Search This Blog

Friday 31 August 2012

शनि को मनाने का सबसे आसान है यह छोटा और सस्ता उपाय

ज्योतिष शास्त्र में सबसे क्रूर माने जाने वाले ग्रह शनि का डर सामान्यत: सभी लोगों को रहता है। यदि शनि अशुभ फल देने वाला हो तो व्यक्ति को कभी भी सफलता नहीं मिलती या बहुत मेहनत और परेशानियों के बाद कोई कार्य पूर्ण हो पाता है। शनिदेव को न्यायाधिश का पद दिया गया है, इसी कारण वे सख्त स्वभाव के माने गए हैं।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सभी कई प्रकार के प्रयास करते हैं। सामान्यत: शनि से डरने  वाले सभी लोग शनिवार के दिन शनि के निमित्त पूजन कर्म अवश्य ही करते हैं। शनि के लिए सबसे सरल उपाय है तेल का दान करना। हर शनिवार को एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरे देखें। इसके बाद यह तेल शनिदेव को चढ़ाएं या किसी गरीब व्यक्ति को दान कर दें।

यह उपाय सटीक माना जाता है। इसके प्रभाव से निश्चित ही लाभ प्राप्त होता है। यदि कोई बड़ी पूजा-आराधना करने में असमर्थ है तो उसे यह उपाय अपनाना चाहिए।
 
 शनिवार को बोलें ये हनुमान मंत्र..शनि नहीं दिखाएंगे तीखे तेवरश्री हनुमान न केवल सेवा व भक्ति के बेजोड़ आदर्श हैं, बल्कि बुद्धि, बल, पुरुषार्थ, पराक्रम और धर्मपालन के प्रेरक देवता है। व्यावहारिक जीवन में भी इन गुण, शक्तियों या सूत्रों से किसी भी संकट से पार पाना संभव है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक अच्छाईयों से परे होकर बुराईयों से जुडऩे पर ही शनिदेव की वक्रदृष्टि संकट का कारण बन सकती है। जिसके चलते शारीरिक, मानसिक व आर्थिक पीड़ाओं का सामना करना पड़ सकता है। भाग्यबाधा भी आती है। इंसान दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हो सकता है।

श्री हनुमान की उपासना ऐसे ही ग्रह दोषों से बचने का भी अचूक उपाय माना गया है। खासतौर पर शनि का कोप से रुद्र अवतार श्री हनुमान की भक्ति के आसान उपाय भी रक्षा करते हैं। जिनमें शनिवार के दिन श्री हनुमान के कुछ आसान मंत्रों का जप विशेष प्रभावी माना गया है। जानते हैं ये मंत्र -

- शनिवार को स्नान के बाद श्री हनुमान की पूजा सिंदूर, गंध, अक्षत, कलेवा, जनेऊ, फूल चढ़ाकर करें। यथाशक्ति नैवेद्य लगाकर गुग्गल धूप व दीप प्रज्जवलित करें और यथाशक्ति नीचे लिखे श्री हनुमान मंत्रों का रुद्राक्ष की माला से 108 बार लाल आसन पर बैठकर श्री हनुमान की प्रतिमा की ओर मुख कर स्मरण करें -

श्रृंखलाबन्धमोचकाय नम:।

सागरोत्तारकाय नम:।

दीप्तिमते नम:।



प्रतापवते नम:।

- मंत्र जप व स्मरण के बाद श्री हनुमान की आरती कर क्षमा प्रार्थना में शनि पीड़ा और संकटों से रक्षा की कामना करें व प्रसाद ग्रहण करें।


No comments:

Post a Comment