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Friday 31 August 2012

नाक के पास छोटा सा तिल बना देता है मालामाल

तिल, छोटे-छोटे काले रंग के होते हैं जो कि सामान्यत: सभी लोगों के शरीर पर होते हैं। ज्योतिष के अनुसार यह तिल अलग-अलग अंगों पर हमारे भविष्य के संबंध में अलग-अलग इशारे करते हैं। कुछ अंगों पर तिल बहुत शुभ होते हैं तो कुछ अंगों पर तिल होना अशुभ माना जाता है।

इस संबंध में स्त्रियों और पुरुषों के लिए अलग-अलग मान्यताएं हैं। पुरुषों के लिए दाएं अंग पर तिल होना शुभ है जबकि स्त्रियों के लिए बाएं अंग पर तिल शुभ माना गया है।

यदि किसी व्यक्ति की नाक के दाहिने भाग पर तिल है तो इसे ज्योतिष के अनुसार बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे तिल वाला इंसान सुखी और मालामाल होता है। इसे जीवनभर धन की कमी नहीं होती है। जबकि नाक के बाएं हिस्से पर तिल हो तो व्यक्ति को जीवनभर कड़ी मेहनत करना पड़ती है। कई बार कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। कठिनाई से सफलता प्राप्त होती है।

जिन लोगों के नाक के मध्य तिल होता है वे अक्सर यात्राएं ही करते रहते हैं। ऐसा व्यक्ति स्थिर न रहकर इधर-उधर भटकता रहने वाला होता है।


बिल्वपत्र वृक्ष की इस मंत्र के साथ करें पूजा..खूब बरसेगी लक्ष्मी

हिन्दू धर्मशास्त्रों के मुताबिक बिल्वपत्र में शिव का वास माना गया है। बिल्वपत्र से शिव की पूजा भी पापनाशक मानी गई है। वहीं एक पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक बिल्वपत्र की पूजा लक्ष्मी कृपा से ऐश्वर्य और धनसंपन्न बनाने वाली भी है। क्योंकि माना जाता है कि जब समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई तो लक्ष्मी का स्वामी बनने को लेकर देव-दानवों में संघर्ष हुआ। उस दौरान देवी ने बिल्वपत्र वृक्ष में समय बिताया और बाद में श्रीहरि विष्णु को अपना स्वामी चुना। इसलिए बिल्वपत्र श्रीवृक्ष के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ।

यही कारण है कि देवी व शिव उपासना के विशेष दिनों नवमी व चतुर्दशी तिथि पर विशेष मंत्रों के साथ बिल्वपत्र पूजा पाप व दरिद्रता का अंत कर वैभवशाली बनाने वाली बताई गई है। यह पूजा लक्ष्मी कृपा की कामना से हर रोज भी शुभ है।

जानते हैं विशेष मंत्र के साथ बिल्वपत्र पूजा का आसान उपाय-

- सुबह स्नान के बाद लाल या सफेद वस्त्र पहन बिल्वपत्र के वृक्ष की पूजा में चंदन, फूल व फूल माला, फल, वस्त्र, तिल, अनाज अर्पित करें। धूप व दीप जलाकर नीचे लिखा मंत्र बोल बिल्वपत्र वृक्ष की पूजा करें - 

श्रीनिवास नमस्तेस्तु श्रीवृक्ष शिववल्लभ।

ममाभिलषितं कृत्वा सर्वविघ्रहरो भव।।

- मंत्र पूजा के बाद लक्ष्मी कृपा की कामना के साथ शिव आरती या लक्ष्मी आरती भी करें और बिल्वपत्र की परिक्रमा करें। यथासंभव इस दिन बिना नमक का भोजन कर मौन व्रत रखें।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।



बोलें शनि की बहन 'भद्रा' का 12 नाम मंत्र..शुभ काम में न आएगी अड़चनें

किसी शुभ या मंगल कार्य को शुरू करने से पहले पंचांग में भद्रा या विष्टि योग भी देखा जाता है। यह तिथि के आधे भाग करण का ही एक नाम है। वहीं पौराणिक मान्यताओं में भद्रा सूर्य पुत्री यानी शनि की बहन है। जिसके क्रूर स्वभाव पर काबू पाने के लिए ब्रह्मदेव की कृपा से उसे करण में विष्टि नाम से स्थान दिया गया। इसे अशुभ घड़ी भी माना जाता है।

