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Friday 31 August 2012

ये सपने आते क्यों है?

सपने आते क्यों है? इस प्रश्र का कोई ठोस प्रमाणिक उत्तर आज तक खोजा नहीं जा सका है। विज्ञान मानता है कि नींद का हमारे मस्तिष्क में होने वाले उन परिवर्तनों से संबंध होता है। जो सीखने और याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ मांसपेशियों को भी आराम पहुंचाने में सहायक होते हैं। सपने हमारी याददाश्त को भी बढ़ाते हैं।



ज्योतिष के अनुसार सपने हमारे मन के प्रश्रो के उत्तर देते हैं। हमें कई बार कार्यों के प्रति सचेत भी कर सकते हैं। सपने हमारे आने वाले भविष्य की घटनाओं के बारे में ईशारा करते हैं। कहते हैं यदि स्वप्र संकेतों पर ध्यान दिया जाए। उन्हें लिखकर बारिकी से विश्लेषण किया जाए तो आप पाएंगे कि सपने आपके आने वाले कल की घटनाओं की और पहले से ही ईशारा कर देते हैं। इसलिए अपने सपनों को समझना चाहिए। सपनें देखना और समझना अपने आपको समझने जैसा है।

एक पत्ता रोज, पैसों के साथ मिलेगा अच्छा जीवन...

धन या पैसा आज के समय सभी के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है। पैसों का महत्व इस बात से साफ प्रतीत होता है कि  पैसा सबकुछ नहीं है लेकिन बहुत कुछ है।





कोई भी व्यक्ति हो, अमीर या गरीब, सभी को धन की आवश्यकता है। पैसों का काम केवल पैसा ही कर सकता है। इसी वजह से हम अपने स्तर पर अधिक से अधिक धन प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के प्रयास करते हैं। ताकि हमारे घर-परिवार के सदस्यों को अभाव का जीवन न जीना पड़े।




ज्योतिष और धर्म शास्त्रों में धन प्राप्ति के अचूक उपाय बताए गए हैं। धन के लिए देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होना सबसे जरूरी है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह बाधाओं के चलते धन प्राप्ति के योग नहीं हैं तो उन ग्रह दोषों का उचित उपचार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के प्रयास करने चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा रहता है वहां दरिद्रता नहीं रहती।




तुलसी को पवित्र और पूजनीय माना गया है। इसकी प्रतिदिन पूजा से सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। जिससे घर के सदस्यों की आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही वास्तु के अनुसार भी तुलसी का पौधा घर में होने से कई प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं।




आयुर्वेद के अनुसार एक तुलसी का पत्ता प्रतिदिन खाने से व्यक्ति हमेशा स्वस्थ बना रहता है। इसके अलावा व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। तुलसी पूजन के बाद एक पत्ता प्रसाद स्वरूप प्रतिदिन खाने से हमारी सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। आय के सभी स्रोतों से फायदा प्राप्त होता है।

जब आपको हो ऐसी परेशानियां तब केवल नीले फूल बहा दे नदी में...

सामान्यत: परेशानियां सभी के जीवन में हैं, जिन्हें दूर करने के लिए कई प्रकार के प्रयास किए जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार अलग-अलग प्रकार की परेशानियों के लिए अलग-अलग ग्रह जिम्मेदार होते हैं। कुंडली में ग्रहों की स्थिति ही हमें सुख और दुख प्रदान करती है।

ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रह बताए गए हैं जिनमें शनिदेव को न्यायाधिश माना गया है। इसी वजह से शनि को क्रूर ग्रह बताया गया है। यह हमारे कर्मों के अनुसार ही हमें अच्छा या बुरा फल प्रदान करता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ हो तो उसे घर-परिवार से सुख-शांति नहीं मिलती है। पिता-पुत्र में वाद-विवाद चलता रहता है। व्यवसाय में हानि होती है। इसके साथ उस व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा तथा झूठ बोलने वाला होता है। पैसा कमाने में कड़ी मेहनत करनी होती है फिर भी पर्याप्त धन प्राप्त नहीं होता। यदि आपके साथ भी ऐसी ही शनि ग्रह से जुड़ी परेशानियां चल रही हों तो किसी बहती नदी में नीले रंग के फूल बहाएं। यह उपाय प्रति शनिवार किया जाना चाहिए। फूल बहाते समय शनिदेव से सुख और शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

