। मंगलवार का दिन श्री हनुमान उपासना के लिये बहुत ही मंगलकारी माना गया है। जिसके लिये यहां बताए जा रहे हैं मात्र 2 मंत्र बहुत ही असरदार भी माने गए हैं।

- मंगलवार को स्नान के बाद श्री हनुमान की मूर्ति या प्रतिमा पर सिंदूर या लाल चंदन, नारियल, फूल, नैवेद्य चढ़ाकर धूप व चमेली के तेल का दीप जलाकर नीचे लिखें दो मंत्रो का यथाशक्ति जप करें -

- ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नम:।

- ॐ इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारकाय नम:।

- इन मंत्रों के स्मरण के बाद श्री हनुमान की दीप-कर्पूर आरती कर विघ्र, बाधा को दूर कर सफल जीवन की कामना करें।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।


इस मंत्र से गाय को छू लें..पैसा, गाड़ी हो या मकान, हर इच्छा होगी पूरी

हिन्दू धर्मशास्त्र हर प्राणी मात्र में देव दर्शन का संदेश देते हैं। यह ईश्वर रूप प्रकृति रूपी शक्ति के सम्मान द्वारा सभी प्राणियों के लिए हित का श्रेष्ठ उपाय भी है। प्रकृति पूजा की इसी कड़ी में गाय भी देव प्राणी के रूप में पूजनीय है। धार्मिक मान्यताओं में गाय में देवी-देवताओं का वास माना जाता है। व्यावहारिक रूप से भी गाय से मिलने वाला हर पदार्थ चाहे वह दूध हो या मूत्र रोग व शोक का अंत करने वाला होता है।

धर्मग्रंथों में भी सभी मनोरथ सिद्ध करने वाली और देवशक्तियों से पूर्ण कामधेनु गाय भी पूजनीय बताई गई है। यही कारण है कि गोपूजा मंगलदायी व समस्त सांसारिक इच्छाओं को शीघ्र पूरी करने वाली बताई गई है।

अगर आप भी व्यस्त जीवन में देव पूजा के लंबे विधान न अपना पाएं तो हर रोज गो पूजा के आसान उपाय द्वारा धन, वाहन, मकान जैसी जीवन से जुड़ी हर इच्छा को पूरी कर सकते हैं। जानें गो पूजा की सरल विधि व मंत्र विशेष-

- सुबह स्नान के बाद गाय पर गंगाजल छिड़कर गंध, अक्षत, फूल चढ़ाकर गाय के घी के दीप से नीचे लिखा मंत्र बोल पूजा करें -

ॐ माता रुद्राणां दुहिता वसूनां स्वसादित्यानाममृतस्य नाभि:।

प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय मा गामनागामदितिं वधिष्ट नमो नम: स्वाहा।।

इस मंत्र पूजा के बाद गोमाता को भोजन का ग्रास खिलाएं और परिक्रमा कर नीचे लिखे मंत्र से कामनापूर्ति और क्षमाप्रार्थना करें -

ॐ सर्वदेवमये देवि लोकानां शुभनन्दिनि।

मातर्ममाभिषितं सफलं कुरु नन्दिनि।।

- यथासंभव गो पूजा दोपहर में भोजन बनने के बाद पहला ग्रास गौ को देकर करना बहुत ही शुभ मानी गई है।





धन की कामना है तो इस दिशा में मुंह रख बोलें मंत्र

देव या इष्ट सिद्धि के लिए मंत्र जप का विशेष महत्व है। मंत्र जप न केवल कामनापूर्ति के श्रेष्ठ साधन है, बल्कि यह देवीय व आध्यात्मिक शक्तियों द्वारा मन व शरीर को ऊर्जावान, एकाग्र व संयमशील भी बनाते हैं। जिसका लाभ चरित्र, स्वभाव और व्यवहार में अनुशासन व अच्छे बदलावों के रूप में प्राप्त होता है।

बहरहाल, मंत्र जप के सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के नजरिए से बात करें तो शास्त्रों में अलग-अलग आठ दिशाओं में मुख कर देव विशेष के मंत्र जप से विशेष फल प्राप्ति के बारे में बताया गया है। जानते हैं किस दिशा में मुंह करके जप करने से कौन-सा फल मिलता है -

- सामान्य तौर पर उत्तर या पूर्व दिशा में मुंह कर किसी भी मंत्र जप के लिए शुभ है।

- विशेष इच्छाओं के संदर्भ में पूर्व दिशा की ओर मुंह कर मंत्र जप से वशीकरण सिद्ध होता है।

- पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर मंत्र जप धन, वैभव व ऐश्वर्य कामना को पूरी करता है।

- उत्तर दिशा की ओर मुख कर मंत्र जप से सुख-शांति मिलती है।

- दक्षिण दिशा में मुंह कर मंत्र जप मारण सिद्धी देता है।

- उत्तर-पश्चिम यानी वायव्य दिशा की ओर मुख कर जप शत्रु व विरोधियों का नाश,

- उत्तर-पूर्व यानी ईशान दिशा में मुंह कर मंत्र जप ज्ञान,

- दक्षिण-पूर्व यानी आग्रेय दिशा में मुख कर मंत्र जप आकर्षण, सौंदर्य कामना और,

- दक्षिण-पश्चिम यानी नैऋत्य दिशा में मुख कर मंत्र जप पवित्र विचार व दर्शन की कामना को पूरा करता है।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।