भद्रा योग के दौरान कार्य विशेष शुभ नहीं माने जाते। जिनमें यात्रा, कारोबार, कृषि, मांगलिक कार्य आदि प्रमुख है। वहीं तंत्र, अदालती कार्य या राजनीति सफल होती है। धार्मिक व ज्योतिष मान्यताओं के मुताबिक भद्रा तीन लोकों में घूमने के दौरान जब पृथ्वी पर होती है तो इस स्थिति में अमंगल करती है। भू-लोक में होने की पहचान चंद्रमा के कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होने के द्वारा की जाती है। इसे विष्टिकरण योग भी कहा जाता है। रक्षाबंधन या होलिका दहन के वक्त इस पर विशेष रूप से गौर किया जाता है।

भद्रा के अशुभ प्रभाव से रक्षा वैसे तो व्रत आदि के विधान बताए गए हैं, किंतु आसान उपायों में सुबह भद्रा के 12 नाम मंत्र का स्मरण कार्यसिद्धि के साथ विघ्र, रोग, भय को दूर कर ग्रहदोषों को भी शांत करने वाला माना गया है। जानते हैं भद्रा योग के दौरान बोले जाने वाला मंत्र विशेष -

धन्या दधिमुखी भद्रा महामारी खरानना। कालरात्रिर्महारुद्रा विष्टिश्च कुलपुत्रिका।

भैरवी च महाकाली असुराणां क्षयंकरी। द्वादशैव तु नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।।

न च व्याधिर्भवेत् तस्य रोगी रोगात्प्रमुच्यते। ग्रह्य: सर्वेनुकूला: स्युर्न च विघ्रादि जायते।।



बोलें सिर्फ 2 हनुमान मंत्र, शुरू हो जाएगा सफलता का सफर

इंसान में बल हो, बुद्धि भी हो किं तु विवेक की कमी से निर्णय क्षमता कमजोर हो तो वक्त आने पर सही-गलत का फैसला न कर पाने और सक्रिय न होने से शक्ति और ज्ञान बेकार हो जाता है।

शास्त्रों में श्री हनुमान की उपासना बल, बुद्धि और विद्या देने वाली ही मानी गई है। श्री हनुमान इसी बात के आदर्श है कि जब-जब संकट आया उन्होनें तुरंत सक्रियता दिखाई और सही निर्णय लिये। चाहे वह सीता की खोज हो, लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा करने की बात हो या राम-लक्ष्मण को अहिरावण से छुड़ाना।

जोश, उत्साह और ऊर्जा बनाये रख सफलता की सीढिय़ां चढ़ते जाना है तो श्री हनुमान की उपासना बहुत ही शुभ मानी गई है। मंगलवार का दिन श्री हनुमान उपासना के लिये बहुत ही मंगलकारी माना गया है। जिसके लिये यहां बताए जा रहे हैं मात्र 2 मंत्र बहुत ही असरदार भी माने गए हैं।

- मंगलवार को स्नान के बाद श्री हनुमान की मूर्ति या प्रतिमा पर सिंदूर या लाल चंदन, नारियल, फूल, नैवेद्य चढ़ाकर धूप व चमेली के तेल का दीप जलाकर नीचे लिखें दो मंत्रो का यथाशक्ति जप करें -

- ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नम:।

- ॐ इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारकाय नम:।

- इन मंत्रों के स्मरण के बाद श्री हनुमान की दीप-कर्पूर आरती कर विघ्र, बाधा को दूर कर सफल जीवन की कामना करें।

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इस मंत्र से गाय को छू लें..पैसा, गाड़ी हो या मकान, हर इच्छा होगी पूरी

हिन्दू धर्मशास्त्र हर प्राणी मात्र में देव दर्शन का संदेश देते हैं। यह ईश्वर रूप प्रकृति रूपी शक्ति के सम्मान द्वारा सभी प्राणियों के लिए हित का श्रेष्ठ उपाय भी है। प्रकृति पूजा की इसी कड़ी में गाय भी देव प्राणी के रूप में पूजनीय है। धार्मिक मान्यताओं में गाय में देवी-देवताओं का वास माना जाता है। व्यावहारिक रूप से भी गाय से मिलने वाला हर पदार्थ चाहे वह दूध हो या मूत्र रोग व शोक का अंत करने वाला होता है।

धर्मग्रंथों में भी सभी मनोरथ सिद्ध करने वाली और देवशक्तियों से पूर्ण कामधेनु गाय भी पूजनीय बताई गई है। यही कारण है कि गोपूजा मंगलदायी व समस्त सांसारिक इच्छाओं को शीघ्र पूरी करने वाली बताई गई है।