शनि का संबंध में नीले रंग से बताया गया है अत: नीले फूल इन्हें अत्यंत प्रिय माने गए हैं। इसी वजह से नीले फूल शनि देव के निमित्त बहाने से वे अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों के दुख या परेशानियों को दूर कर देते हैं।




पहले ये चमत्कारी शब्द लिखें, फिर शुरू करें खास काम

आमतौर विशेष पूजा के बाद घरों के बाहर मुख्य द्वार के दोनों ओर शुभ और लाभ लिखा जाता है। हर मांगलिक कार्य में स्वस्तिक बनाया जाता है, इसी के साथ शुभ-लाभ भी लिखा जाता है। सिंदूर या कुमकुम से शुभ और लाभ लिखने के पीछे ऐसी मान्यता है कि इससे महालक्ष्मी सहित श्री गणेश भी प्रसन्न होते हैं। इसी वजह से यदि आप को पेपर वर्क प्रारंभ कर रहे हैं तो सबसे पहले श्री गणेशाय नम: लिखें या शुभ-लाभ लिखें या स्वस्तिक बनाएं।

शास्त्रों अनुसार गणेशजी के दो पुत्र माने गए हैं, एक क्षेम अर्थात शुभ और दूसरे पुत्र का नाम है लाभ। घर के बाहर शुभ-लाभ लिखने का मतलब यही है कि हमारे घर में सुख और समृद्धि सदैव बनी रहे। ऐसी प्रार्थना ईश्वर से की जाती है। शुभ (क्षेम) लिखने का का अर्थ है कि हम प्रार्थना करते हैं कि जिन साधनों, कला या ज्ञान से धन और यश प्राप्त हो रहा है वह सदैव बना रहे।

लाभ लिखने का अर्थ है कि भगवान से हम प्रार्थना करते हैं कि हमारे घर की आय अथवा धन हमेशा बढ़ता रहे। श्री गणेश की कृपा से हमारा व्यवसाय या आय प्राप्ति स्रोत सदैव बढ़ते रहे। 



पीली कौड़ी जेब में रखों, हो जाओगे मालामाल...

आज सभी चाहते हैं उनकी जेब हमेशा ही पैसों से भरी रहे और धन से जुड़ी समस्याएं उनसे दूर रहे। पैसा कमाने के लिए सभी अपने-अपने स्तर में खूब मेहनत करते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं उन्हें ज्यादा धन प्राप्त हो पाता है। ज्योतिष के अनुसार कुछ विशेष योग होते हैं जिनसे व्यक्ति को जीवन में कभी पैसों की कमी नहीं रहती।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह अशुभ प्रभाव देने वाला है तो उसकी आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुंडली में अशुभ ग्रह को ठीक करने के लिए सही उपचार करना चाहिए। इसके अतिरिक्त धन की देवी महालक्ष्मी की आराधना भी श्रेष्ठ फल प्रदान करती है। महालक्ष्मी की कृपा के बाद भक्त को कभी भी पैसों की कमी नहीं रहती है।

नियमित रूप से देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही एक अन्य उपाय अपनाएं। जिससे निश्चित ही कुछ दिनों में पैसों से जुड़ी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।

किसी भी शुभ मुहूर्त में बाजार से दो पीली कौड़ी लेकर आएं। यह किसी भी पूजन सामग्री की दुकान पर आसानी से मिल जाती है। घर आकर किसी विशेष दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म आदि करने के बाद महालक्ष्मी के पूजन की तैयारी करें। पूजन में देवी लक्ष्मी का चित्र या मूर्ति रखें। मूर्ति के साथ ही दोनों पीली कौडिय़ों को रखें। अब विधि-विधान से देवी लक्ष्मी की पूजा करें। पूजन के बाद दोनों पीली कौडिय़ों को अलग-अलग लाल कपड़े में बांधे। अब एक कौड़ी घर में वहां रखें जहां पैसा रखते हैं। दूसरी कौड़ी अपने साथ अपनी जेब में हमेशा रखें। ध्यान रहे कौड़ी साथ रखने के बाद अधार्मिक कार्यों से खुद को बचाकर रखें। अन्यथा यह उपाय निष्फल हो जाएगा।



दिमाग चलता है लेकिन पैसा नहीं कमा पाते ऐसे लोग...

