कहा जाता है कि शरीर पंच तत्त्वों से निर्मित है। शरीर है और शरीर पर अलग-अलग जगह तिल भी दिखाई देते हैं। शायर के शब्‍दों में-अब मै समझा तेरे रूखसार पर तिल का मतलब, दौलते हुस्न पर दरबान बिठा रखा है। स्त्रियों के चेहरे पर तिल उनकी सुंदरता में सदैव चार चांद लगा देता है। इन तिलों ने कवियों, शायरों, लेखकों, गीतकारों और प्रेमियों को सदैव प्रभावित किया है, तभी तो उनकी रचनाओं में तिल की चर्चा होती रहती है।
    काले चेहरे पर तिल अधिक आकर्षक नहीं लगता है पर गोरे और सावंले चेहरे पर तिल से सौंदर्य बढ़ जाता है और देखने वाला सहसा कह उठता है क्‍या खूब सुन्‍दरता है। यदि बहुमुखी प्रतिभा के साथ ऐसा हो तो फिर क्या कहना! शरीर के विभिन्न अंगों पर तिल के चिह्न को लेकर अनेक प्रकार की धारणाएं देखने, सुनने और पढ़ने को मिलती है। शरीर पर तिल होने पर कहते हैं कि यहां पर पूर्व जन्म में चोट लगी थी। इस तरह की कई बातें तिल के विषय में लोक प्रचलित हैं।
    कभी-कभी मन में आता है कि शरीर पर तिल हो तो उसका क्‍या प्रभाव होगा। अलग-अलग स्‍थान पर तिल के होने का अलग प्रभाव होता है। तिल का अंगानुसार प्रभाव इस प्रकार समझना चाहिए-
    माथे पर तिल हो तो जातक बलवान होता है। जिस व्‍यक्ति के ललाट पर दायीं तरफ तिल हो, उसे प्रतिभा का धनी माना जाता है और बायीं तरफ होने पर उसे फिजूलखर्च करने वाला माना जाता है। जिसके ललाट के मध्य में तिल हो, उस व्‍यक्ति को अच्छा प्रेमी माना जाता है।
    ठुड्डी पर तिल हो तो स्त्री से प्रेम नहीं रहता है पर व्यक्ति सफल और संतुष्ट होता है।
    दोनों भौहों के बीच तिल हो तो यात्रा बहुत करनी पड़ती है। दायीं भौं पर तिल वाले व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सफल रहता है।
    दाहिनी आंख पर तिल हो तो स्त्री से प्रेम होता है और बायीं आंख पर तिल हो तो स्‍त्री से विवाद या कलह होती है। किन्‍तु आंख पर तिल कंजूस प्रवृत्ति बनाता है। जिसके आंख के अंदर तिल हो, वह व्यक्ति कोमल हृदय अर्थात भावुक होता है।
    पलकों पर तिल जातक को संवेदनशील और एकांतप्रिय बनाता है।
    दाएं गाल पर तिल हो तो जातक धनी होता है और वैवाहिक जीवन सफल रहता है। बाएं गाल पर तिल हो तो जातक का खर्च बहुत होता है और संघर्षपूर्ण जीवन का द्योतक है।
    होंठ पर तिल हो तो विषय-वासना में रत रहे या अधिक रुचि रहे। कहने का तात्‍पर्य यह है कि जातक विलासी प्रवृत्ति का माना जाता है। जिसके मुंह के पास तिल होता है, वह एक न एक दिन धन प्राप्त करता है।
     नाक पर तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा।
    कान पर तिल हो तो जातक अल्‍पायु होता है, परन्‍तु वह धीर, गंभीर और विचारशील होता  है।
    गर्दन पर तिल हो तो बहुत आराम मिलता है और व्यक्ति अच्छा मित्र होता है।
    जिनके दायें कंधे पर तिल होता है, वे दृढ संकल्पित होते हैं।
    दाहिनी भुजा पर तिल हो तो मान-सम्‍मान मिले और यदि बायीं भुजा पर तिल हो तो जातक झगड़ालू होता है। नाक पर तिल हो तो भी यात्रा बहुत करनी पड़े।
    जिसके बायें कंधे पर तिल होता है, वह व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का होता है।
    कंधे और कोहनी के मध्य तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति में उत्सुक प्रवृत्ति का है।
    कोहनी पर तिल होना विद्वान होने का संकेत है।
    दाहिनी छाती पर तिल हो तो स्‍त्री से बहुत प्रेम हो और यदि बायीं छाती पर तिल हो तो स्‍त्री से बहुत झगड़ा होता है।
    कमर पर तिल हो तो जीवन परेशानियो से व्‍यतीत होता है। कमर पर दायीं ओर तिल होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति अपनी बात पर अटल रहने वाला और सच्चाई पसंद करने वाला है।
    दोनों छाती के मध्‍य में तिल हो तो जीवन सुख से बीतता है। 
    पेट पर तिल हो तो जातक अच्‍छा भोजन खाने में रुचि रखता है। पीठ पर तिल हो तो जातक यात्रा बहुत करता है।
    नाभि पर तिल मनमौजी प्रवृत्ति का संकेत है।
    टखना पर तिल इस बात का सूचक है कि आदमी खुले विचारों वाला है।
    कूल्हे पर तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति शारिरिक व मानसिक दोनों स्तर पर परिश्रमी होता है।
    दायीं हथेली पर तिल हो तो जातक शक्तिशाली होता है और बायीं हथेली पर तिल हो तो जातक बहुत खर्चीला होता है।
    दायें हाथ के ऊपर तिल हो तो जातक धनी होता है और बाएं हाथ के ऊपर तिल हो तो बहुत कम खर्च करता है। 
    जिस व्‍यक्ति के कोहनी और पोंहचे के मध्य कहीं तिल होता है, वह रोमांटिक प्रवृत्ति का होता है।   
    जिसके घुटने पर तिल हो, वह व्यक्ति सफल वैवाहिक जीवन जीता है।
    दाएं पैर में तिल हो तो जातक बुद्धिमान होता है और बाएं पैर पर तिल हो तो जातक बहुत खर्चीला होता है। पांव पर तिल लापरवाही का द्योतक है।
    जोड़ों पर तिल होना शारिरिक दुर्बलता की निशानी माना जाता है।
    तिल यदि बड़ा हो, तो शुभ होने के साथ अच्‍छा शकुन बढ़ाता है। यदि तिल पर बाल हो, तो वो शुभ नहीं माना जाता और न ही अच्छा भी लगता है। तिल गहरे रंग का हो, तो माना जाता है कि बड़ी बाधाएं सामने आएंगी और जिस अंग पर जो फल होगा वह अधिक मिलेगा। हल्के रंग का तिल शुभ होता है।
    यह सांकेतिक फल है और प्राय: ठीक बैठता है। किन्‍तु कई बार फल हास्‍यास्‍पद् सा जान पड़ता है।  कहने का तात्‍पर्य यह है कि जन्म से हमारे शरीर पर जो निशान बन जाते हैं, उनको लेकर समाज में अनेक धारणाएं व मान्यताएं प्रचलित हैं। इनका सत्‍य से कितना संबंध है, यह कहा नहीं जा सकता। फिर भी बहुत सारे लोग इन पर अत्‍यधिक विश्‍वास करते हैं।