अगर आप भी व्यस्त जीवन में देव पूजा के लंबे विधान न अपना पाएं तो हर रोज गो पूजा के आसान उपाय द्वारा धन, वाहन, मकान जैसी जीवन से जुड़ी हर इच्छा को पूरी कर सकते हैं। जानें गो पूजा की सरल विधि व मंत्र विशेष-

- सुबह स्नान के बाद गाय पर गंगाजल छिड़कर गंध, अक्षत, फूल चढ़ाकर गाय के घी के दीप से नीचे लिखा मंत्र बोल पूजा करें -

ॐ माता रुद्राणां दुहिता वसूनां स्वसादित्यानाममृतस्य नाभि:।

प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय मा गामनागामदितिं वधिष्ट नमो नम: स्वाहा।।

इस मंत्र पूजा के बाद गोमाता को भोजन का ग्रास खिलाएं और परिक्रमा कर नीचे लिखे मंत्र से कामनापूर्ति और क्षमाप्रार्थना करें -

ॐ सर्वदेवमये देवि लोकानां शुभनन्दिनि।

मातर्ममाभिषितं सफलं कुरु नन्दिनि।।

- यथासंभव गो पूजा दोपहर में भोजन बनने के बाद पहला ग्रास गौ को देकर करना बहुत ही शुभ मानी गई है।





धन की कामना है तो इस दिशा में मुंह रख बोलें मंत्र

देव या इष्ट सिद्धि के लिए मंत्र जप का विशेष महत्व है। मंत्र जप न केवल कामनापूर्ति के श्रेष्ठ साधन है, बल्कि यह देवीय व आध्यात्मिक शक्तियों द्वारा मन व शरीर को ऊर्जावान, एकाग्र व संयमशील भी बनाते हैं। जिसका लाभ चरित्र, स्वभाव और व्यवहार में अनुशासन व अच्छे बदलावों के रूप में प्राप्त होता है।

बहरहाल, मंत्र जप के सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के नजरिए से बात करें तो शास्त्रों में अलग-अलग आठ दिशाओं में मुख कर देव विशेष के मंत्र जप से विशेष फल प्राप्ति के बारे में बताया गया है। जानते हैं किस दिशा में मुंह करके जप करने से कौन-सा फल मिलता है -

- सामान्य तौर पर उत्तर या पूर्व दिशा में मुंह कर किसी भी मंत्र जप के लिए शुभ है।

- विशेष इच्छाओं के संदर्भ में पूर्व दिशा की ओर मुंह कर मंत्र जप से वशीकरण सिद्ध होता है।

- पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर मंत्र जप धन, वैभव व ऐश्वर्य कामना को पूरी करता है।

- उत्तर दिशा की ओर मुख कर मंत्र जप से सुख-शांति मिलती है।

- दक्षिण दिशा में मुंह कर मंत्र जप मारण सिद्धी देता है।

- उत्तर-पश्चिम यानी वायव्य दिशा की ओर मुख कर जप शत्रु व विरोधियों का नाश,

- उत्तर-पूर्व यानी ईशान दिशा में मुंह कर मंत्र जप ज्ञान,

- दक्षिण-पूर्व यानी आग्रेय दिशा में मुख कर मंत्र जप आकर्षण, सौंदर्य कामना और,

- दक्षिण-पश्चिम यानी नैऋत्य दिशा में मुख कर मंत्र जप पवित्र विचार व दर्शन की कामना को पूरा करता है।

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वशीभूत कर दे कामदेव वशीकरण मंत्र

जब किसी व्यक्ति को किसी से प्रेम हो जाए या वह आसक्त हो। विवाहित स्त्री या पुरुष की अपने जीवनसाथी से संबंधों में कटुता हो गई हो या कोई युवक या युवती अपने रुठे साथी को मनाना चाहते हो। किंतु तमाम कोशिशों के बाद भी वह मन के अनुकूल परिणाम नहीं पाता। तब उसके लिए तंत्र क्रिया के अंतर्गत कुछ मंत्र के जप प्रयोग बताए गए हैं। जिससे कोई अपने साथी को अपनी भावनाओं के वशीभूत कर सकता है।


धर्मशास्त्र में कामदेव को प्रेम, सौंदर्य और काम का देव माना गया है। इसलिए परिणय, प्रेम-संबंधों में कामदेव की उपासना और आराधना का महत्व बताया गया है। इसी क्रम में तंत्र विज्ञान में कामदेव वशीकरण मंत्र का जप करने का महत्व बताया गया है। इस मंत्र का जप हानिरहित होकर अचूक भी माना जाता है। यह मंत्र है -