मेष लग्न की कुंडली में सूर्य की स्थिति के संबंध में अब तक आपने जाना कि सूर्य प्रथम से लेकर दशम भाव में क्या-क्या फल प्रदान करता है... अब जानिए सूर्य यदि ग्यारहवें भाव में स्थित हो तो व्यक्ति का जीवन कैसा रहता है...

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मेष लग्न की है और उसमें सूर्य ग्यारहवें भाव में स्थित है तो व्यक्ति को पैसा कमाने में कड़ी मेहनत करना पड़ती है। ग्यारहवां भाव यानि कुंभ राशि का स्वामी शनि है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य और शनि में शत्रुता है। अत: इसी वजह से कई बुरे फल भी प्राप्त होते हैं। इस भाव से सूर्य अपनी सातवी दृष्टि से खुद की राशि सिंह में देख रहा है। यह पंचम भाव विद्या तथा संतान से संबंधित होता है। अत: व्यक्ति को शिक्षा और संतान के संबंध में विशेष शक्ति प्राप्त होगी।

ऐसा व्यक्ति अपने स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए कटु वचनों का उपयोग करने वाला होता है। इन लोगों का दिमाग बहुत तेज चलता है और वे शारीरिक श्रम भी बहुत अच्छे से करते हैं लेकिन पैसा जुटाने में इन्हें हमेशा ही परेशानियां उठाना पड़ती है।

आगे पढि़ए मेष लग्न की कुंडली में सूर्य यदि बाहरवें भाव में हो तो व्यक्ति का जीवन कैसा रहता है...


जब हाथों मे ये रेखा टूटी या कटी हो तो सावधान रहें...

हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार हमारी हथेली में कई रेखाएं होती हैं जो हमारे जीवन की अलग-अलग बातों को प्रभावित करती हैं। ये रेखाएं जितनी स्पष्ट और दोष रहित होती हैं उतना ही अच्छा माना जाता है। मुख्य रूप से सभी की हथेली में ये तीन रेखाएं जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा स्पष्ट दिखाई देती हैं। इन तीनों में भी जीवन रेखा का काफी गहरा महत्व है।

हमारी हथेली में जैसी जीवन रेखा होती हैं हमारा जीवन ठीक वैसा ही चलता है। यदि ये रेखा अन्य छोटी-बड़ी रेखाओं से कटी हुई या टूटी हुई हो तो इसे अशुभ माना जाता है। जितनी लंबी जीवन रेखा होती है उतना ही लंबा हमारा जीवन होता है। यदि यह रेखा कहीं से टूटी हुई हो तो इसे अशुभ माना जाता है। ऐसे में जीवन रेखा के अनुसार आयु की गणना के बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जहां जीवन रेखा टूटी है उस आयु में व्यक्ति को किसी गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।

यदि जीवन रेखा अन्य छोटी-छोटी रेखाओं से कटी हुई है तो जहां से जीवन रेखा कटी हुई है उस आयु में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

यदि जीवन रेखा टूटी हुई हो और उसके साथ ही कोई अन्य रेखा समानांतर रूप से चल रही हो तो जीवन रेखा के टूटने का अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाता है।कहां होती है जीवन रेखा?