वशीभूत कर दे कामदेव वशीकरण मंत्र

जब किसी व्यक्ति को किसी से प्रेम हो जाए या वह आसक्त हो। विवाहित स्त्री या पुरुष की अपने जीवनसाथी से संबंधों में कटुता हो गई हो या कोई युवक या युवती अपने रुठे साथी को मनाना चाहते हो। किंतु तमाम कोशिशों के बाद भी वह मन के अनुकूल परिणाम नहीं पाता। तब उसके लिए तंत्र क्रिया के अंतर्गत कुछ मंत्र के जप प्रयोग बताए गए हैं। जिससे कोई अपने साथी को अपनी भावनाओं के वशीभूत कर सकता है।


धर्मशास्त्र में कामदेव को प्रेम, सौंदर्य और काम का देव माना गया है। इसलिए परिणय, प्रेम-संबंधों में कामदेव की उपासना और आराधना का महत्व बताया गया है। इसी क्रम में तंत्र विज्ञान में कामदेव वशीकरण मंत्र का जप करने का महत्व बताया गया है। इस मंत्र का जप हानिरहित होकर अचूक भी माना जाता है। यह मंत्र है -


"ॐ नमः काम-देवाय। सहकल सहद्रश सहमसह लिए वन्हे धुनन जनममदर्शनं उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा"


कामदेव के इस मन्त्र को सुबह, दोपहर और रात्रिकाल में एक-एक माला जप का करें। माना जाता है कि यह जप एक मास तक करने पर सिद्ध हो जाता है। मंत्र सिद्धि के बाद जब आप इस मंत्र का मन में जप कर जिसकी तरफ देखते हैं, वह आपके वशीभूत या वश में हो जाता है।



वशीभूत कर दे कामदेव वशीकरण मंत्र

जब किसी व्यक्ति को किसी से प्रेम हो जाए या वह आसक्त हो। विवाहित स्त्री या पुरुष की अपने जीवनसाथी से संबंधों में कटुता हो गई हो या कोई युवक या युवती अपने रुठे साथी को मनाना चाहते हो। किंतु तमाम कोशिशों के बाद भी वह मन के अनुकूल परिणाम नहीं पाता। तब उसके लिए तंत्र क्रिया के अंतर्गत कुछ मंत्र के जप प्रयोग बताए गए हैं। जिससे कोई अपने साथी को अपनी भावनाओं के वशीभूत कर सकता है।


धर्मशास्त्र में कामदेव को प्रेम, सौंदर्य और काम का देव माना गया है। इसलिए परिणय, प्रेम-संबंधों में कामदेव की उपासना और आराधना का महत्व बताया गया है। इसी क्रम में तंत्र विज्ञान में कामदेव वशीकरण मंत्र का जप करने का महत्व बताया गया है। इस मंत्र का जप हानिरहित होकर अचूक भी माना जाता है। यह मंत्र है -


"ॐ नमः काम-देवाय। सहकल सहद्रश सहमसह लिए वन्हे धुनन जनममदर्शनं उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा"


कामदेव के इस मन्त्र को सुबह, दोपहर और रात्रिकाल में एक-एक माला जप का करें। माना जाता है कि यह जप एक मास तक करने पर सिद्ध हो जाता है। मंत्र सिद्धि के बाद जब आप इस मंत्र का मन में जप कर जिसकी तरफ देखते हैं, वह आपके वशीभूत या वश में हो जाता है।


बड़ी सफलताओं के द्वार खोल देता है यह छोटा-सा गणेश मंत्र

जीवन में दु:ख और निराशा से बचना है तो हमेशा आगे बढऩे का जज्बा बनाए रखना बहुत जरूरी है। बस, यही एक सूत्र थाम लें, तो किसी भी बुरी से बुरी हालात से दो-चार होकर उसे मात देना आसान हो जाता है। इस तरह जीवन के हर दिन, हर कदम पर किसी न किसी रूप में जीत व सफलता मायने रखती है। किंतु इसके लिए ज्ञान और गुण संपन्नता भी बहुत जरूरी है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों में इन दो खूबियों के दाता भगवान श्री गणेश को ही माना गया है। भगवान गणेश बुद्धिदाता, गुणदाता, ज्ञानप्रदाता हैं। बुधवार को शास्त्रों में बताए एक छोटे-से गणेश मंत्र विशेष का स्मरण बड़े-बड़े लक्ष्य को आसानी से भेद सफलतम बनाने वाला माना गया है। जानें इसी मंत्र विशेष व पूजा, जप की आसान विधि -

- बुधवार के दिन किसी भी वक्त किंतु स्नान के बाद भगवान गणेश की पूजा करें।

- पूजा में श्री गणेश को लाल चन्दन, कनेर के फूल, दूर्वा चढ़ाएं व मोदक का भोग लगाएं।

- धूप बत्ती और घी का दीप लगाकर पूर्व दिशा में लाल आसन पर बैठ मूंगे या चन्दन की माला से नीचे लिखा गणेश मंत्र कम से कम 108 बार बोलें। विधान अनुसार सवा लाख जप शीघ्र फलदायी होता है। सुविधानुसार यह जपसंख्या लगातार 10 दिन या बुधवार व चतुर्थी के दिनों में पूरा कर सकते हैं -

ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नम:।

- मंत्र जप के बाद क्षमाप्रार्थना कर श्री गणेश की आरती के साथ मनचाही सफलता की कामना करें। यथाशक्ति कन्याभोज कराएं।

















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