"ॐ नमः काम-देवाय। सहकल सहद्रश सहमसह लिए वन्हे धुनन जनममदर्शनं उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा"


कामदेव के इस मन्त्र को सुबह, दोपहर और रात्रिकाल में एक-एक माला जप का करें। माना जाता है कि यह जप एक मास तक करने पर सिद्ध हो जाता है। मंत्र सिद्धि के बाद जब आप इस मंत्र का मन में जप कर जिसकी तरफ देखते हैं, वह आपके वशीभूत या वश में हो जाता है।



वशीभूत कर दे कामदेव वशीकरण मंत्र

जब किसी व्यक्ति को किसी से प्रेम हो जाए या वह आसक्त हो। विवाहित स्त्री या पुरुष की अपने जीवनसाथी से संबंधों में कटुता हो गई हो या कोई युवक या युवती अपने रुठे साथी को मनाना चाहते हो। किंतु तमाम कोशिशों के बाद भी वह मन के अनुकूल परिणाम नहीं पाता। तब उसके लिए तंत्र क्रिया के अंतर्गत कुछ मंत्र के जप प्रयोग बताए गए हैं। जिससे कोई अपने साथी को अपनी भावनाओं के वशीभूत कर सकता है।


धर्मशास्त्र में कामदेव को प्रेम, सौंदर्य और काम का देव माना गया है। इसलिए परिणय, प्रेम-संबंधों में कामदेव की उपासना और आराधना का महत्व बताया गया है। इसी क्रम में तंत्र विज्ञान में कामदेव वशीकरण मंत्र का जप करने का महत्व बताया गया है। इस मंत्र का जप हानिरहित होकर अचूक भी माना जाता है। यह मंत्र है -


"ॐ नमः काम-देवाय। सहकल सहद्रश सहमसह लिए वन्हे धुनन जनममदर्शनं उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा"


कामदेव के इस मन्त्र को सुबह, दोपहर और रात्रिकाल में एक-एक माला जप का करें। माना जाता है कि यह जप एक मास तक करने पर सिद्ध हो जाता है। मंत्र सिद्धि के बाद जब आप इस मंत्र का मन में जप कर जिसकी तरफ देखते हैं, वह आपके वशीभूत या वश में हो जाता है।


बड़ी सफलताओं के द्वार खोल देता है यह छोटा-सा गणेश मंत्र

जीवन में दु:ख और निराशा से बचना है तो हमेशा आगे बढऩे का जज्बा बनाए रखना बहुत जरूरी है। बस, यही एक सूत्र थाम लें, तो किसी भी बुरी से बुरी हालात से दो-चार होकर उसे मात देना आसान हो जाता है। इस तरह जीवन के हर दिन, हर कदम पर किसी न किसी रूप में जीत व सफलता मायने रखती है। किंतु इसके लिए ज्ञान और गुण संपन्नता भी बहुत जरूरी है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों में इन दो खूबियों के दाता भगवान श्री गणेश को ही माना गया है। भगवान गणेश बुद्धिदाता, गुणदाता, ज्ञानप्रदाता हैं। बुधवार को शास्त्रों में बताए एक छोटे-से गणेश मंत्र विशेष का स्मरण बड़े-बड़े लक्ष्य को आसानी से भेद सफलतम बनाने वाला माना गया है। जानें इसी मंत्र विशेष व पूजा, जप की आसान विधि -

- बुधवार के दिन किसी भी वक्त किंतु स्नान के बाद भगवान गणेश की पूजा करें।

- पूजा में श्री गणेश को लाल चन्दन, कनेर के फूल, दूर्वा चढ़ाएं व मोदक का भोग लगाएं।

- धूप बत्ती और घी का दीप लगाकर पूर्व दिशा में लाल आसन पर बैठ मूंगे या चन्दन की माला से नीचे लिखा गणेश मंत्र कम से कम 108 बार बोलें। विधान अनुसार सवा लाख जप शीघ्र फलदायी होता है। सुविधानुसार यह जपसंख्या लगातार 10 दिन या बुधवार व चतुर्थी के दिनों में पूरा कर सकते हैं -

ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नम:।

- मंत्र जप के बाद क्षमाप्रार्थना कर श्री गणेश की आरती के साथ मनचाही सफलता की कामना करें। यथाशक्ति कन्याभोज कराएं।


1 comment:

  1. Wow, it's really good to know the method and a short solution to get your love back. An individual can even consider kamdev vashikaran mantra to solve love problem in life.

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