हथेली में सामान्यत: तीन रेखाएं मुख्य रूप से दिखाई देती हैं। इनमें से जो रेखा अंगूठे के ठीक नीचे शुक्र पर्वत को घेरे रहती है वहीं जीवन रेखा कहलाती है। यह रेखा इंडेक्स फिंगर के नीचे स्थित गुरु पर्वत के आसपास से प्रारंभ होकर हथेली के अंत मणिबंध की ओर जाती है।



बहुत कुछ बताता है चेहरे का काला तिल

चेहरे का तिल किसी भी खूबसूरत चेहरे की खूबसूरती को और भी बढ़ा देता है लेकिन तिल सिर्फ चेहरे को आकर्षक ही नहीं बनाते है बल्कि किसी व्यक्ति का स्वभाव और भविष्य भी बताते हैं। चेहरे के हर भाग पर तिल का अपना प्रभाव है। किसी के भी गालों या अधरों पर काला तिल उसकी सुन्दरता में चार चांद लगा देता है।



- यदि किसी के दोनों आई ब्रो के बीच तिल हो तो ऐसा व्यक्ति लोगों का भला करने वाला और दिल का सच्चा होता है।



- सिर के राइट साइड में पाया जाने वाल तिल समाज में मान-प्रतिष्ठा दिलाने वाला होगा।



- मस्तक पर बीच में पाया जाने वाला तिल उस जातक की फाइनेंशियल कंडीशन को मजबूत बनाता है।



- गले पर दिखाई पड़ने वाला तिल उस जातक को तेज दिमाग का, पैसा कमाने में सफल व तरक्की करने वाला होता है।



- ठोड़ी पर पाया जाने वाला तिल व्यक्ति को स्वार्थी व समाज से कटा हुआ बनाता है।



- राइट गाल पर तिल उन्नतिशील और मेघावी होने की सूचना देता है।



- लेफ्ट गाल पर तिल शुभ नहीं माना जाता है, ऐसा तिल गृहस्थ जीवन में धन का अभाव बताता है।



- नाक के सीधे भाग पर तिल सुखी, धन संपन्न और नाक के लेफ्ट हिस्से पर तिल मेहनती , कठिनाई से सफलता का सूचक होता है।



- नाक के मध्य तिल हो तो ऐसा जातक स्थिर न रहकर इधर-उधर भटकता रहने वाला होता है।



- दाएँ हाथ पर तिल शुभ व बाएँ हाथ की हथेली में तिल फिजूल खर्च का सूचक होता है।



इस प्रकार तिल भी शुभ-अशुभता के संकेत देते हैं। महिलाओं में लेफ्ट साइड पर तिल शुभ होता है जबकि पुरुषों में राइट साइड पर तिल शुभ होता है।

मुठ्ठी में बंद होने वाला हर तिल नहीं होता शुभ

शरीर पर तिलों का बहुत महत्व है। कई मान्यताएं हमारे यहां प्राचीन काल से चली आ रही हैं। ऐसी ही एक मान्यता तिल के बारे में भी है। साधारणत: यह माना जाता है कि हथेली में तिल शुभ होता है। जिसकी हथेली में तिल मुठ्ठी में बंद होता है वह बहुत भाग्यशाली होता है लेकिन यह सिर्फ एक भ्रांति है। हथेली में होने वाला हर तिल शुभ नहीं होता कुछ अशुभ फल देने वाले भी होते हैं।

- सूर्य पर्वत मतलब रिंग फिंगर के नीचे के क्षेत्र पर तिल हो तो व्यक्ति समाज में कलंकित होता है। किसी की गवाही की जमानत उल्टी अपने पर नुकसान देती है। नौकरी में पद से हटाया जाना और व्यापार में घाटा होता है। मान- सम्मान पर प्रभावित होता है और नेत्र संबंधित रोग तंग करते हैं।

- बुध पर्वत यानी लिटिल फिंगर के नीचे के क्षेत्र पर तिल हो तो व्यक्ति को व्यापार में हानि उठानी पड़ती है। ऐसा व्यक्ति हिसाब-किताब व गणित में धोखा खाता है और दिमागी रूप से कमजोर होता है।

- लिटिल फिंगर के नीचे वाला क्षेत्र जो हथेली के अंतिम छोर पर यानी मणिबंध से ऊपर का क्षेत्र जो चंद्र क्षेत्र कहलाता है, इस क्षेत्र पर यदि तिल हो तो ऐसे व्यक्ति के विवाह में देरी होती है। प्रेम में लगातार असफलता मिलती है। माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है।






























Friday, 19 August 2011

वशीकरण का सबसे आसान तरीका

यूं तो वशीकरण के कई तरीके प्रचलित हैं। जिनमें से कुछ तो सार्वजनिक हैं तथा कुछ अत्यंत गोपनीय किस्म के होते हैं। यंत्र, तंत्र और मंत्र के क्षेत्र में ही वशीकरण के कई अचूक और १०० प्रतिशत प्रमाणिक साधन या उपाय उपलब्ध हैं। किन्तु हर प्रयोग में किसी न किसी विशेष विधि एवं नियम-कायदों का पालन करना पड़ता ही है। इसीलिये, आज की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इंसान ऐसे तरीके या उपाय चाहता है जो कम से कम समय में सम्पन्न हो सकें। आजकल हर इंसान शार्टकट के जुगाड़ में लगा रहता है।


पारम्परिक और लम्बे रास्ते पर ना तो वह चलना चाहता है और ना ही उसके पास इतना समय होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही यहां वशीकरण यानि किसी को अपने प्रभाव में लाने या अनुकूल बनाने का सरल अनुभवी एवं अचूक तरीका या उपाय दिया जा रहा है। यह अचूक और शर्तिया कारगर उपाय इस प्रकार है-- जिस भी व्यक्ति को आप अपने वश में करना चाहते हैं, उसका एक चित्र जो कि लगभग पुस्तक के आकार का तथा स्पष्ट छवि वाला हो, उपलब्ध करें। उस चित्र को इतनी ऊंचाई पर रखें कि जब आप पद्मासन में बैठे, तो उस चित्र की छवि आपकी आंखों के सामने ही रहे। ५ मिनिट तक प्राणायाम करने के पश्चात उस चित्र पर ध्यान एकाग्र करें। पूर्ण गहरे ध्यान में पंहुचकर उस चित्र वाले व्यक्तित्व से बार-बार अपने मन की बात कहें। कुछ समय के बाद अपने मन में यह गहरा विश्वास जगाएं कि आपके इस प्रयास का प्रभाव होने लगा है। यह प्रयोग सूर्योदय से पूर्व होना होता है।



यह पूरा प्रयोग असंख्यों बार अजमाने पर हर बार सफल रहता है। किन्तु इसकी सफलता पूरी तरह से व्यक्ति की एकाग्रता और अटूट विश्वास पर निर्भर रहती है। मात्र तीन से सात दिनों में इस प्रयोग के स्पष्ट प्रभाव दिखने लगते हैं।


क्या आपको धन हानि होती रहती है तो यह करें

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें लगातार धन की हानि होती रहती है। हालांकि इसका कोई विशेष कारण नहीं होता लेकिन जन्म कुंडली के आधार पर इसका कारण जरुर जाना जा सकता है। इस समस्या से बचने के उपाय इस प्रकार हैं-

उपाय

- प्रतिदिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। दुर्वा आवश्यक रूप से चढ़ाएं।

- बहते जल में 9 गुरुवार तक लगातार 9 चमेली के फूल प्रवाहित करें।

- गुरुवार के दिन केतकी की जड़ का अंश सोने या तांबे के ताबीज में बंद करके पीले धागे में बाँधकर गले में धारण करें।

- किसी गुरुवार के दिन पीले वस्त्र मंदिर में दान करें।

- पीला कनेर का पुष्प रोज गुरु की प्रतिमा या चित्र पर चढ़ाकर धूपबत्ती जलाएं।

- प्रतिदिन केसर का तिलक लगाएं।

इस उपाय से होगा चट मंगनी-पट ब्याह

यदि किसी के विवाह में देरी हो जाए तो उसके माता-पिता को चिंता सताने लगती है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बेटी के विवाह में देरी से ही माता-पिता चिंतित होते हैं। यदि बेटे की शादी में भी देरी हो जाए तो माता-पिता का चिंतित होना स्वभाविक है। यहां हम आपको बता रहा हैं एक ऐसा उपाय जिससे आपकी इस चिंता का निदान हो जाएगा।

उपाय

गुरुवार शुक्लपक्ष का हो उस दिन सुबह सूर्य निकलने के बाद स्नान आदि करके व पूजा करने के बाद एक नया पीला कपड़ा लें और उसमें पीली धातु(पीतल या सोना), चने की दाल, पीली मिठाई अथवा पीला गुड़, पीला रंग में रंगा हुआ यज्ञोपवित, पीले फूल और हल्दी की साबूत गांठ लेकर बांध लें। इसके बाद अपने इष्ट भगवान का स्मरण करते हुए इस पोटली को घर के ऐसे हिस्से में रखें जहां इस पर किसी न नजर न पड़े और न ही इसे कोई छू सके। इसके बारे में किसी को बताएं भी नहीं। प्रतिदिन इस पोटली की पूजा करते रहें। जिस व्यक्ति के विवाह के लिए आप यह उपाय करें, उसके विवाह के बाद इस पोटली की पूजा करके इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस उपाय से विवाह संबंधी आपकी समस्या जल्दी ही दूर हो जाएगी।




इसे कहते हैं हर समस्या का रामबाण उपाय

 
जीवन में हमें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुछ परेशानियां स्वयं ही समाप्त हो जाती हैं जबकि कुछ समस्याओं के निदान के लिए विशेष प्रयास करने पड़ते हैं। तंत्र शास्त्र के माध्यम से जीवन की कई समस्याओं का निदान किया जा सकता है। गोमती चक्र एक ऐसा पत्थर है जिसका उपयोग तंत्र क्रियाओं में किया जाता है। यह बहुत ही साधारण सा दिखने वाला पत्थर है लेकिन इसका यह बहुत प्रभावशाली है। इसके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं-

1- यदि बार-बार गर्भ गिर रहा हो तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर कमर में बांध दें तो गर्भ गिरना बंद हो जाता है।

2- यदि कोई कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर दाहिना पांव रखकर जाए तो उस दिन कोर्ट-कचहरी में सफलता प्राप्त होती है।

3- यदि शत्रु बढ़ गए हों तो जितने अक्षर का शत्रु का नाम है उतने गोमती चक्र लेेकर उस पर शत्रु का नाम लिखकर उन्हें जमीन में गाड़ दें तो शत्रु परास्त हो जाएंगे।

4- यदि पति-पत्नी में मतभेद हो तो तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में हलूं बलजाद कहकर फेंद दें, मतभेद समाप्त हो जाएगा।

5- प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करें। निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जाएंगे।

6- व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बांधकर ऊपर चौखट पर लटका दें और ग्राहक उसके नीचे से निकले तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है।

7- यदि गोमती चक्र को लाल सिंदूर के डिब्बी में घर में रखें तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।



आज इस टोटके को करने से होगा धन लाभ

जीवन में कई तरह की मुश्किलें आती हैं। व्यक्ति हर तरह की मुसीबतों से जुझता हुआ आगे बढ़ता जाता है लेकिन धन का अभाव एक ऐसी समस्या है जिससे जुझते हुए जीवन बिताना सबसे मुश्किल काम है। धन की कमी से उबरने और अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए सावन में शिव की आराधना से सरल कोई और उपाय नहीं है। धन से जुड़ी समस्या से निजात पाने के लिए सावन मास के किसी शुक्रवार को यह साधारण टोटका करें-

टोटका

श्रावण मास के किसी शुक्रवार को यथाशक्ति (जितना संभव हो) चावल भगवान शिव मंदिर ले जाएं। अब अपने दोनों हाथों में जितने चावल आ जाएं उतने शिवजी को अर्पण कर दें और भगवान शिव से धन प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। जितने अक्षत के दानें शिवजी को अर्पण किए जाते हैं, उसका उतने ही हजार गुना फल मिलता है। अब बचा हुआ चावल गरीबों में बांट दें। यह धन प्राप्ति का अचूक उपाय है।




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